कोरोनावायरस के मद्देनजर लगे लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री ने लोगों से रविवार रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घर की लाइट बुझाकर दीये, टॉर्च या मोबाइल फ्लैशलाइट के जरिए रोशनी करने को कहा। माना जा रहा है कि पीएम की इस अपील को लोग आसानी से मानेंगे। हालांकि, विपक्ष ने पीएम की जनता से इन मांगों पर सवाल पूछे हैं। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ‘द क्विंट’ के लिए लिखे लेख में कहा है कि प्रधानमंत्री जी हम दीये तो जला लेंगे, लेकिन उसके आगे क्या?

थरूर ने कहा, “प्रधानमंत्री ने एक रविवार को हमसे तालियां बजवाईं और थाली-पैन बजवाए। इस रविवार वे चाहते हैं कि हम दीया और मोमबत्ती जलाएं। जनता इसे मानकर खुश होगी, लेकिन जब लॉकडाउन खत्म होगा, तो प्रधानमंत्री खुद क्या करेंगे?”

“वैसे तो कैबिनेट सचिव ने लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की बातों को अफवाह करार दिया है, लेकिन जैसे कोरोनावायरस के मामले बढ़ रहे हैं। उससे कई लोगों को लगता है कि 21 दिन का लॉकडाउन काफी नहीं होगा। इसे कम से कम 49 दिन तक बढ़ाना होगा। इसके बाद ही वायरस का खतरा कम होगा। चीन और अन्य क्षेत्रों के अनुभव से साफ है कि कई हफ्तों के लॉकडाउन का ही बेहतर प्रभाव हुआ था।”
Coronavirus से जुड़ी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: कोरोना वायरस से बचना है तो इन 5 फूड्स से तुरंत कर लें तौबा | जानिये- किसे मास्क लगाने की जरूरत नहीं और किसे लगाना ही चाहिए |इन तरीकों से संक्रमण से बचाएं | क्या गर्मी बढ़ते ही खत्म हो जाएगा कोरोना वायरस?

थरूर ने कहा, “सरकार ने लॉकडाउन लगाकर अच्छा फैसला किया। इसके बिना कोरोनावायरस आपदा में तब्दील हो सकता था और स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ सकता था और मौतें भी ज्यादा हो सकती थीं। लेकिन अगर ऐसा ज्यादा दिन तक चला तो हमारी अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी, इससे नौकरियों पर खतरा पैदा हो जाएगा, भुखमरी शुरू होगी और करोड़ों के लिए भयानक स्थिति होगी।”

केरल से कांग्रेस सांसद थरूर ने कहा, “सरकार को लॉकडाउन की 21 दिन की अवधि पूरी होने के बाद चरणबद्ध तरीके से कार्य शुरू करने चाहिए। इसे स्टेजेस में करना चाहिए। कुछ और महीनो के लिए स्कूलों-कॉलेजों को बंद रख बच्चों की पढ़ाई ई-लर्निंग के जरिए सुनिश्चितकी जा सकती है। फिजिकल डिस्टेंसिंग के लिए 50 से ज्यादा लोगों की भीड़ को बैन किया जाना चाहिए। एक बार में किसी दुकान में 5 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर भी रोक लगाई जा सकती है। हमें हर जंक्शन और मार्केटप्लेस पर हाथ धोने के स्टेशन स्थापित करने चाहिए जिसे स्थानीय व्यापारी ही मैनेज करें। हैंड सैनिटाइजर्स सब्सिडी पर उपलब्ध होना चाहिए।”