संसद में बजट सत्र से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस हफ्ते मिडिल क्लास के लिए एक घोषणापत्र जारी किया। इसमें केंद्र से कई मांगें शामिल हैं, जिनमें शिक्षा और स्वास्थ्य आवंटन में वृद्धि और टैक्स छूट की सीमा बढ़ाना शामिल है। 1 फरवरी को संसद में बजट पेश किए जाने के कुछ ही दिनों बाद 5 फरवरी को दिल्ली में मतदान होना है। मिडिल क्लास के लिए घोषणापत्र जारी करने के साथ AAP एक ऐसे वर्ग को साधने का प्रयास कर रही है, जिसने इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन के बाद पार्टी को पहचान दिलाने में मदद की थी।
एक रिसर्च संस्थान लोकनीति-सीएसडीएस द्वारा प्रकाशित सर्वे के आंकड़ों से पता चला है कि भाजपा ने 2015 और 2020 के चुनावों के बीच गरीब, निम्न-आय और मध्यम-आय वाले मतदाताओं के बीच अपने और AAP के बीच के बड़े अंतर को कम कर दिया है। हालांकि AAP ने 2020 में मध्यम वर्ग के मतदाताओं के बीच अपनी बढ़त बनाए रखी, जिससे दिल्ली में उसने दोबारा जीत दर्ज की। लेकिन पार्टी के नेताओं ने माना कि इसे सिर्फ़ गरीबों की पार्टी के रूप में देखा जाता है।
मिडिल क्लास के लिए केजरीवाल ने जारी किया घोषणापत्र
मिडिल क्लास के घोषणापत्र का जिक्र करते हुए एक वीडियो संबोधन में AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ‘वंचित समूहों’ पर अपनी पार्टी के फोकस को स्वीकार किया, लेकिन इसे मिडिल क्लास से जोड़ा। अरविंद केजरीवाल ने कहा, “आप सोच रहे होंगे कि आपका पैसा गरीबों की मदद के लिए क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है। आज, छोटे शहरों और कस्बों में रहने वाले कई मध्यम वर्ग के लोगों के माता-पिता कभी गरीब थे। उन्होंने गरीबी से बाहर निकलने, मध्यम वर्ग बनने और अपने बच्चों को बेहतर जीवन देने के लिए कड़ी मेहनत की। अगर उन्हें उस समय सरकार से थोड़ा भी समर्थन मिला होता (जैसा कि हम आज दे रहे हैं) तो वे और अधिक बचत करते और आपके लिए और भी बेहतर करते।”
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पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (PRICE) द्वारा प्रकाशित एक सर्वे रिपोर्ट में मध्यम वर्ग के परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के बीच कमाने वाले परिवार के रूप में परिभाषित किया गया है। वहीं मध्यम वर्ग के व्यक्ति को प्रति वर्ष 1.09 लाख रुपये से 6.46 लाख रुपये कमाने वाले परिवार के रूप में भी परिभाषित किया गया है। हालांकि नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) के अनुसार मध्यम वर्ग के परिवार की आय 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये प्रति वर्ष के बीच होती है।
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी और एस्तेर डुफ्लो ने 2008 में भारतीय मध्यम वर्ग को ऐसे वर्ग के रूप में परिभाषित किया था जिसका प्रतिदिन प्रति व्यक्ति व्यय 2 डॉलर (लगभग 160 रुपये) से 10 डॉलर (800 रुपये) के बीच है, या सालाना 58,000 रुपये से 2.9 लाख रुपये के बीच है। लेकिन जहां तक सरकार का सवाल है, सालाना 8 लाख रुपये से कम कमाने वाले परिवारों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) का हिस्सा माना जाता है, जिससे वे कुछ प्रकार के आरक्षण के लिए पात्र हो जाते हैं।
दिल्ली में क्यों जरूरी है मिडिल क्लास?
एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 28 लाख से अधिक घर मिडिल क्लास परिवारों के हैं।दिल्ली में मध्यम वर्ग के घरों का अनुपात सबसे अधिक था। लोक फाउंडेशन और सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा 2014 में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 64% दिल्लीवासी खुद को मध्यम वर्ग से संबंधित मानते हैं। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 49% था। इसी तरह 2015 में दिल्ली के लिए लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वेक्षण में पाया गया कि 71.6% ने खुद को मध्यम वर्ग के रूप में पहचाना, जबकि 27.8% उच्च- और 43.8% ने लोवर मिडिल क्लास के रूप में खुद को पहचाना।