कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है। इस घोषणा के बाद श्रमिकों और बेरोजगारों के बीच संकट बढ़ रहा है। राज्य सरकारों को प्रवासी श्रमिकों की मदद करने और उन्हें राहत देने के लिए कहा गया है, लेकिन उन्हें राज्य की सीमाओं के पार अपने गांवों में वापस जाने की अनुमति नहीं है। ऐसे में इन गरीबों का कहना है कि सरकार इन लोगों की मदद नहीं कर रही है। अबतक उन्हें सरकार ने मदद के नाम पर 500 रुपये भी नहीं दिए। 5 किलो राशन दिए महीना हो गया ऐसे में वे लोग गुजारा कैसे करेंगे।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के बालाघाट शहर के 28 वर्षीय एक प्रवासी श्रमिक विशाल मिसरे ने बताया कि उनकी पत्नी अचानक आधी रात को नींद से उठ गई और बच्चों को याद कर रोने लगी। मिसरे ने बताया कि उनकी बेटी और दोनों बेटे गाँव में उनके माता-पिता के साथ हैं। लॉकडाउन होने की वजह से वे वहां नहीं जा पाये हैं।

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मध्य प्रदेश के 48 निर्माण श्रमिकों में से एक मिसरे अब हैदराबाद के बाहरी इलाके मियापुर क्रॉस रोड पर एक विवाह घर में रेह रहे हैं। सोमवार रात उन्होंने कैंप छोड़कर जाने की कोशिश की थी लेकिन पुलिस उन्हें पकड़ कर वापस ली आई।

मिसरे ने फरवरी से मार्च में लॉकडाउन लगने तक जो भी कमाया था वह अब खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि मेरे पास अब कोई पैसे नहीं बचे हैं। मिसरे ने दावा किया कि केंद्र सरकार द्वारा 500 रूपाय देने का वादा किया था वह भी नहीं मिला। उन्होंने बताया कि पिछले महीने हमें 5 किलो चावल और दाल दिया गया था। लुधियाना के जिला अधिकारियों ने कहा कि वे इन कठिन परिस्थितियों में सर्वोत्तम संभव सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।

देश में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोविड-19 से मरने वालों की संख्या बढ़कर 480 हो गई है। वहीं संक्रमित लोगों की संख्या 14,378 पहुँच गई है।

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