पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तौलने के लिए जो सोना रखा गया था, वह आखिरकार सीनियर Congress नेता और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार का हो गया है।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, बुधवार को जिला और सेशन कोर्ट ने सोना सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स के असिस्टेंट कमिश्नर को हवाले करने का निर्देश दिया। सोना अब तक उदयपुर कलेक्टर के दफ्तर की तिजोरी में रखा था। बताया जाता है कि इस सोने का दाम पांच साल पहले करीब 4.76 लाख था, पर मौजूदा समय में इतना ही सोना 27.39 लाख रुपए से ज्यादा की है।

दरअसल, करीब 56 साल पहले दिवंगत शास्त्री को उदयपुर में तौलने के लिए 56.86 किलोग्राम सोना चितौड़गढ़ कलेक्टर के पास रखवाया गया था, पर उनको इससे तौलाए जाने के पहले ही ताशकंद में उनका देहांत हो गया था।

बता दें कि ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले शास्त्री के कुंदन यानी खरे सोने के समान आचार-व्यवहार और अंदाज के लिए राजस्थानी लोग उन्हें सोने से तौलना चाहते थे। लोगों ने इसके लिए सोना जमा किया था, पर उनकी यह तम्मना हमेशा के लिए अधूरी ही रह गई।

लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे और उनका असल नाम- लाल बहादुर वर्मा था। यूपी में बनारस स्थित काशी विद्यापीठ से स्तानक की पढ़ाई के बाद उन्हें ‘शास्त्री’ टाइटल दिया गया था। उनका जीवन इतना सादा और सरल था कि शास्त्री ने शादी में दहेज में खादी के कपड़े और चरखा लिया।

महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए वह जेल गए थे। आजादी के बाद वह जब परिवहन मंत्री नियुक्त किए गए, तब उन्होंने ही पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन में महिला ड्राइवरों और कंडक्टरों के प्रावधान को पेश किया था।