अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के तथ्यों के मुताबिक पिछले छह दशक में शुरू किए गए चंद्र मिशन में सफलता का अनुपात 60 प्रतिशत रहा है। नासा के मुताबिक इस दौरान 109 चंद्र मिशन शुरू किए गए, जिसमें 61 सफल हुए और 48 असफल रहे। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा चंद्रमा की तहत पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को उतराने का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो सका। लैंडर का अंतिम छणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है।इस साल इजराइल ने भी फरवरी 2018 में चंद्र मिशन शुरू किया था, लेकिन यह अप्रैल में नष्ट हो गया।
Chandrayaan-2 Moon Landing Live Updates in Hindi
वर्ष 1958 से 2019 तक भारत के साथ ही अमेरिका, यूएसएसआर (रूस), जापान, यूरोपीय संघ, चीन और इजराइल ने विभिन्न चंद्र अभियानों को शुरू किया। पहले चंद्र अभियान की योजना अमेरिका ने 17 अगस्त, 1958 में बनाई, लेकिन पाइनियर 0 का लॉन्च असफल रहा। पहला सफल चंद्र अभियान चार जनवरी 1959 में यूएसएसआर का लूना 1 था। यह सफलता छठे चंद्र मिशन में मिली। एक साल से थोड़े अधिक समय के भीतर अगस्त 1958 से नवंबर 1959 के दौरान अमेरिका और यूएसएसआर ने 14 अभियान शुरू किए। इनमें से सिर्फ 3 – लूना 1, लूना 2 और लूना 3 – सफल हुए। ये सभी यूएसएसआर ने शुरू किए थे।
इसके बाद जुलाई 1964 में अमेरिका ने रेंजर 7 मिशन शुरू किया, जिसने पहली बार चंद्रमा की नजदीक से फोटो ली। रूस द्वारा जनवरी 1966 में शुरू किए गए लूना 9 मिशन ने पहली बार चंद्रमा की सतह को छुआ और इसके साथ ही पहली बार चंद्रमा की सतह से तस्वीर मिलीं।पांच महीने बाद मई 1966 में अमेरिका ने सफलतापूर्वक ऐसे ही एक मिशन सर्वेयर-1 को अंजाम दिया। अपोलो 11 अभियान एक लैंडमार्क मिशन था, जिसके जरिए इंसान के पहले कदम चांद पर पड़े। तीन सदस्यों वाले इस अभियान दल की अगुवाई नील आर्मस्ट्रांग ने की। वर्ष 1958 से 1979 तक केवल अमेरिका और यूएसएसआर ने ही चंद्र मिशन शुरू किए। इन 21 वर्षों में दोनों देशों ने 90 अभियान शुरू किए। इसके बाद जपान, यूरोपीय संघ, चीन, भारत और इस्राइल ने भी इस क्षेत्र में कदम रखा।
नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री जेरी लिनेंगर ने शनिवार को कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की ‘साहसिक कोशिश’ से मिला अनुभव भविष्य के मिशन में सहायक होगा। वर्ष 1986 से 2001 तक पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित रूसी अंतरिक्ष केंद्र मीर में लिनेंगर पांच महीने तक रहे थे। वह शुक्रवार को नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर चंद्रयान-2 की लैंडिंग के सजीव प्रसारण में शामिल हुए। ईमेल के जरिए ‘पीटीआई’ को दिए साक्षात्कार में लिनेंगर ने कहा, ‘‘ हमें इससे हताश नहीं होना चाहिए। भारत कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है जो बहुत ही कठिन है। लैंडर से संपर्क टूटने से पहले सबकुछ योजना के तहत था।’’ लिनेंगर ने इंगित किया कि दुर्भाग्यवश लैंडर चंद्रमा की सतह से 400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होवर प्वाइंट तक नहीं पहुंच सका। उन्होंने कहा,‘‘ अगर वह उस बिंदु पर पहुंच जाता और उसके आगे असफल होता तब भी बहुत लाभ होता क्योंकि रडार अल्टीमीटर और लेजर का प्रशिक्षण हो जाता, लेकिन जब आप पीछे मुड़कर बड़ी तस्वीर देखते हैं, तो यह कोशिश निश्चित तौर पर आने वाले अभियानों के लिए लाभदायक होगी।’’
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का अंतिम क्षणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने के बाद माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर इसरो के वैज्ञानिकों के समर्थन में प्रेरणादायी संदेशों की बाढ़ आ गई। इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने शनिवार तड़के घोषणा की कि लैंडर से जमीनी स्टेशन का संपर्क टूट गया और आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है। एक ट्विटर यूजर ने कहा, ‘‘इसरो के मेरे प्रिय मेहनती और प्रेरणादायी वैज्ञानिकों, सिर्फ इतना याद रखिए कि विज्ञान के क्षेत्र में कोई हार नहीं होती, जीत होती है और फिर सीख होती है। मुझे भरोसा है कि आपने चंद्रयान-2 के दौरान काफी कुछ सीखा होगा, जो भविष्य के मिशनों में निश्चित तौर पर हमारी मदद करेगा।’’ विक्रम की लैंडिंग के मद्देनजर ट्विटर पर हैशटैग चंद्रयान2 ट्रेंड कर रहा था। संपर्क टूटने की खबर आने के बाद 87,000 ट्वीट किए गए।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के तथ्यों के मुताबिक पिछले छह दशक में शुरू किए गए चंद्र मिशन में सफलता का अनुपात 60 प्रतिशत रहा है। नासा के मुताबिक इस दौरान 109 चंद्र मिशन शुरू किए गए, जिसमें 61 सफल हुए और 48 असफल रहे। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा चंद्रमा की तहत पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को उतराने का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो सका। लैंडर का अंतिम छणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है।इस साल इजराइल ने भी फरवरी 2018 में चंद्र मिशन शुरू किया था, लेकिन यह अप्रैल में नष्ट हो गया।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने शनिवार को कहा कि चंद्रयान-2 अपने मिशन के 95 प्रतिशत उद्देश्यों में सफल रहा है। अंतरिक्ष विभाग के पूर्व सचिव एवं अंतरिक्ष आयोग के पूर्व अध्यक्ष नायर ने कहा कि ऑर्बिटर सही है चंद्रमा की कक्षा में सामान्य रूप से काम कर रहा है। वहीं चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने सहित कई अन्य उद्देश्य थे। चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने पर नायर ने शनिवार को कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि हमें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है... मैं कहूंगा कि मिशन के 95 प्रतिशत से अधिक उद्देश्य पूरे हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आर्बिटर अंतरिक्ष में पहुंच गया है और उसे मानचित्रण का काम अच्छे से करना चाहिए।’’करीब एक दशक पहले चंद्रयान-1 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद चंद्रयान-2 मिशन शुरू किया गया, जिसमें एक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल था।
चंद्रयान-2 अभियान के विक्रम लैंडर से चांद की सतह पर पहुंचने से कुछ ही मिनटों पहले संपर्क टूट जाने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शनिवार को वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि उतार-चढ़ाव तो जीवन का हिस्सा है और आपको सफलता जरुर मिलेगी। उन्होंने विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह के करीब तक पहुंचाने में सफल रहने पर इसरो और उसके वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि इसरो ने हमेशा देशवासियों को खुशियां मनाने का अवसर प्रदान किया है। दास ने ट्वीट किया, ‘‘उतार-चढ़ाव तो जीवन का हिस्सा है और आपको सफलता जरुर मिलेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपको भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं।’’मुख्यमंत्री ने जमशेदपुर में कहा कि इसरो की टीम की मेहनत और उपलब्धियों पर पूरे देश को गर्व है। मिशन चंद्रयान का सफर बेहद प्रेरणादायी और बेमिसाल है। उन्होंने कहा कि उतार-चढ़ाव तो जीवन का हिस्सा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम से शुक्रवार देर रात संपर्क टूट गया लेकिन पिछले साल भी इस मिशन की लॉन्चिंग सैन्य उपग्रह जीसैट-6ए से संपर्क टूटने की वजह से टाली गई थी। जीसैट-6 ए को मार्च 2018 में प्रक्षेपित किया गया था और इसका मकसद धरती पर बने केंद्रों की मदद से दुर्गम स्थलों पर सैन्य संचार स्थापित करने में सहायता करना था। हालांकि, कुछ दिनों के बाद इसरो ने कहा कि उसका जीसैट-6ए से संपर्क टूट गया है। इसरो ने तब कहा था कि उपग्रह में लगे दूसरे इंजन को चालू करने के बाद संपर्क टूट गया और दोबारा इसे साधने की कोशिश की जा रही। उस समय चंद्रयान-2 को अक्टूबर-2018 में प्रक्षेपित करने की योजना थी। अधिकारियों ने तब कहा था कि वे कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहते और करोड़ों डॉलर की चंद्रयान-2 परियोजना की सफलता को पुख्ता करना चाहते हैं। चंद्रयान को पिछले साल अक्टूबर में लांच करने की योजना को स्थगित कर इस साल की शुरूआत में करने की एक वजह जीसैट-6ए से संपर्क टूटना भी था। बाद में इसे जुलाई तक के लिए टाल दिया गया। चंद्रयान-2 में कोई खामी नहीं आए इसलिए इसरो ने विशेषज्ञों का समूह गठित किया।
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने शनिवार को कहा कि पूरा देश इसरो के वैज्ञानिकों के साथ खड़ा है। गौरतलब है कि भारत के चंद्रयान-2 मिशन को शनिवार तड़के उस समय झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा की सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘चंद्रयान-2 में कुछ चुनौतियों बेशक आयी हो लेकिन पूरे देश को इसरो के हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है जो दुनिया में उन खास लोगों में से हैं जिनके पास इतने बड़े स्तर के अंतरिक्ष मिशनों की विशेषज्ञता और क्षमताएं हैं।’’उन्होंने कहा, ‘‘आर्बिटर की चांद पर संभावनाओं की तलाश और मिशन को आगे ले जाने की यात्रा जारी है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘हम बहुत करीब पहुंच गए थे लेकिन अभी हमें और आगे जाना होगा। आज से मिली सीख हमें और मजबूत तथा बेहतर बनाएगी। देश को हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रमों और वैज्ञानिकों पर गर्व है। हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में अभी सर्वश्रेष्ठ होना बाकी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रयास सार्थक रहे और यात्रा भी। यह हमें और मजबूत तथा बेहतर बनाएगी। एक नयी सुबह होगी और बेहतर कल होगा। मैं आपके साथ हूं, देश आपके साथ है।’’
चंद्रयान -2 के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा कि यह सफर थोड़ा लंबा जरूर हुआ है लेकिन आने वाले कल में सफलता जरूर मिलेगी। सोनिया ने एक बयान में इसरो के वैज्ञानिकों के उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, ''हम इसरो और इससे जुड़े पुरुषों एवं महिलाओं के ऋणी हैं। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में अग्रणी देशों की कतार में शामिल कर दिया है और आगे की पीढ़ियों को प्रेरित किया है कि वे सितारों तक पहुंचे।'' कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ''यह हमारे वैज्ञानिकों की उल्लेखनीय क्षमता, ख्याति और हर भारतीय के दिल में उनके लिए खास जगह होने का प्रमाण है।’’ उन्होंने कहा, ''''चंद्रयान का सफर थोड़ा लंबा जरूर हुआ है लेकिन इसरो का इतिहास ऐसी मिसालों से भरा पड़ा है कि नाउम्मीदी में उम्मीद पैदा हुई। वे कभी हार नहीं मानते। मुझे कोई संदेह नहीं है कि हम वहां पहुंचेंगे, भले ही आज नहीं पहुंच पाए, लेकिन कल हम जरूर पहुंचेंगे।''
एक वरिष्ठ इसरो अधिकारी ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने ‘विक्रम’ लैंडर और उसमें मौजूद ‘प्रज्ञान’ रोवर को संभवत: खो दिया है। इससे पहले लैंडर जब चंद्रमा की सतह के नजदीक जा रहा था तभी निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग से चंद मिनटों पहले उसका पृथ्वी स्थित नियंत्रण केंद्र से सपंर्क टूट गया। चंद्रयान-2 मिशन से करीब से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने से कहा, ‘‘लैंडर से कोई संपर्क नहीं है। यह लगभग समाप्त हो गया है। कोई उम्मीद नहीं है। लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना बहुत ही मुश्किल है।’’
पीएम नरेंद्र मोदी के सामने इसरो चीफ भावुक हो गए। पीएम ने उन्हें गले लगाकर उनका साहस बढ़ाया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि वे मिशन में आई रुकावटों के कारण अपना दिल छोटा नहीं करें, क्योंकि नई सुबह जरूर होगी। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से कहा, ‘‘ हर मुश्किल, हर संघर्ष, हर कठिनाई, हमें कुछ नया सिखाकर जाती है, कुछ नए आविष्कार, नई टेक्नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है और इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती हैं। ज्ञान का अगर सबसे बड़ा शिक्षक कोई है तो वो विज्ञान है।’’ इसरो के मिशन कंट्रोल सेंटर से प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘ विज्ञान में विफलता नहीं होती, केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें सबक लेना है, सीखना है। हम निश्चित रूप से सफल होंगे। कामयाबी हमारे साथ होगी। ’’
