बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी चौथी लिस्ट में 39 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। कांग्रेस अब तक अपने 89 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है। इस बार कांग्रेस लेफ्ट और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। सीट बंटवारे में कांग्रेस के खाते में 92 सीटें आई हैं। 2016 के चुनाव में कांग्रेस लेफ्ट के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ी थी। पार्टी ने 92 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 44 जीतकर असेंबली पहुंच सके।
शनिवार रात जारी लिस्ट में कांग्रेस ने सात उम्मीदवार पांचवें चरण के लिए, दस उम्मीदवार छठे चरण के लिए, 12 उम्मीदवार सातवें चरण के लिए और 10 उम्मीदवार आठवें चरण के लिए उतारे हैं। कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में 5.67% वोट मिले थे। उस दौरान पार्टी मुर्शिदाबाद और मालदा दक्षिण सीट ही जीत सकी। बंगाल को कांग्रेस कितनी अहमियत दे रही है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि लोकसभा में उसने नेका प्रतिपक्ष का जिम्मा बंगाल के सांसद अधीर रंजन को दिया है।
Congress releases a list of 39 candidates for #WestBengalElections2021 pic.twitter.com/IeFb0oZWwU
— ANI (@ANI) March 20, 2021
उधर, बीजेपी बंगाल में 282 सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। इनमें 46 नाम ऐसे हैं जो 2019 लोकसभा चुनाव के बाद दो साल से कम के अर्से में पार्टी से जुड़े। उसके 34 प्रत्याशी तृणमूल से, 6 सीपीएम से, 4 कांग्रेस से और 1-1 फारवर्ड ब्लॉक, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा से हैं। 46 में से 36 प्रत्याशी ऐसे हैं जो छह माह के दौरान ही बीजेपी में शामिल हुए और टिकट ले गए। इन लोगों का नाम टिकट की लिस्ट में आने से बीजेपी के कोर वर्कर को परेशानी हो रही है। सारे सूबे में इसे लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।
बंगाल में असेंबली की कुल 294 सीटें हैं। बीजेपी ने एक सीट अपने सहयोगी दल एजेएसयू को दी है। विरोध प्रदर्शन पर बीजेपी के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य कहते हैं कि बंगाल में केवल 294 सीटें हैं। हर व्यक्ति को टिकट नहीं दिया जा सकता है। जो लोग तोड़फोड़ या हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं, वो किसी भी पार्टी के मेंबर कैसे हो सकते हैं। बीजेपी ऐसे किसी भी कृत्य की निंदा करती है। लेकिन बाहर के लोगों को तरजीह देने पर पार्टी के अपनों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा। कुछ नेता पार्टी को अलविदी भी कह रहे हैं।
सोवन चटर्जी और बैसाखी चटर्जी ऐसे ही नेताओं की फेहरिस्त में शुमार हैं। पार्टी प्रधान दिलीप घोष को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, उनका बीजेपी में रहने का अब कोई इरादा नहीं है। अपनी फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा, वो खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। साजिशें ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह पाएंगी। बीजेपी में विरोध इतना ज्यादा मुखर हो चुका है कि गृह मंत्री अमित शाह को भी अपना शेड्यूल बदलकर सोमवार को गुवाहाटी से कोलकाता आना पड़ गया।
इन सबके बीच पार्टी की किरकिरी इस बात को लेकर भी हो रही है कि जिन लोगों ने टिकट नहीं मांगा उन्हें उम्मीदवार बना दिया गया। ऐसे लोगों में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत सोमेन मित्रा की पत्नी शिखा मित्रा और टीएमसी विधायक के पति तरुण साहा का नाम शामिल है। बीजेपी ने चार बार विधायक रहे 89 साल के रबिंदरनाथ भट्टाचार्य को सिंगूर से उम्मीदवार बनाया है। उम्र के पैमाने पर टीएमसी ने अपने इस पुराने नेता का नाम टिकट सूची से काट दिया था। उधर, टीएमसी का कहना है कि बीजेपी को प्रत्याशी मिल ही नहीं रहे हैं। इसी वजह से पहले सांसदों को मैदान में उतारना पड़ा तो अब दूसरे दलों से आए नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा जा रहा है।