कांग्रेस की कलह के बीच गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने कहा है कि अगर अहमद पटेल आज होते तो जी-23 (कांग्रेस के असंतुष्ट माने जाने वाले नेताओं का समूह) नहीं होता। मौजूदा समय में पार्टी नेतृत्व उनकी सलाह की कमी महसूस कर रहा है। उन्होंने इसके अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा को बड़ी जिम्मेदारी देने के दल के फैसले को “मिस फायर” बता दिया।
गुरुवार (17 मार्च, 2022) को वाघेला ने कहा कि पटेल के निधन के बाद कांग्रेस में ऐसा कोई नेता नहीं है जो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का मार्गदर्शन कर सके और इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है।
कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता ने उत्तर प्रदेश चुनाव की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी वाड्रा को देने के कांग्रेस के फैसले को ‘मिस फायर’ करार दिया। कहा, “चुनावों में कांग्रेस के हालिया प्रदर्शन से पता चलता है कि पार्टी अहमद पटेल की कमी महसूस कर रही है। उनके निधन के बाद, उनकी जगह लेने और नेतृत्व का मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं है। अगर पार्टी को उनके जैसा कोई मिल गया होता, तो यह जी -23 जैसे गुट बनाने का कोई कारण नहीं था।”
एक दिन पहले दिल्ली में कांग्रेस के असंतुष्ट माने जाने वाले जी-23 गुट के नेताओं की बैठक में शामिल हुए वाघेला ने गुजरात के गांधीनगर में अपने आवास पर पत्रकारों से ये बातें कहीं। बता दें कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार और एक भरोसेमंद विश्वासपात्र अहमद पटेल का 2020 में निधन हो गया था, जबकि साल 2017 में कांग्रेस छोड़ने के बाद वाघेला खुद अब किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं।
इस बीच, कांग्रेस नेतृत्व ने ‘जी 23’ से संपर्क साधने और उनका पक्ष सुनने की कवायद चालू कर दी। गुरुवार को इसी के तहत हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राहुल गांधी से मुलाकात की। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी के साथ उनकी एक घंटे से अधिक समय तक चली मुलाकात के दौरान हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों और पार्टी को मजबूत करने के संदर्भ में चर्चा हुई। राहुल गांधी ने हुड्डा को हरियाणा की राजनीतिक स्थिति पर बातचीत के लिए बुलाया था।
साथ ही इस ग्रुप के प्रमुख सदस्य गुलाम नबी आजाद की 18 मार्च, 2022 को पार्टी चीफ से मिलने के आसार हैं। ‘जी23’ समूह से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं ने उन कदमों के बारे में चर्चा की है जो उनके मुताबिक कांग्रेस को मजबूत करने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने यह फैसला भी किया कि वे अपने इस पक्ष से नेतृत्व को अवगत कराएंगे कि उनकी मंशा सिर्फ पार्टी के संगठन को मजबूत करने की है ताकि ‘भारत के विचार (आइडिया ऑफ इंडिया) को बचाया जा सके क्योंकि यह काम सिर्फ कांग्रेस कर सकती है।’