देश में हर दिन कोरोना से हजारों लोगों की मौत हो रही है। लेकिन इस दौर में भी कुछ लोग मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस ने मेयो अस्पताल में कोरोना शवों से कीमती वस्तुओं की चोरी करने वाले 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं मध्यप्रदेश में नकली रेमडेसिविर मामले में साक्ष्य मिटाए जाने का मामला सामने आया है।
नागपुर में गिरफ्तार आरोपी गणेश उत्तम डेकाते और उसका मित्र छत्रपाल किशोर सोनकुसेर दोनों स्पीक एंड स्पॉन कंपनी के कर्मचारी हैं। उपचार के दौरान मरीजों की मौत होने के बाद ये उनके शव को उठाने का कार्य करते हैं। मरीजों के परिजनों को अंतिम संस्कार के वक्त दूर ही रखा जाता है। इसी का लाभ उठाकर आरोपी पीपीई किट पहनकर शव से कीमती सामान की चोरी कर लेते थे। पुलिस ने दावा किया है कि इन आरोपियों ने आधा दर्जन से अधिक शवों से कीमती समान ले लिए थे।
आरोपियों के पास से पुलिस ने 14 हजार 500 रुपये नकदी, सोने के आभूषण, 8 लेडीज घड़ी, मोबाइल समेत कुल 1 लाख 68 हजार रुपये का माल बरामद किया है।इधर मध्यप्रदेश के जबलपुर में नकली रेमडेसीविर इंजेक्शन मामले में चौकाने वाला खुलासा हुआ है। आरोपी सरबजीत सिंह मोखा पर नकली इंजेक्शन तोड़कर सबूत मिटाने का आरोप लगा है।
पुलिस जांच में पता चला है कि मोखा की पत्नी जसमीत और सिटी अस्पताल की एडमिनिस्ट्रेटर सोनिया ने सबूतों को छिपाने और नष्ट करने का प्रयास किया है। पुलिस ने इस मामले में इंदौर के राकेश मिश्रा को भी आरोपी बनाया है।
बताते चलें कि अपराध निरोधक शाखा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) गुरुप्रसाद पराशर ने कहा है कि हमने महीने भर के दौरान 21 मामलों में 57 आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए उनके कब्जे से रेमडेसिविर के कुल 473 इंजेक्शन बरामद किए हैं। हालांकि, इनमें से करीब 400 इंजेक्शनों के नकली होने का संदेह है जिन्हें गुजरात के अंतरप्रांतीय गिरोह ने संभवतः नमक और ग्लूकोज से बनाया था।” उन्होंने बताया, “हमने रेमडेसिविर के संदिग्ध इंजेक्शनों की शीशियों के पदार्थ के नमूने लेकर इन्हें औषधि विभाग की भोपाल स्थित प्रयोगशाला भेजा है। इनकी जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।” पराशर ने संबंधित दवा कम्पनी का नाम जाहिर किए बगैर बताया कि संदिग्ध इंजेक्शनों के पैकेट पर जिस कम्पनी का मार्का लगा है, वह कम्पनी रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाती ही नहीं है।