नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 के खिलाफ छात्रों के प्रदर्शन और विश्वविद्यालय परिसर में तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए शनिवार (14 दिसंबर) को जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने पांच जनवरी तक छुट्टी की घोषणा कर दी और सभी परीक्षाओं को रद्द कर दिया। मामले में विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘सभी परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। आने वाले समय में नई तारीखों की घोषणा की जाएंगी। 16 दिसंबर से पांच जनवरी तक छुट्टी घोषित की गई है। विश्वविद्यालय छह जनवरी 2020 से खुलेगा।’ बता दें कि पूरे देश में कैब को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है।
पुलिस और छात्रों के बीच हुई थी झड़पः कानून के विरोध में छात्रों ने शुक्रवार (13 दिसंबर) को संसद की तरफ मार्च करने का प्रयास किया जिसके बाद पुलिस और छात्रों में संघर्ष हो गया। इससे विश्वविद्यालय एक तरह से युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया। इससे पहले दिन में विश्वविद्यालय प्रशासन ने शनिवार (13 दिसंबर) को निर्धारित परीक्षा रद्द करने की घोषणा की थी।
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छात्रों ने बनाया था परीक्षा बॉयकॉट की योजनाः बता दें कि छात्रों ने शनिवार को विश्वविद्यालय में बंद बुलाया था। उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून तथा शुक्रवार के मार्च के दौरान पुलिस के साथ हिंसक संघर्ष के विरोध में परीक्षाओं का बॉयकॉट करने की योजना बनाई थी।
छात्रों ने कहा आगे भी करते रहेंगे विरोधः 25 वर्षीय छात्र निहाल अशरफ ने कहा, ‘परीक्षा सिर पर थी लेकिन इसे रद्द कर दिया गया। अगर देश में कुछ गलत होता है तो जामिया अपनी आवाज उठाएगा। हमने कक्षा और परीक्षाओं का बहिष्कार किया है। हमलोग अपने अधिकारों के लिए बार-बार मार्च निकालते रहेंगे।’
छात्रों ने लगाया पुलिस पर हमला का आरोपः बीए राजनीति विज्ञान के छात्र वजाहत (22) ने कहा, ‘शुक्रवार को जब हम मार्च निकाल रहे थे तब दिल्ली पुलिस ने हम पर बर्बर हमला किया। हमले के दौरान कई छात्र घायल हो गए। उन्होंने छात्रों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। हमने परीक्षा का बहिष्कार किया है।’
सरकार मुख्य मुद्दों पर नहीं कर रही फोकस-छात्रः मामले में एक अन्य छात्र पप्पू यादव ने कहा, ‘हर व्यक्ति जीना चाहता है। यह इजराइल या सीरिया नहीं है। हमें बांग्लादेश से सीखना चाहिए कि उन्होंने कैसे चरमपंथियों को मार डाला और आर्थिक लोकतंत्र का चयन किया। सरकार मुख्य मुद्दों पर फोकस नहीं कर रही है।’