साल 2016 में हुए राफेल विमानों की डील में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच फ़्रांस में शुरू हो गई है। इस मामले को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गई है। रविवार को कांग्रेस ने राफेल सौदे की जांच को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए पूछा कि अगर दो सरकारों के बीच यह समझौता हुआ है तो इसमें नरेंद्र मोदी सरकार अपने आप को कैसे अलग रख सकती है। जब फ़्रांस सरकार ने इसकी जांच शुरू कर दी है। वहीं इस मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को क्लीन चिट देने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई भी मौन हैं। 

रविवार को प्रेस कांफ्रेस में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि फ्रांस राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और पक्षपात की जांच कर रहा है। दो सरकारों के साथ हुए इस सौदे में यह सब कैसे हो सकता है जब इसमें कोई बिचौलिया शामिल नहीं था। अब इस मामले में एक पक्ष कैसे चुप रह सकता है जब दूसरे पक्ष ने इसकी न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अब यह पूरी तरीके से भ्रष्टाचार का ही मामला लग रहा है।

इसके अलावा कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी पूछा कि इस पूरे में मामले प्रधानमंत्री का क्या कहना है, आखिर राफेल सौदा फ़्रांस और भारत के बीच हुआ था और अब इसमें एक पक्ष को भ्रष्टाचार के होने का शक है। साथ ही कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जिस समय यह डील हुई थी तब तक राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री नहीं थे लेकिन अब उन्हें पूरे तथ्यों के साथ अपना पक्ष रखना चाहिए। यह विडंबना ही है कि जिस देश को फायदा हुआ है वो इस मामले की जांच कर रहा है और जिस देश को इस सौदे में नुकसान हुआ है वह चुप है। साथ ही खेड़ा ने पूछा कि क्या जब पूरी दुनिया राफेल सौदे की जांच को देख रही है तो भारत सरकार इस पूरे मामले में चुप्पी साधे रहेगी?

वहीं राफेल सौदे की जांच की मांग करने वाले याचिका को ख़ारिज कर सरकार को क्लीन चिट देने वाले सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई भी इस पूरे मामले में मौन हैं। द टेलीग्राफ के अनुसार जब उसने रंजन गोगोई से इस मामले को लेकर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कुछ भी कहने से साफ़ मना कर दिया। साल 2018 में रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेच ने राफेल सौदे की जांच की मांग करने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया था। इस मामले की सुनवाई के चार महीने बाद रंजन गोगोई को राष्ट्रपति की तरफ से राज्यसभा के लिए नामित किया गया था। 

भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपये के राफेल विमान सौदे में कथित ‘भ्रष्टाचार और लाभ पहुंचाने’ के मामले में फ्रांस के एक न्यायाधीश को न्यायिक जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। फ्रांस के राष्ट्रीय वित्तीय अभियोजक कार्यालय (पीएनएफ) की ओर से जांच की पहल की गई है। सौदे में कथित अनियमितताओं को लेकर अप्रैल में ‘मीडिया पार्ट’ की एक रिपोर्ट सामने आने और फ्रांसीसी एनजीओ ‘शेरपा’ की ओर से शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद पीएनएफ द्वारा जांच का आदेश दिया गया है। दो सरकारों के बीच हुए इस सौदे को लेकर जांच 14 जून को औपचारिक रूप से आरंभ हुई। इस सौदे पर फ्रांस और भारत के बीच 2016 में हस्ताक्षर हुए थे।