एक स्थानीय अदालत ने 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान दाखिल किए गए हलफनामे में गलत सूचना देने के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आरोपी के तौर पर तलब किया है। अदालत ने कहा कि केजरीवाल ने प्रथमदृष्टया जानबूझकर ब्योरा छुपाया और उसे दबाया।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता केजरीवाल को 30 जुलाई को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि इस आरोप में उनके खिलाफ कार्यवाही आगे बढ़ाने के पर्याप्त आधार हैं। उन्होंने चुनाव आयोग के सामने दाखिल हलफनामे अपना सही पता छुपाया और अपनी संपत्ति का बाजार मूल्य कम करके दिखाया।

अदालत ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 125-ए, जन प्रतिनिधित्व कानून, 1950 की धारा 31 और भारतीय दंड संहिता की धारा 177 के तहत दंडनीय अपराधों के आरोपी केजरीवाल को समन करने के लिए पर्याप्त सामग्री रिकार्ड पर है ।

अपने आदेश में अदालत ने कहा कि लिहाजा, आरोपी अरविंद केजरीवाल को समन जारी किया जाए। इस मामले में उन्हें 30 जुलाई तक जवाब देना होगा। केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने चुनाव लड़ने की पात्रता हासिल करने के लिए दिल्ली का गलत पता दिया जबकि वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रहते थे। यह आरोप केजरीवाल के दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने से पहले का है। अदालत ने एनजीओ मौलिक भारत ट्रस्ट की ओर से नीरज सक्सेना द्वारा दायर आपराधिक शिकायत पर यह आदेश पारित किया।

जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125-ए के तहत दोषी पाए जाने पर छह महीने की सजा या जुर्माना या दोनों दिए जा सकते हैं। इससे पहले, एनजीओ ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख कर केजरीवाल का नामांकन पत्र रद्द करने की मांग की। उनके हलफनामे में अवैध सूचनाओं के आधार पर नामांकन पत्र रद्द करने की मांग की गई। अदालत ने अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ता को मजिस्ट्रेट अदालत जाने को कहा था ।