Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वित्तीय अनियमितताओं के सिलसिले में तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) पर छापेमारी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कड़ी फटकार लगाई। साथ ही कहा कि ईडी सभी सीमाएं लांघ रहा है।

सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने ईडी की कार्रवाई पर गहरी चिंता व्यक्त की और तीन बार दोहराया कि एजेंसी अपनी सीमाएं लांघ रही है। सरकारी शराब विक्रेता पर ईडी की छापेमारी के बाद कार्रवाई पर रोक लगाने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी अपनी सारी सीमाएं लांघ रही है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विधि अधिकारी ने आदेश का विरोध करते हुए कहा कि यह मामला 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के भ्रष्टाचार से जुड़ा है और ईडी कम से कम इस मामले में सीमाएं पार नहीं कर रहा है। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अमितानंद तिवारी की दलीलों पर गौर किया कि राज्य ने स्वयं 2014 से शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटन से संबंधित मामलों में 40 से अधिक एफआईआर दर्ज की हैं और अब ईडी ने भी इसमें हस्तक्षेप करते हुए टीएएसएमएसी पर छापेमारी की है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि प्रवर्तन निदेशालय संघीय सिद्धांत का उल्लंघन कर रहा है, वह तस्माक पर छापा कैसे मार सकता है?

पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। प्रवर्तन एजेंसी ने कहा कि इस मामले में गंभीर वित्तीय कदाचार शामिल है। यह स्थगन तमिलनाडु सरकार द्वारा तस्माक परिसरों पर ईडी की छापेमारी को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में दिया गया।

बीजेपी को बड़ा झटका: डीएमके

वरिष्ठ डीएमके नेता आरएस भारती ने इसे डीएमके नीत राज्य सरकार को बदनाम करने के भाजपा के प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका बताया और ईडी को “ब्लैकमेल करने वाला संगठन” करार दिया।

भारती ने कहा कि तमिलनाडु में एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार, जिसने 2021 में सत्ता संभाली है, तब से लोकप्रियता हासिल कर रही है और मुख्यमंत्री का कद बढ़ रहा है। इसे और 2021 के बाद डीएमके गठबंधन की चुनावी जीत को पचा पाने में असमर्थ। ईडी का इस्तेमाल डीएमके को बदनाम करने के लिए किया गया और भाजपा नेता हर तरह के आरोप लगाते रहे।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीएएसएमएसी के खिलाफ ईडी जांच पर रोक लगाना ऐसी चीजों के लिए एक बड़ा झटका है और यह तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं का सम्मान है। हम (सुप्रीम कोर्ट) आदेश का स्वागत करते हैं।

भारती ने केंद्र सरकार से इस घटनाक्रम के बाद ईडी का दुरुपयोग बंद करने का आग्रह किया। पूर्व सांसद ने हाल ही में तमिलनाडु और केरल राज्य पुलिस द्वारा रिश्वतखोरी के आरोपों में ईडी अधिकारियों को गिरफ्तार किए जाने की घटनाओं का हवाला देकर ईडी के “ब्लैकमेलिंग संगठन” होने के अपने आरोपों को मजबूत किया।

तस्माक विवाद क्या है?

ईडी ने पिछले सप्ताह व्यापक तलाशी ली और संदिग्ध वित्तीय अनियमितताओं के सिलसिले में तस्माक के प्रबंध निदेशक आईएएस अधिकारी एस विसाकन से पूछताछ की। जांच सुबह 6 बजे उनके मनापक्कम स्थित आवास और चेन्नई में कई स्थानों पर छापेमारी के साथ शुरू हुई।

ईडी अधिकारियों ने सीआरपीएफ कर्मियों के साथ बेसेंट नगर, चूलैमेडु, अन्ना सलाई, तेनाम्पेट और टी नगर में विभिन्न परिसरों में तलाशी ली, जिसमें आवासों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। फिल्म निर्माता आकाश भास्करन के तेनाम्पेट स्थित घर की भी तलाशी ली गई। हालांकि ईडी ने जांच से संबंध का खुलासा नहीं किया।

उनके आवास पर आठ घंटे की तलाशी के बाद ईडी के अधिकारी विशाकन और उनकी पत्नी को पूछताछ के लिए नुंगमबक्कम स्थित उनके कार्यालय ले गए। बाद में विशाकन को रात करीब 9 बजे उनके मनपक्कम स्थित आवास पर वापस लाया गया, जहां उनसे पूछताछ जारी रही।

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एजेंसी सूत्रों के अनुसार, ईडी ने पहले भी विसाकन को दो बार तलब किया था, लेकिन इन समन का पालन नहीं किया गया। मार्च में तस्माक मुख्यालय, डिस्टिलरी और ब्रुअरीज की तलाशी लेने के बाद एजेंसी को निर्माताओं से बढ़ी हुई बोतलों की कीमतों के माध्यम से अवैध नकदी जुटाने से जुड़े 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले का संदेह हुआ।

सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) द्वारा 2016 से 2021 के बीच दर्ज एफआईआर के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जांच शुरू की गई थी। इस अवधि के दौरान विसाकन को लगभग दो दिनों तक तस्माक कार्यालय में हिरासत में रखा गया था।

ईडी की तलाशी को चुनौती देने का तस्माक का कानूनी प्रयास असफल रहा, तथा मद्रास हाई कोर्ट ने तलाशी को अवैध घोषित करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पीएफआई नेता को जमानत दे दी। साथ ही कहा कि किसी को विचारधारा के लिए जेल में नहीं डाला जा सकता। पढ़ें…पूरी खबर।