संसद की लोकलेखा समिति (PAC) बुधवार को हुई बैठक में अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के कोरोना संकट के मुद्दों को उठाने पर भाजपा और जदयू के सदस्यों ने आपत्ति जताई तो उन्होंने अपना चेयरमैन पद छोड़ने की धमकी दे दी। उन्होंने कहा कि कमेटी को कोविड की तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों और प्रतिक्रियाओं पर चर्चा करनी चाहिए। इस दौरान भाजपा के जगदंबिका पाल और जदयू के ललन सिंह ने गंभीर आपत्ति जताई।
हालांकि अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इससे पहले की लोकसभाओं के लोक लेखा समितियों की बैठक में स्वत: संज्ञान लेकर 2जी स्पेक्ट्रम से लेकर सड़क निर्माण तक के मुद्दों पर चर्चा की जाती रही हैं। अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की बातों से सदस्यों में कोई फर्क नहीं पड़ा। इससे वे बिफर गए और अपना पद छोड़ने की धमकी देने लगे। इस मुद्दे को लेकर सदस्यों के बीच गंभीर रूप से टकराव हुआ और विरोध दिखा।
इससे पहले लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि पीएसी की बैठक बुलाने और सरकार की कोविड-19 टीकाकरण नीति पर चर्चा करने की अनुमति दी जाए, जिससे इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कारगर ढंग से विचार-विमर्श की जा सके।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने कहा कि संसद और उसकी समितियों, विशेष रूप से पीएसी की, “महामारी के कारण वर्तमान में हमारे सामने आने वाली समस्याओं से निपटने और हल करने के तरीकों पर चर्चा, विचार-विमर्श और सुझाव और सिफारिशें देने के माध्यम से निर्वहन करने की गंभीर जिम्मेदारी है।”
उन्होंने लिखा, “अतीत में ऐसे कई मौके आए हैं, जब अध्यक्ष की अनुमति या निर्देश पर, लोक लेखा समिति ने गंभीर मुद्दों पर चर्चा-विचार-विमर्श के लिए मामलों को उठाया और सरकार को कार्रवाई करने के लिए टिप्पणियां और सिफारिशें कीं।”
उन्होंने कहा था, “आज कोविड-19 से निपटने के लिए लोगों को टीका लगाने की नीति केंद्रीय और अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। चूंकि एक प्रभावी टीकाकरण नीति पर ही जीवन और आजीविका निर्भर है। ऐसे में मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया पीएसी को इस विषय पर सरकार के प्रतिनिधियों यानी स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और अन्य संबंधित लोगों से मिलने की अनुमति दें। उन्होंने लिखा यह बैठक कोविड की स्थिति को देखते हुए भौतिक या वर्चुअली किसी भी रूप में हो सकती है।”