दिल्ली में मर्डर का एक दोषी तीन साल तक मुंबई में फूड डिलीवरी एजेंट के तौर पर काम करता रहा और किसी को भनक भी नहीं लगी कि वह एक क्रिमिनल है। आरोपी वहां नाम बदलकर काम करता रहा पर आखिरकार तीन साल बाद पुलिस के हत्थे चढ़ गया।
शनिवार की सुबह, फूड डिलीवरी एजेंट अक्षय कुमार त्रिपाठी मुंबई के चेंबूर में गौतम नगर, पंजरापोल चॉल में अपने घर से काम पर जाने के लिए निकला तभी दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एक टीम ने उसे धर दबोचा।
46 साल का त्रिपाठी कोई साधारण व्यक्ति नहीं था। वह एक सजायाफ्ता अपराधी था जिसका असली नाम अजय कुमार त्रिपाठी था। डीसीपी (क्राइम ब्रांच) संजय कुमार सैन ने बताया, “बैंकिंग और निवेश कंपनी के पूर्व स्टोरकीपर त्रिपाठी ने 2000 में नीरज नाम के एक बच्चे का अपहरण किया था और फिरौती की मांग पूरी न होने पर उसकी हत्या कर दी थी।”
पेरोल मिलने पर फरार हो गया था अजय
पुलिस त्रिपाठी की तलाश 2021 से कर रही थी, जब वह हत्या के मामले में पेरोल से भाग गया था। उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। डीसीपी ने कहा कि इसके बाद उसने अपना नाम अजय से अक्षय रख लिया और अपने दस्तावेजों में जालसाजी की। यह पहली बार नहीं था जब दोषी फरार हुआ हो। डीसीपी सैन ने कहा, “2010 में भी अजय को 30 दिन की पेरोल दी गई थी लेकिन वह पांच साल तक फरार रहा। इसके बाद उसे 2015 में उसके होम टाउन आगरा (यूपी) से पकड़ा गया था।”
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पत्नी-बेटे को नहीं पता था क्रिमिनल है अजय
अजय त्रिपाठी शादीशुदा है और अपनी दूसरी पत्नी और बेटे के साथ शहर में रहता था। ऑपरेशन में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “परिवारवालों को उसके आपराधिक इतिहास के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।” त्रिपाठी ने 2011 में शादी कर ली थी। एक अधिकारी ने बताया, “उसकी पत्नी, शुरू में उसके आपराधिक अतीत से अनजान थी। 2013 में उन्हें एक बेटा हुआ। 2015 में जब पुलिस अजय की तलाश में आई तब उसकी पत्नी को सच्चाई का पता चला।”
डीसीपी सैन ने बताया कि कोविड के दौरान त्रिपाठी को 23 जुलाई 2021 को आपातकालीन पेरोल मिली थी। अधिकारी ने बताया, “उसे 56 दिन बाद 19 सितंबर 2021 को सरेंडर करना था लेकिन वह फिर से फरार हो गया।” जांच के दौरान इंस्पेक्टर राकेश कुमार के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की टीम आगरा में उसके घर पहुंची तो पड़ोसियों से पता चला कि वह तीन साल पहले शहर छोड़कर चला गया था। एक अधिकारी ने बताया कि दूसरी बार पेरोल पर छूटने के बाद वह अपनी पत्नी के पास चला गया।
अजय की पत्नी ने कर ली थी आत्महत्या
पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसकी पत्नी अजय त्रिपाठी से कोई संबंध नहीं रखना चाहती थी। अधिकारी ने बताया, “इस मामले को लेकर उनके बीच अक्सर झगड़ा होता था। महिला के परिवार ने भी शादी के बाद उससे सारे संबंध खत्म कर दिए थे और कोई मदद देने से इनकार कर दिया था। निराश होकर उसने एक दिन आत्महत्या कर ली।”
नाम बदलकर बनवाए नकली दस्तावेज
त्रिपाठी ने अपने बेटे के साथ मुंबई जाने से पहले अपनी सारी संपत्ति बेच दी। एक पड़ोसी ने पुलिस को बताया कि उसने एक नई पहचान बना ली थी। डीसीपी सैन ने कहा, “उसने अक्षय नाम से अपने सभी दस्तावेजों में जालसाजी की और एक ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी में डिलीवरी पर्सन के रूप में काम करना शुरू कर दिया।”
पुलिस आरोपी को रविवार को दिल्ली लाकर उसे तिहाड़ जेल में वापस ले आई। ऑपरेशन के बारे में बात करते हुए एक अधिकारी ने कहा, “चूंकि आरोपी ने मुंबई के भीड़भाड़ वाले इलाके में एक नई पहचान और नई ज़िंदगी अपना ली थी इसलिए उसे पकड़ना मुश्किल था। हम मुंबई पहुंचे और कई दिनों तक वहां डेरा जमाए रखा। डिलीवरी फर्म और उसके कर्मचारियों के प्रयासों और सहायता से, हमने गिरफ्तार करने से पहले संदिग्ध पर ध्यान केंद्रित किया।” देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग