सावरकर को लेकर चल रहे है एक टीवी डिबेट में दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर और बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी में जमकर वार-पलटवार हुआ। पैनलिस्ट के रूप में मौजूद एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल ने सावरकर को कन्फ्यूज तक कह दिया।

आजतक पर चल रहे है इस टीवी डिबेट में जब एंकर चित्रा त्रिपाठी ने सावरकर को लेकर प्रो. रतन लाल से सवाल पूछा तो उन्होंने बाबा साहब भीम राव अंबेडकर को कोट करते हुए कहा कि सावरकर एक कंफ्यूज आदमी थे। उन्होंने कहा- “अंबेडकर ने लिखा है कि सावरकर नादान हैं, कंफ्यूजड है, बौद्ध धर्म के बारे में क्या लिखता है सावरकर, उल्टा लिखता है, वो कंफ्यूज तरीके से… उसके हिसाब से सावरकर साहब कंफ्यूज आदमी हैं। वो देशभक्त दिखना चाहते हैं, ब्रिटिश हुकुमत के साथ रहना चाहते हैं”।

एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल के इन आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस के शुरूआती अध्यक्षों के नाम गिना दिए। उन्होंने कहा- “रतनलाल जी, तमाम प्रकार की ऐकेडमिक बात करते हुए, कंफ्यूज तो मान्यवर आप नजर आ रहे हैं… मैंने तो जो फैक्ट कहा था वो तो कोई भी जाकर इंटरनेट पर चेक कर सकता है। 1910 में कांग्रेस का अध्यक्ष ब्रिटिश सरकार का सेक्रेटरी था। अब कोई किंतु-परंतु रह जाता है, युद्ध कर रहे थे, संघर्ष कर रहे थे स्वतंत्रता का, ब्रिटिश सरकार के सेक्रेटरी में… और पहले पांच अध्यक्ष कौन-कौन है कांग्रेस के…. कांग्रेस स्वतंत्रता का संघर्ष कर रही थी?”।

आगे सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- और आपने ये कहा कि गांधी ने ये लिखा सावरकर के लिए ….. सावरकर जी ने क्या लिखा गांधी जी के बारे में…बोलेंगे उसको…बोलने का साहस करेंगे। इसलिए मैं कहता हूं ये जो सेलेक्टिव अप्रोच हुई है ना… वो लखीमपुर से नहीं, यहां तक दिल्ली तक चल रही है”।

दरअसल सावरकर के माफीनामे को लेकर आजादी के बाद से ही विवाद जारी है, लेकिन 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद इसे बड़े-जोर शोर से विपक्ष उठाता रहा है। बीजेपी जहां इन्हें राष्ट्रभक्त का दर्जा देती आई है, वहीं कांग्रेस इनके माफीनामे का जिक्र करके इन्हें ब्रिटेश सरकार के सहयोगी के रूप में प्रदर्शित करती आई है। हाल के दिनों में ये विवाद तब बढ़ गया जब केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सावरकर का पक्ष लेते हुए कहा कि उन्होंने गांधी जी के कहने पर माफी मांगी थी।