कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर इशारों-इशारों में मोदी सरकार पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने ट्विटर पर सवाल किया कि दुनिया के अधिकतर तानाशाहों के नाम अंग्रेजी के ‘एम’ से क्यों शुरू होते हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ” क्यों इतने सारे तानाशाहों के नाम एम से शुरू होते हैं। मार्कोस, मुसोलिनी, मिलोसेविक, मुबारक,मुशर्रफ और मिकोम्बेरो”।
मामले पर हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने कहा, ”अनजान राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि अधिकतर तानाशाहों के नाम M से शूरू होते हैं। मैंने उनसे पूछा है कि मोहनदास करमचंद गांधी अहिंसा के पुजारी थे जो सारे विश्व में जाने जाते हैं। उनका नाम भी M शब्द से शूरू होता है। उनके बारे में उनकी क्या राय है।”
इससे पहले राहुल गांधी ने बैरिकेड और तारों की एक तस्वीर शेयर की थी। जो कि किसानों के प्रदर्शन स्थल के पास लगाई हैं। इन तस्वीरों को शेयर करते हुए राहुल गांधी ने लिखा था पुल बनाइए न कि दीवारें। बता दें कि सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल को सुरक्षा बलों ने किले में बदल दिया है। एक ओर जहां कड़ी सुरक्षा तैनात है तो वहीं बैरिकेडिंग मजबूत की जा रही है।
गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने बैरिकेड के बीच से तारें लगाई हैं। जिससे कि किसान दिल्ली की तरफ न आ सकें। वहीं पुलिस ने सिंघू बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए रास्ता खोद कर कीलें बिछा दी हैं। दीवार खड़ी कर रास्ते को ब्लॉक भी किया जा रहा है।
इससे पहले भी राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि पीएम मोदी किसानों पर हमला कर देश को कमजोर कर रहे हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ”पीएम मोदी किसानों पर हमला कर देश का नुकसान कर रहे हैं। इससे सिर्फ देश विरोधी लोगों को लाभ होगा।”
बता दें कि सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद कृषि कानूनों पर गतिरोध नहीं टूटा है। 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा की घटना के बाद किसानों ने इस शनिवार को देशव्यापी “चक्का जाम” का आह्वान किया है।
हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान, नवंबर के अंत से दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीन कृषि कानूनों को रद्द किया जाए और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए।
पिछले साल सितंबर में तीन कृषि कानूनों को केंद्र द्वारा कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश किया गया था। दावा किया गया था कि ये बिचौलियों को खत्म कर देंगे और किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा होगी। हालाँकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने अपनी आशंका व्यक्त की है कि नए कानून एमएसपी की सुरक्षा को खत्म कर देंगे और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट की दया पर छोड़ देंगे।