दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पूरे होने की कगार पर हैं। जहां अमेरिका, रूस और चीन की कई कंपनियों के तीसरे स्टेज के ट्रायल खत्म होने के साथ ही नतीजे आने शुरू हो गए हैं। वहीं, भारत में भी एक घरेलू कंपनी ने फाइनल स्टेज ट्रायल की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। एक अन्य कंपनी भी तीसरे स्टेज में पहुंचने ही वाली है।

दुनिया में कितनी वैक्सीन ट्रायल स्टेज पर?: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में 212 जगहों पर वैक्सीन तैयार करने की कोशिश चल रही है। इन 212 में 164 जगहों पर वैक्सीन अभी प्री-क्लीनिकल स्टेज में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी 21 संभावित वैक्सीन पहले फेज के ट्रायल में हैं, जबकि 16 दूसरे फेज और 11 तीसरे फेज में हैं। सबसे पहले रूस की स्पूतनिक, अमेरिका की फाइजर और जर्मनी के साथ साझा तौर पर बनी मॉडर्ना ने वैक्सीन के प्रभाव के नतीजे जारी कर दिए हैं।

जहां स्पूतनिक 92 फीसदी असरदार है, वहीं मॉडर्ना 94.5 फीसदी और फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन 95 फीसदी प्रभावी पाई गई हैं। मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन को अमेरिकी फूड एंड ड्रग्स एडिमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की तरफ से अब आपात मंजूरी मिलने का ही इंतजार है। फाइजर ने इस साल के अंत तक 2-4 करोड़ डोज उतारने की बात कही है। अगले साल दोनों कंपनियां 100-100 करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन करेंगी।

भारत में कितनी वैक्सीन ट्रायल स्टेज में, कौन सी सफल: भारत में कई घरेलू और विदेशी वैक्सीन ट्रायल के लिए उतारी जा रही हैं। हालांकि, इनमें भारत बायोटेक की COVAXIN, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका की कोविशील्ड और जायडस कैडिला की एक संभावित वैक्सीन शामिल है।

1. सबसे आगे इस वक्त भारत बायोटेक की कोवैक्सिन ही है, जिसका तीसरे फेज का ट्रायल शुरू हो चुका है। इसे ICMR और नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की निगरानी में टेस्ट किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इसके नतीजे दिसंबर के अंत या जनवरी तक आ सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन भी कह चुके हैं कि भारत में अगले कुछ महीनों में ही वैक्सीन का काम पूरा होने की उम्मीद है।

2. दूसरी तरफ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन भी भारत में अंतिम चरण के ट्रायल में है। इसे भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की तरफ से तैयार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इसके क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे जनवरी 2021 तक आ जाएंगे। इससे पहले कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने बताया था कि कंपनी चार करोड़ डोज तैयार कर चुकी है।

3. भारतीय कंपनी जायडस कैडिला की वैक्सीन अभी दूसरे स्टेज के ट्रायल में है। इसके नतीजे अच्छे आने के संकेत मिले हैं। ऐसे में तीसरे फेज के ट्रायल जल्द शुरू होने के आसार हैं। जायडस कैडिला पर भी सरकार ने नजर बनाई है और माना जा रहा है कि कोवैक्सिन के बाद इस कंपनी की वैक्सीन भारत में आएगी।

Pfizer या मॉडर्ना भारत के लिए कौन सी वैक्सीन बेहतर?: जानकारों की मानें तो फाइजर की वैक्सीन सामान्य फ्रीजर में सिर्फ पांच दिन ही ठीक रह सकती है, जबकि इसे लंबे समय तक स्टोर करने के लिए माइनस 70 डिग्री तापमान की जरूरत होगी। दूसरी तरफ मॉडर्ना की वैक्सीन को बहुत ठंडे तापमान में रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में 30 दिन के लिए रेफ्रीजरेट किया जाता है। यह समय बायोएनटेक और फाइजर की वैक्सीन की तुलना में काफी ज्यादा है। यह -20 डिग्री सेल्सियस (-4 फारेनहाइट) तापमान में छह महीने तक और कमरे के सामान्य तापमान में 24 घंटे तक सुरक्षित रह सकती है। यानी मॉडर्ना की वैक्सीन भारत के दूर-दराज के इलाकों में कोल्ड स्टोरेज की समस्या की वजह से प्रभावित नहीं होगी।