सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईवीएम ‘ओके’ है… बाकी मुद्दे आयोग के हवाले। कुछ देर तक एक मायूसी-सी हवा में छाई रही। फिर विपक्ष के एक रणबांकुरे ने यह कहा कि हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन लड़ाई लंबी है। दूसरे विपक्ष के नेता ने कहा कि इस चुनाव में ‘मैच फिक्सिंग’ कर रहे हैं। एक नेत्री जी भी कहिन कि इन्होंने पहले ही गड़बड़ कर रखी है, वरना कैसे कह सकते हैं कि चार सौ पार..! फिर चार सौ पार की व्याख्या की जाती रही कि चार सौ पार इसलिए, ताकि भाजपा संविधान बदल सके।
इसके बाद तो ‘आरक्षण बरक्स आरक्षण’ जम कर हुआ। इसी कारण ‘कोटा बरक्स कोटा युद्ध’ कई दिन चैनल चर्चा में छाया रहा। एक विपक्षी कहिन कि चार सौ पार लाए तो ये आरक्षण हटा देंगे। उधर ‘चार सौ पार’ वाले कहिन कि कांग्रेस आई तो अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को काटकर उसकी जगह धार्मिक आधार पर मुसलिम अल्पसंख्यक को आरक्षण दे देगी, जबकि धार्मिक आधार पर कोटा देना गैरकानूनी होगा। जब ‘कोटा बरक्स कोटा’ खूब हो चुका तो ‘चार सौ पार’ वाले मोदी ने कहा कि ये सुनिश्चित करें कि कोटा भीतर मुसलिम अल्पसंख्यक को कोटा नहीं देंगे… 370 नहीं हटाएंगे..!
फिर एक बार और स्वयं मोदी ने साफ किया कि कांग्रेस झूठ फैला रही कि संविधान बदल देंगे, आरक्षण खत्म कर देंगे। आज बाबा साहब आ जाएं तो वे भी संविधान नहीं बदल सकते। इसके अलावा एक दिन एक चैनल पर मोदी ने लंबा साक्षात्कार देकर कांग्रेस के घोषणापत्र के एलानों की धज्जियां बिखेरीं।
साथ ही अपनी नीतियों के बारे में विस्तार से बताया। फिर अमित शाह ने भी एक रैली में साक्षात्कार देते हुए बहुत से आरोपों का जवाब दिया। इसी बीच भाजपा के एक नेता ने साफ किया कि पहले दो चरण में भाजपा 2.0 से आगे है। फिर एक चैनल पर भाजपा के एक बड़े नेता की मार्फत लाइन आई कि 4 जून को दोपहर 12.30 पर 400 पार।
इसी क्रम में एक दिन चुनाव आयोग ने पहले दो चरणों में हुए मतदान फीसद के आकड़ों को ‘अद्यतन’ कर नए आंकड़े दिए तो मतदान इतना कम भी न दिखा, जितना बताया जाता रहा। मगर नए आंकड़ों पर चर्चा किसी चैनल ने न कराई। नए आंकड़ों पर विपक्ष के नेता सिर्फ इतना ही कह सके कि आयोग को अधिक पारदर्शी होना चाहिए।
फिर एक दिन कांग्रेस को बड़ा झटका दिल्ली अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली के इस्तीफे ने दिया और दूसरा झटका इंदौर के कांग्रेसी उम्मीदवार ने आखिरी दिन अपना नाम वापस लेकर दिया। यही नहीं, उम्मीदवार भाजपा के एक नेता के साथ जाता दिखा। फिर भी कांग्रेस में कहीं कोई अफसोस और आह-कराह नहीं।
फिर आया मारिया जी का बयान कि ‘वोट जिहाद’ करें… जो मुसलमान भाजपा को वोट देते हैं, उनका हुक्का-पानी बंद करें। इसे देख एक एंकर ने कटाक्ष किया कि अब तो साफ है कि कुछ मुसलमान भाजपा को भी वोट करते हैं। भाजपा को मुंहमांगी मुराद मिली। उसके प्रवक्ता तुरंत हमलावर कि ये वही ‘जिहादी मानसिकता’ है, जिसने देश का बंटवारा कराया।
एक एंकर ने जब एक मुसलिम विद्वान से ‘वोट जिहाद’ का मतलब पूछा तो वे बोले कि इसका मतलब है मुसलमान अधिक संख्या में वोट डालने आएं। इसके बाद चर्चा में ‘ध्रुवीकरण’ छाया रहा। विपक्षी कहते कि भाजपा ध्रुवीकरण करती है तो भाजपा का जवाब आता कि कांग्रेस तो ध्रुवीकरण की मास्टर है। वह तो ‘कोटा में कोटा’ काटकर अल्पसंख्यकों को देती है।
और फिर एक दिन आया एक ‘डीपफेक’ यानी ‘जाली वीडियो’, जिसने गृहमंत्री से वह कहलवाया जो उन्होंने कहा नहीं था। एक चैनल ने ‘असली’ और ‘डीप फेक’ को अलग-अलग बजाकर साफ किया कि गृहमंत्री ने तो कहा था कि वे एससी-एसटी, ओबीसी आरक्षण को काटकर अल्पसंख्यकों को दिए जाते आरक्षण को हटाएंगे, जबकि ‘डीपफेक’ वाला वीडियो बजाता रहा कि वे एससी-एसटी आरक्षण को हटाएंगे। इसके बाद ‘डीपफेक’ पर केस हुआ। जांच जारी!
इसके बाद आई पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के सांसद पौत्र प्रज्वल रेवन्ना के ‘वीडियो’ की सनसनीखेज कहानी और उसके विदेश भाग जाने की खबर। इस पर विपक्ष बम-बम कि सदी के सबसे बड़े घोटाले पर केंद्र क्यों सोया रहा? उसे क्यों भागने दिया? भाजपा ने तुरंत साफ किया कि उसका भाजपा से कोई संबंध नहीं। वह जेडीएस का है। फिर तीन महीने से वीडियो की खबर राज्य को थी, तब उसने कुछ क्यों नहीं किया।
अंतत: शुक्रवार की सुबह खबर दी गई कि राहुल रायबरेली से नामांकन भरेंगे, जबकि अमेठी से कांग्रेस के केएल शर्मा लड़ेंगे। प्रियंका प्रचार करेंगी। कई एंकर कहे कि ये फैसला पहले भी हो सकता था। इस हिचक को देख अमित शाह ने चुटकी ली कि कांग्रेस आत्मविश्वास खो चुकी है। एक चैनल ने लाइन दी: अमेठी से डर… इसलिए रायबरेली की डगर!
