राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने के साथ ही वीबी-जी राम जी एक्ट, 2025 ने यूपीए के कार्यकाल में शुरू किए गए मनरेगा का स्थान ले लिया है। हालांकि कांग्रेस अभी इस मुद्दे को जिंदा रखने की पूरी कोशिश करेगी। माना जा रहा है कि शनिवार को राजधानी नई दिल्ली में जब कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग होगी, तब इस विषय पर आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

मनरेगा को कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जाता था, ऐसे में उसके लिए यह बेहद जरूरी है कि वह मोदी सरकार द्वारा कानून का नाम बदलने के कदम पर प्रतिक्रिया दे। कांग्रेस पार्टी अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह एक मौका भी है और मजबूरी भी।

मजबूरी इसलिए क्योंकि मनरेगा ने पार्टी को सफलता दिलाई थी और यह यूपीए सरकार की विरासत से जुड़ा हुआ है। यह कांग्रेस के लिए एक अवसर है, क्योंकि इससे दो रास्ते खुलते हैं। पहला यह कि यह सामाजिक न्याय के संदेश से सीधा जुड़ता है और हाशिए पर रहने वाले तथा ग्रामीण वर्गों का समर्थन दोबारा पाने की उसकी कोशिश को मजबूत करता है।

2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को कुछ हद तक मजबूती मिलने के बाद उसने हाशिए पर रहने वाले वर्गों – दलितों, ओबीसी और अल्पसंख्यकों – पर अपना फोकस और बढ़ा दिया। विपक्ष के नेता राहुल गांधी के भाषणों में बार-बार इन आरोपों पर जोर दिया गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों से अमीर और ऊंची जातियों को फायदा हुआ है, जबकि ये नीतियां ‘गरीबों के खिलाफ’ और ‘बड़े कॉरपोरेट्स के पक्ष’ में हैं।

क्यों लोगों से जुड़े मुद्दों पर लौटेगी कांग्रेस?

कांग्रेस के ‘वोट चोरी’ अभियान को ज्यादा समर्थन नहीं मिल पाया। ऐसे में पार्टी अब रोजगार और रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े मूल मुद्दों पर ध्यान देने की तैयारी में है। कांंग्रेस का मानना है कि लोगों की आम जरूरतों से जुड़े सवालों पर लौटना और इसे मनरेगा को कमजोर किए जाने के मुद्दे से जोड़ना चुनावी तौर पर समझदारी भरा कदम होगा, खासकर उस साल में जब पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम में विधानसभा चुनाव होने हैं।

कांग्रेस का मानना है कि ग्रामीण लोगों की रोज़ी-रोटी से जुड़े मुद्दों पर सीधा हमला करने से बीजेपी ज्यादा दबाव में आएगी। इसके मुकाबले चुनाव आयोग की आलोचना करने या सत्ताधारी पार्टी पर संस्थाओं पर कब्जा करने के आरोप लगाने से उतना असर नहीं पड़ेगा।

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दूसरा, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को लेकर देशभर में चलाया जाने वाला अभियान ऐसा मुद्दा हो सकता है, जिस पर कांग्रेस को दूसरी विपक्षी पार्टियों का साथ मिल जाए। इनमें वे दल भी शामिल हो सकते हैं, जिनसे उसके रिश्ते हाल के समय में कुछ तनावपूर्ण रहे हैं क्योंकि नया कानून आर्थिक बोझ राज्यों पर डालता है।

इससे इंडिया गठबंधन में फिर से जान आ सकती है। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद से यह गठबंधन लगभग निष्क्रिय पड़ा है। ऐसा ही एक दल तृणमूल कांग्रेसहै। TMC की अगुआई वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने ‘कर्मश्री’ ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम का नाम पहले ही महात्मा गांधी के नाम पर रख दिया है।

बदलाव की तैयारी

संसद द्वारा VB-G RAM G कानून को मंजूरी मिलने के बाद के एक हफ्ते में कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करने के लिए देशभर में अभियान शुरू किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम, जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद और आनंद शर्मा के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा और राजीव शुक्ला अलग-अलग राज्यों में जाकर पार्टी का पक्ष रख रहे हैं।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, 19 से 22 दिसंबर के बीच शीर्ष नेताओं ने कम से कम 50 प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं। 20 दिसंबर को कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि पार्टी मनरेगा पर बीजेपी सरकार के “हमले” का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। CWC के एक सदस्य ने कहा, “अगर हम सरकार पर पर्याप्त दबाव बना पाए, तो यह ऐसा मुद्दा है जिस पर सरकार को पीछे हटना पड़ सकता है।”

CWC मीटिंग में और क्या चर्चा हो सकती है?

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि CWC इस बात पर चर्चा करेगी कि इस मुद्दे पर कब और कैसे लोगों को संगठित किया जाए। ऐसा बड़े स्तर पर आखिरी बार राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हुआ था, जो सितंबर 2022 से जनवरी 2023 तक चली थी।

कांग्रेस कैडर-आधारित नहीं है, इसलिए वह कम समय में बड़े पैमाने पर लोगों को जुटाने के लिए नहीं जानी जाती। एक और चुनौती यह भी है कि पार्टी को नोटबंदी, जीएसटी सुधार और राफेल जैसे मुद्दों पर भी लंबे समय तक अपनी राजनीतिक धार बनाए रखने में दिक्कतें आई हैं।

हालांकि पार्टी अभी वोटर लिस्ट SIR और ‘वोट चोरी’ के खिलाफ अपना अभियान पूरी तरह छोड़ नहीं रही है, लेकिन पार्टी नेताओं ने माना है कि बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान इस मुद्दे को ज्यादा समर्थन नहीं मिला। इसी वजह से अब पार्टी का रुख VB-G RAM G कानून के खिलाफ अभियान की ओर गया है। एक नेता ने कहा, “हमें उम्मीद है कि हम इस मुद्दे पर लगातार दबाव बना पाएंगे। इसी उम्मीद के साथ हम शनिवार को बैठक कर रहे हैं।”

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