कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि वे अशोभनीय हद तक ढुलमुल साबित हुए हैं और उनके ज्यादातर चुनावी वादे हवाबाजी से ज्यादा और कुछ नहीं हैं। उन्होंने मोदी सरकार के आरएसएस के नियंत्रण और निर्देशन में काम करने का आरोप भी लगाया।
भूमि कानून पर सरकार के कदम पीछे खींचने का श्रेय राहुल गांधी के सक्रिय मार्गदर्शन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को देते हुए पार्टी अध्यक्ष ने श्रम सुधार, महिला और बाल विकास, आरटीआइ और मनरेगा जैसे विषयों पर भी ऐसे ही अभियान चलाने की बात कही। सोनिया ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अपनी कथनी को करनी में बदलने में बुरी तरह से विफल रही है। उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भूमि अध्यादेश पर यू-टर्न से स्पष्ट है कि सरकार को जमीनी हकीकत का पता नहीं है। यह पीड़ादायक रूप से स्पष्ट हो चुका है कि प्रधानमंत्री ने चुनाव अभियान के दौरान जो वादे किए वे हवाबाजी से अधिक और कुछ भी नहीं हैं।
प्रधानमंत्री के भूमि अध्यादेश को पुन:स्थापित नहीं करने की बात कहने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की इस पहली बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस के सतत अभियान के कारण सरकार को किसान विरोधी संशोधन को वापस लेने को मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा- इसका श्रेय कांग्रेस पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता को जाता है जिन्होंने राहुल के सक्रिय मार्गदर्शन में सतत विरोध जारी रखा। उन्होंने किसानों के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष के नेतृत्व की तारीफ की।
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कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह तभी संभव हो सका जब सभी समान सोच वाले दलों और नागरिक समाज के लोगों ने इस लड़ाई में कांग्रेस से हाथ मिला कर आगे बढ़ाने का काम किया। भारत के पड़ोस में सुरक्षा की स्थिति काफी खराब होने पर चिंता जताते हुए सोनिया ने कहा कि जवानों और नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा- पाकिस्तान के बारे में सुसंगत नीति की बजाय, यह सरकार तय नहीं कर पा रही है कि उसे क्या करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान मनमोहन सिंह और उनकी नीतियों का उग्र रूप से मजाक बनाने के बाद प्रधानमंत्री का रवैया अशोभनीय रूप ढुलमुल बन गया है। इससे यह संदेह पैदा हो रहा है कि वास्तव में वे क्या सोचते हैं। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था नीचे की ओर जा रही है जबकि कीमतों में वृद्धि जारी है। मोदी सरकार अपनी कथनी को करनी में बदलने में बुरी तरह विफल रही है। वह मीडिया कार्यक्रमों के अनुरूप वास्तविक उपलब्धियां पाने और हेडलाइन के अनुरूप वास्तविकता सृजित करने में विफल रही है।
रोजगार सृजन नारों और वादों के बारे में सोनिया ने कहा कि इसके बारे में जितना कम बोला जाए, उतना ही अच्छा है। उन्होंने सरकार पर सुनियोजित तरीके से महत्वपूर्ण संस्थाओं की स्वायत्तता का क्षरण करने का आरोप लगाया। गोविंद पानसरे और एमएम कालबुर्गी की हत्या का अप्रत्यक्ष हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि लेखकों और आगे की सोच रखने वालों को समाप्त किया जा रहा है। कवरेज के संबंध में कुछ समाचार चैनलों को नोटिस भेजे जाने के संदर्भ में सोनिया ने आरोप लगाया कि मीडिया को नोटिस और अन्य कदमों के जरिए धमकाया जा रहा है।
उन्होंने इस संबंध में नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय व कुछ अन्य सांस्कृतिक संगठनों में ‘सुधार लाने’ के प्रयासों की आलोचना की। सोनिया गांधी ने कहा- इतिहास को नए सिरे से लिखने का प्रयास किया जा रहा है। खास तौर पर नेहरू को निशाना बना कर, जो आधुनिक भारत और लोकतांत्रित संस्थाओं के निर्माता हैं। उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति में कहा कि ये घटनाक्रम उनके लिए आश्चर्य की बात नहीं है।
सोनिया ने कहा- देश को पिछले हफ्ते स्पष्ट रूप से यह साक्ष्य मिला कि मोदी सरकार आरएसएस के नियंत्रण और निर्देशन के तहत है और उस संगठन के एजंडे से हम सब अवगत हैं। उनका संकेत संघ के साथ प्रमुख मंत्रियों, भाजपा नेताओं के साथ की गई बैठक की ओर था जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल हुए थे। कांग्रेस अध्यक्ष ने याद दिलाया कि कांग्रेस कार्यसमिति की पिछली बैठक मोदी सरकार की ओर से बर्बर भूमि अध्यादेश को पहली बार जारी करने के दो हफ्ते बाद हुई थी।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने संसद के प्रति असम्मान प्रदर्शित करते हुए हमारे किसानों की जमीन छीनने में बेहद जल्दबाजी का दिखाई और इसका कारण वे ही बता सकते हैं। सोनिया ने कहा कि आदिवासी कल्याण, महिला एवं बाल कल्याण, श्रम कानून, पर्यावरण एवं वन संरक्षण कानूनों, आरटीआइ और मनरेगा जैसी पहल को सुनियोजित तरीके से कमतर करने का प्रयास किया जा रहा है और इन सबके लिए अभियान चलाने की जरूरत है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अत्यधिक वर्षा और सूखे की स्थिति के कारण किसान काफी परेशानी में हैं और सरकार की असंवेदनशीलता के कारण उन तक पर्याप्त राहत नहीं पहुंच रही है।