चंद्रमा की सतह को छूने से चंद मिनट पहले लैंडर ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने के बाद इसरो के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि चंद्रयान-2 का आॅर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है। अधिकारी ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘आॅर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में पूरी तरह ठीक एवं सुरक्षित है और सामान्य तरीके से काम कर रहा है।’’ 2379 किलोग्राम आॅर्बिटर के मिशन का जीवन काल एक साल है। उल्लेखनीय है कि 3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके-3 एम1 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था। चंद्रयान-2 ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को इसरो द्वारा ‘ट्रांस लूनर इन्सर्शन’ नाम की प्रक्रिया को अंजाम दिये जाने के बाद शुरू की थी। यह प्रक्रिया अंतरिक्ष यान को ‘लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री’ में पहुंचाने के लिये अपनाई गई। चंद्रयान-2 के ‘ऑर्बिटर’ में चंद्रमा की सतह का मानचित्रण करने और पृथ्वी के इकलौते उपग्रह के बाह्य परिमंडल का अध्ययन करने के लिए आठ वैज्ञानिक उपकरण हैं।
प्लान था कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को 14 दिन चांद की सतह पर रख कर आंकड़े जुटाए जाएं, प्रयोग किए जाएं। चंद्रयान 2 का ऑरबाइटर कंपोनेंट सही काम कर रहा था और कंट्रोल रूम को सिग्नल भेज रहा था। विक्रम लैंडर ने भी रफ्तार कम करने के लिए अपनी गति की दिशा में चार थ्रस्टर्स सफलतापूर्वक फायर किए। संपर्क टूटने से पहले विक्रम ने परवलायाकार रास्ते पर करीब 585 किलोमीटर का फासला तय किया। चांद की सतह पर उतरने से पहले होवर को लैंडिंग के लिए सही जगह तलाशना था। कुछ ही सेकंड में यह प्रक्रिया होने वाली थी, पर उससे पहले ही संचार संपर्क टूट गया और कोशिश नाकामयाब हुई।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि देश को इसरो के वैज्ञानिकों पर गर्व है।कोविन्द ने ट्वीट किया, ‘‘चंद्रयान-2 मिशन के साथ इसरो की समूची टीम ने असाधारण प्रतिबद्धता और साहस का प्रदर्शन किया है। देश को इसरो पर गर्व है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करते हैं।’’ वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी इसरो वैज्ञानिकों से कहा कि वे निराश न हों और उनकी उपलब्धियों पर देश को गर्व है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसरो वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने मिशन पर बेहतरीन काम किया तथा कई और महत्वपूर्ण एवं महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों की नींव रखी है। गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘इसरो को ‘चंद्रयान-2’ मिशन पर उसके बेहतरीन कार्य के लिए बधाई। आपका भाव और समर्पण हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा है। आपका काम व्यर्थ नहीं जाएगा। इसने कई और महत्वपूर्ण तथा महत्वाकांक्षी भारतीय अंतरिक्ष मिशनों की नींव रखी है।’’
इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने जानकारी दी, लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह पर लाने की प्रक्रिया सामान्य देखी गई, लेकिन बाद में लैंडर का संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया, डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ISRO मुख्यालय पहुंच गए हैं। मोदी चंद्रयान-2 की लैंडिंग को देखने के लिए बेंगलुरु पहुंचे हैं। पीएम यहां वे 70 बच्चों के साथ लैंडिंग देखेंगे।
'विक्रम' की 'सॉफ्ट लैंडिंग' नजदीक है। इसमें एक घंटे से कम का समय बचा है। चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' के चांद पर उतरने के कुछ घंटे बाद रोवर 'प्रज्ञान' बाहर निकलेगा और चंद्रमा की सतह पर चहलकदमी शुरू कर देगा।
शुक्रवार देर रात एक बजकर 10 मिनट से सॉफ्ट लैंडिंग का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण होगा। इसे इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर भी लाइव देखा जा सकेगा।
चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग का गवाह बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर्नाटक पहुंच गए हैं। शुक्रवार रात वह बेंगलुरू एयरपोर्ट पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने उनका स्वागत किया। पीएम अब वहां से इसरो सेंटर जाएंगे।
चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि यह अभियान श्रेष्ठ भारतीय प्रतिभा और तपस्या की भावना को परिलक्षित करता है। पीएम मोदी ने ट्वीट में कहा, ‘‘इसकी सफलता से करोड़ों भारतीयों को लाभ होगा।’’
