भारत में COVID-19 या कोरोना संक्रमण के मामले एक हजार से ज्यादा हो गए हैं। रविवार, 29 मार्च को यह संख्या 1119 पहुंच गई। 500 से 1000 का आंकड़ा पहुंचने में केवल पांच दिन लगे, जबकि सौ से 500 पहुंचने में नौ दिन और सौ तक पहुंचने में 45 दिन लगे थे। 29 मार्च को लगातार तीसरे दिन नए मामलों की संख्या सौ से ज्यादा रही। बता दें कि भारत में कोरना संक्रमित पहला मरीज 30 जनवरी को सामने आया था। 29 मार्च तक कुल 34,931 सैंपल जांचे गए हैं। ये सभी आंकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए हैं और 29 मार्च, रात नौ बजे तक की सूचना पर आधारित हैं।
भारत में कोराना संक्रमित मरीजों की संख्या भले ही तेजी से बढ़ रही हो, लेकिन अब तक अच्छी बात यह है कि ‘कम्यूनिटी स्प्रेड’ की स्थिति से भारत बचा हुआ है। यह वह स्थिति है जब बड़े पैमाने पर व्यक्ति से व्यक्ति में यह वायरस फैलना लगता है। अब तक लगभग सभी मामले या तो कोरोना प्रभावित देशों से आए या फिर उनके संपर्क में आए लोगों के ही हैं।
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इसके अपवादस्वरूप भी कुछ मामले सामने आए हैं, जो चिंंता बढ़ाने वाले हैं। मुंबई के कांदीवली और बुल्ढाना में 29 मार्च को दो कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की मौत ऐसा ही मामला है। ये दोनों भारत से बाहर नहीं गए थे। अधिकारी पता लगा रहे हैं कि क्या ये किसी मरीज के संपर्क में तो नहीं आए थे?
30 मार्च तक किस राज्य में कितने मामले सामने आए, यहां देखें:
इस चिंंता के मद्देनजर पूर्ण नजरबंदी (लॉकडाउन) को पूरी तरह कामयाब बनाना जरूरी है। इसमें जनता की भागीदारी ज्यादा महत्वपूर्ण है।
लॉकडाउन को लेकर आंकड़े कुछ इस तरह के संदेश दे रहे हैं। दक्षिण कोरिया का उदाहरण है कि उसने लॉकडाउन लागू नहीं किया, फिर भी संक्रमण ज्यादा फैलने नहीं दिया। उसने शुरुआती चरण से अत्यधिक टेस्ट कर मामले को काबू में किया। इसके उलट, बेल्जियम ने भारत की तरह ही शुरुआती चरण में लॉकडाउन कर दिया। हालांकि, इसके बावजूद वहां संक्रमण के मामले अपेक्षाकृत ज्यादा पाए गए, क्योंकि वहां टेस्ट कम लोगों के किए गए।
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