राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि हो सकता है उसे खुद एक आचार संहिता की जरूरत हो। मान्यता प्राप्त रानीतिक दलों को लिखे पत्र में निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वह खोखले चुनावी वायदों की अनदेखी नहीं कर सकता है, क्योंकि इसके दूरगामी प्रभाव होंगे। सियासी दलों को ये बताना होगा कि वो वायदे पूरे कैसे करने जा रहे हैं। इसके लिए उनकी योजना क्या है। आर्थिक प्रबंध कैसे किए जाएंगे।
सिब्बल ने कहा कि निर्वाचन आयोग: सुप्रीम कोर्ट में मुफ्त सौगात पर होने वाली बहस से अलग रहने का हलफनामा दाखिल करने के बाद पलट रबा है। यह धोखा देने के जैसा है। आयोग अब इसे आदर्श आचार संहिता में शामिल करना चाहता है। आयोग ने सभी दलों से 19 अक्टूबर तक प्रस्ताव पर अपने विचार देने को कहा है। उन्होंने कहा कि हो सकता है निर्वाचन आयोग को ही आदर्श आचार संहिता की जरूरत हो।
चुनावी वायदों को लेकर भारतीय राजनीति फिलहाल सरगर्म है। पीएम नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में रेवड़ी कल्चर पर करारा वार कर चुके हैं। उनका कहना है कि ये देश के लिए बेहद घातक है। पीएम के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका संज्ञान लिया है। दोनों के बाद अब रेवड़ी पर चुनाव आयोग भी मैदान में कूद चुका है।
ध्यान रहे कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल चुनावी राज्यों में धड़ाधड़ वायदे कर रहे हैं। उनकी मुफ्त की सौगात असर भी दिखा रही है। दिल्ली से शुरू हुई योजनाओं का असर पंजाब तक देखने को मिला। अब गुजरात समेत कुछ और सूबों में चुनाव हैं। केजरीवाल फिलहाल गुजरात पर फोकस कर रहे हैं।
लेकिन इन सबके बीच इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि जो वायदे सियासी दल करते हैं, उन्हें पूरा कैसे किया जाएगा। ऐसे वायदों को पूरा करने से सरकारों की माली हालत ही ठप हो जाएगी, क्योंकि तकरीबन हर सूबा बड़े कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है।