मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सीनियर Congress नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि भारत के लोगों को गिनी पिग्स (Guinea Pigs) नहीं बनाना चाहिए। देश की जनता किसी Coronavirus Vaccine के लिए प्रयोगशाला नहीं हो सकता है। सिंह ने इसके अलावा हरियाणा के हेल्थ मिनिस्टर पर भी निशाना साधा, जो हाल ही में वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा लेने के बाद संक्रमित पाए गए थे।
सोमवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “सीमित समय में जो प्रोटोकॉल है, उसके साथ कंप्रोमाइज किया जा सकता है। पर वैश्विक नेताओं में जो होड़ लग गई है…कौन सी फॉर्मासूटिकल कंपनी में कौन सी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाए। इससे हमें बचना चाहिए। गिनी पिग नहीं बनाना चाहिए। भारत के लोगों को ये नहीं बनाना चाहिए।”
बकौल दिग्विजय, “अब हरियाणा के मंत्री विज साहब। शोहरत पाने के लिए उन्होंने वैक्सीन ली और उन्होंने कोरोना हो गया। फिर स्पष्टीकरण दिया जा रहा है। बात ये है कि ये नया रोग-वायरस है। इसमें जब तक बड़े स्तर पर ट्रायल्स…वैसे तो कोई भी वैक्सीन आती है, तो इंसानों पर प्रयोग से पहले जानवरों पर होता है। खैर, यहां पर सीधे इंसानों पर कर रहे हैं। इस पर बड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि भारत किसी वैक्सीन के लिए कोई प्रयोगशाला नहीं हो सकती है।”
सुनें, उन्होंने क्या कहाः
#WATCH …People of India should not be made Guinea pigs. Haryana’s Minister Vij sahab got himself vaccinated to gain fame and later got infected with COVID. He’s now explaining about doses and duration…: Congress leader Digvijaya Singh pic.twitter.com/y93oOepf2v
— ANI (@ANI) December 7, 2020
दरअसल, दो खुराकों वाले स्वदेशी परीक्षण टीके ‘कोवैक्सिन’ की पहली खुराक लगवाने के 15 दिनों बाद हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने शनिवार को कहा था कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। 67 वर्षीय हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना के खिलाफ भारत बायोटेक द्वारा विकसित किये जा रहे संभावित टीके कोवैक्सिन के तीसरे चरण के परीक्षण में पहला स्वयंसेवी बनने की पेशकश की थी। उन्हें 20 नवंबर को इसकी खुराक अम्बाला छावनी के सिविल अस्पताल में दी गई थी।
हालांकि, टीके के प्रभावी होने को लेकर व्यक्त की जा रही चिंताओं पर सफाई देते हुए भारत बायोटेक ने ट्विटर पर कहा कि नैदानिक परीक्षण दो खुराकों के कार्यक्रम पर निर्धारित हैं, पहला टीका लगने के 28 दिनों बाद दूसरा टीका लगाया जाता है। उसने कहा कि टीके के प्रभाव का निर्धारण दूसरी खुराक दिये जाने के दो हफ्ते बाद किया जाता है।
हैदराबाद स्थित टीका बनाने वाली कंपनी ने कहा, “कोवैक्सिन इस तरह तैयार की गई है कि दूसरी खुराक प्राप्त करने के दो हफ्ते बाद स्वयंसेवक का इस बीमारी से बचाव हो पाएगा। तीसरे चरण का परीक्षण एक ‘डबल ब्लाइंड’ अध्ययन है जहां स्वयंसेवक के टीका या प्रायोगिक औषध में से एक प्राप्त करने की 50 प्रतिशत गुंजाइश रहती है।”
क्या होता है Guinea Pig?: नाम में पिग यानी सुअर है, पर ये सुअर नहीं होता। यह चूहे या फिर गिलहरी सरीखा एक छोटा सा जानवर है। इसे नन्हे और अद्भुद वन्य जीवों में गिना जा सकता है। यह रोडेंट भी कहा जाता है। ये शाकाहारी होता है और बगैर पानी लंबे वक्त तक रह सकता है। लंबे समय से इसे वैज्ञानिकों के शोधों के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। वैसे, कई मुल्कों में इसका मीट भी खाया जाता है। हालांकि, पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले अमेरिकी संगठन People for the Ethical Treatment of Animals (पेटा) के मुताबिक, गिनी पिग्स हमारी और आपकी ही तरह जीव होते हैं।