दिल्ली में लंबे समय से सत्ता से दूर भाजपा के नेता चाहते हैं कि इस बार के चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व सीधे तौर पर स्थानीय नेताओं के हाथों में पूरे चुनाव की कमान सौंपे। पार्टी नेताओं का मानना है कि स्थानीय स्तर पर प्रक्रिया से आसानी से चेहरे तय हो सकेंगे और इसका लाभ विधानसभा चुनाव में मिलेगा। हाल ही में केंद्रीय नेताओं के साथ हुई एक बैठक में स्थानीय नेताओं की ओर से यह सुझाव दिया गया है।

भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के स्थानीय नेताओं का तर्क है कि दूसरे राज्यों से आने वाले नेताओं को दिल्ली के चुनावी समीकरण की सटीक जानकारियां नहीं होती है और उसका खमियाजा लगातार पार्टी को उठाना पड़ा है। दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों पर फरवरी में चुनाव प्रस्तावित हैं। इसके लिए सभी दलों ने जमीनी स्तर पर तैयारियां तेज कर दी हैं और इस बार भी भाजपा का सीधा मुकाबला आम आदमी पार्टी (आप) के साथ ही होगा। आप ने यह चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ने की घोषणा पहले ही कर दी है और कई सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतार दिए हैं।

आप-कांग्रेस की चुनावी रणनीति

लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस ने दिल्ली में एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ था, लेकिन अभी तक विधानसभा को लेकर कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस में एक गुट लोकसभा चुनाव में भी एकसाथ चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं था, लेकिन पार्टी आलाकमान के निर्णय के बाद दोनों दलों ने एकसाथ चुनाव मैदान में जाने का फैसला लिया था। मगर, तब इस गठबंधन को बड़ा नुकसान हुआ था और दिल्ली की सातों लोकसभा सीट में से एक भी सीट गठबंधन नहीं जीत पाया था। विधानसभा चुनाव के अब तक के शुरूआती समीकरण में कांग्रेस और आप एक-दूसरे की नीतियों को लेकर हमलावर है।

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आप व कांग्रेस के सियासी हमलों को भाजपा खुद के लिए फायदे का समीकरण मान रही है और दावा कर रही है कि त्रिकोणीय समीकरण होने की स्थिति में पार्टी सत्ता में आने की स्थिति में है। भाजपा नेताओं का मानना है कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में स्थानीय नेताओं को चुनाव प्रबंधन प्रक्रिया में ज्यादा तवज्जो दी जानी चाहिए। इस पहल से स्थानीय नेता अपने कार्यकर्ताओं के साथ अधिक मजबूती से चुनाव लड़ सकेंगे और बार-बार विधानसभा में बिगड़ रहे भाजपा के चुनावी समीकरण को बचाया जा सकेगा। यह पहल बीते चुनावों के अनुभव के आधार पर की गई है।

दावा किया गया है कि दो विधानसभा चुनाव में इसका नुकसान पार्टी को हुआ है जबकि इन चुनावों में हर लोकसभा व विधानसभा के हिसाब से बड़े नेताओं की तैनाती की गई थी। चुनाव से पहले भाजपा केंद्र व दूसरे राज्यों के नेताओं की तैनाती करती है। सूत्रों का कहना कि आगामी एक सप्ताह में दिल्ली के लिए इस प्रक्रिया की शुरूआत हो जाएगी। इसके तहत सांसदों व अन्य नेताओं को दिल्ली के सभी जिलों की जिम्मेवारी दी जाएगी। शीर्ष स्तर पर पहले ही बैठकों का दौर शुरू हो गया है। इसके माध्यम से भाजपा दिल्ली में अपने 26 साल के वनवास को खत्म करने की रणनीति पर काम कर रही है।