बिहार की नीतीश सरकार पहले बाहर के राज्यों में फंसे मजदूरों और छात्रों की बिहार वापसी का खुल कर विरोध करती रही थी। लेकिन, राजनीतिक मजबूरी में फंस कर वह पीछे हट गए और अब सारे नियम-कानून ताख पर रख कर बाहर के राज्यों से आए लोगों को उनके घर पहुंचाया जा रहा है। 5 मई को कोटा और कुछ अन्य शहरों से लोगों के बिहार पहुँचने पर यह साफ-साफ दिखाई दिया।

पटना के दानापुर स्टेशन पर जब ट्रेन आई तो उससे उतरे लोगों ने न तो खुद शारीरिक दूरी के निर्देशों का पालन किया और न किसी ने करवाया। एक-दूसरे से सटते हुए लोग ट्रेन से उतर कर स्टेशन से बाहर निकले। उन्हें उनके गृह जिला तक पहुंचाने के लिए बसों का इंतजाम किया गया था। केंद्र का साफ निर्देश है कि बसों में सवारियों के बीच शारीरिक दूरी बनी रहे, इसका ख्याल रखा जाए।

इसके बावजूद बसों में मजदूर और छात्र भर दिए गए। दूरी तो दूर, हालत यह थी कि एक के ऊपर दूसरा शख्स बैठा नजर आया।स्टेशन परिसर से बाहर, थोड़ी दूरी पर तो और भी अजीबोगरीब नजारा था। रेड जोन में होने के बावजूद लिट्टी-चाय की रेहड़ियाँ लगी थीं। इन रेहड़ियों पर आम लोगों के साथ ही पुलिसवाले भी चाय-नाश्ता कर रहे थे।

बताया जाता है कि ट्रेन में भी नियमों का उल्लंघन हुआ। दानापुर में उतरे कुछ लोगों ने बताया कि उनसे टिकट के पैसे लिए गए। यह केंद्र सरकार के संशोधित निर्देशों और खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा के खिलाफ है। कुमार ने कहा है कि मजदूरों से किराया नहीं वसूला जाएगा। उन्होंने तो उल्टा बाहर से आने वाले मजदूरों को पैसे देने की बात कही है।मजदूरों से किराए पर राजनीति तेज होने के बाद केंद्र सरकार ने भी साफ किया था कि 85 प्रतिशत किराया रेलवे वहन कर रहा है और 15 प्रतिशत संबन्धित राज्य सरकार से लिया जा रहा है।

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बता दें कि कुछ ही दिन पहले कोटा में फंसे छात्रों को बिहार वापस लाए जाने का मुद्दा गरम होने पर नीतीश कुमार ने कहा था कि इस समय जो जहां हैं, उनका वहीं रहना बेहतर होगा। लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों ने अपने यहाँ के छात्रों के लिए बसें कोटा भेज दीं। तब मामला और गरम हुआ।

मामला गरमाने के बाद भी बिहार सरकार का यही कहना था कि बसों का इंतजाम करने की उसकी हैसियत नहीं है। तब केंद्र सरकार ने अचानक विशेष ट्रेनें चलाने की घोषणा की। शुरुआती घोषणा के मुताबिक राज्य सरकारों के अनुरोध पर रेलवे को अपनी सेवाएँ देनी थी। बदले में राज्य सरकारों से उसे किराया लेना था।

मजदूरों से किराया वसूली पर जब विपक्ष और खुद कुछ भाजपा नेताओं ने सवाल उठाया तब केंद्र की ओर से सफाई आई कि 85 फीसदी किराया रेलवे दे रहा है। उधर नीतीश कुमार ने भी न केवल सभी फंसे लोगों को बिहार लाने की घोषणा की, बल्कि आने के बाद उन्हें नकद रुपए देने का भी ऐलान कर दिया। बताया जाता है कि अकेले कोटा में बिहार के करीब 12 हजार छात्र फंसे हैं। अभी एक-तिहाई से ज्यादा छात्र बिहार पहुँच चुके हैं। इस सप्ताह बाकी सभी के भी पहुँच जाने की उम्मीद है।

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