इलेक्ट्रॉनिक वाहन खरीदने वालों के लिए दिल्ली में सराहनीय कदम उठाया गया है। शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को रजिस्ट्रेशन फीस से छूट दे दी है। इससे पहले, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार ने 11 अक्टूबर को इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को रोड टैक्स से राहत दी थी।

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने शुक्रवार ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ बधाई हो दिल्ली फिर से! मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से प्रोत्साहनों की अगली सूची में सरकार ने बैट्री से चलनेवाले वाहनों को पंजीकरण शुल्क से मुक्त कर दिया है। दिल्ली फिर से आगे।’’ दरअसल, दिल्ली में ई-वाहन नीति लागू है, जिसका उद्देश्य दिल्ली में पॉल्यूशन को काबू करना है। आप सरकार ने टारगेट रखा है कि साल 2024 तक दिल्ली में एक चौथाई गाड़ियां ई-वाहन हों।

लोग आसानी से ई-वाहन खरीद सकें, इसके लिए दिल्ली सरकार ने रोड टैक्स माफ किया था, जबकि अब खरीद-फरोख्त पर लगने वाला रजिस्ट्रेशन चार्ज माफ किया है। दिल्ली सरकार ने इस प्रोसेस के तहत तीन दिनों तक जनता से सुझाव और आपत्तियां मांगी थीं।

दिल्ली में बीते कुछ वक्त से ई-वाहनों के प्रति लोगों में रुझान बढ़ा है। अप्रैल से लेकर सितंबर तक दिल्ली में 2629 ई-वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ, जिनमें 297 मोटर साइकिल और स्कूटर हैं, जबकि 80 कार्स और 67 कैब्स हैं। रोचक बात है कि ये वाहन लोगों ने बगैर सब्सिडी लिए ही खरीदे।

केजरीवाल ने अगस्त में इलेक्ट्रिक वाहन नीति की घोषणा की थी। इसके तहत उन्होंने चार पहिया वाहन की खरीद पर 1.5 लाख रुपये तक की प्रोत्साहन राशि, दुपहिया वाहन, ऑटोरिक्शा, ई-रिक्शा, माल ढुलाई करने वाले वाहन पर 30,000 रुपये तक की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी। इसके अलावा उन्होंने पथकर और पंजीकरण शुल्क से भी छूट देने का वादा किया था।

डीजल की मांग कोरोना से पहले के स्तर पर लौटीः इस साल अक्टूबर महीने के पूर्वार्द्ध में डीजल की मांग में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। इस तरह से पेट्रोल के बाद अब डीजल की मांग भी कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तर पर लौट आयी है। उद्योग जगत के आंकड़ों से इसका पता चला है। डीजल भारत में सबसे अधिक खपत वाला ईंधन है। यह कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देशभर में मार्च में लगाये गये लॉकडाउन के बाद डीजल की बिक्री में इस साल की पहली सालाना वृद्धि है। (भाषा इनपुट्स के साथ)