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास के इस अभूतपूर्व क्षण का गवाह बनने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बेंगलूर स्थित इसरो के केंद्र में मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘इस क्षण का 130 करोड़ भारतीय काफी उत्साह के साथ प्रतीक्षा कर रहे हैं। अब से कुछ घंटे बाद में चंदयान 2 अपने आखिरी गंतव्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच जाएगा। भारत और शेष दुनिया हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के शानदार प्रदर्शन को एक बार फिर देखेगी।’’
मोदी ने कहा कि इस विशेष क्षण को देखने के लिये विभिन्न राज्यों के युवा मौजूद रहेंगे। इस अवसर पर भूटान के भी युवा मौजूद रहेंगे। पीएम ने कहा, ‘‘जिन युवाओं के साथ बेंगलूरू स्थित इसरो के केंद्र में मैं इस विशेष क्षण को देखूंगा, वे ऐसे मेधावी मस्तिष्क हैं जिन्होंने इसरो अंतरिक्ष क्विज जीता है।’’
इसरो के अनुसार, लैंडर में तीन वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देंगे, जबकि रोवर के साथ दो वैज्ञानिक उपकरण हैं जो चांद की सतह से संबंधित समझ बढ़ाएंगे। इसरो ने कहा है कि ‘चंद्रयान-2’ अपने लैंडर को 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश में दो गड्ढों- ‘मैंजिनस सी’ और ‘सिंपेलियस एन’ के बीच ऊंचे मैदानी इलाके में उतारने का प्रयास करेगा।
लैंडर के चांद पर उतरने के बाद इसके भीतर से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस यानी के पृथ्वी के 14 दिनों की अवधि तक अपने वैज्ञानिक कार्यों को अंजाम देगा। सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ भारत को रूस, अमेरिका और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगी। इसके साथ ही भारत अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय लिखते हुए चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला विश्व का प्रथम देश बन जाएगा।
नरेंद्र मोदी ने इसरो के मिशन चंद्रयान-2 को लेकर शुक्रवार को एक अपील की। ट्वीट कर कहा- मेरी अपील है कि आप सभी चंद्रयान-2 से जुड़े खास पल देखें, जब वह चांद के ल्यूनर दक्षिणी पोल पर पहुंचे! सोशल मीडिया पर उससे जुड़े फोटो भी शेयर करिएगा। मैं उन्हें रीट्वीट करूंगा। यह रहा उनका ट्वीटः
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता के जरिए इसरो द्वारा देशभर से चुने गए दर्जनों छात्र-छात्राएं, बड़ी संख्या में मीडिया कर्मी और अन्य इसरो टेलीमेंट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के जरिए यहां इस ऐतिहासिक लम्हे का सीधा नजारा देखेंगे। भारत जब चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की कोशिश करेगा तो सभी की नजरें लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ पर टिकी होंगी। 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसे चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के लिए तैयार किया गया है।
यह एक चंद्र दिवस के लिए काम करेगा। एक चंद्र दिवस पृथ्वी के करीब 14 दिनों के बराबर होता है। रोवर 27 किलोग्राम वजनी छह पहिया रोबोटिक वाहन है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस है। इसका नाम ‘प्रज्ञान’ है जिसका मतलब ‘बुद्धिमत्ता’ से है। यह ‘लैंडिंग’ स्थल से 500 मीटर तक की दूरी तय कर सकता है और यह अपने परिचालन के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा। यह लैंडर को जानकारी भेजेगा और लैंडर बेंगलुरु के पास ब्याललु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क को जानकारी प्रसारित करेगा।
सॉफ्ट लैंडिंग का दूरदर्शन पर शुक्रवार देर रात एक एक बजकर 10 मिनट से सीधा प्रसारण किया जाएगा। इसे इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर भी प्रसारित किया जाएगा। इस मिशन से जुड़े एक अधिकारी ने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘निश्चित ही पूरी (चंद्रयान-2) टीम के मन में घबराहट है क्योंकि यह एक जटिल अभियान है और हम पहली बार ऐसा कर रहे हैं।’’
‘चंद्रयान 2’ के लैंडर ‘विक्रम’ की चांद पर प्रस्तावित 'सॉफ्ट लैंडिंग' से कुछ घंटों पहले इसरो अध्यक्ष के.सिवन ने शुक्रवार को बताया कि इस बहुप्रतीक्षित लैंडिंग के लिए चीजें योजना के अनुसार आगे बढ़ रही हैं। सिवन ने शुक्रवार को ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘हम लैंडिंग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सब कुछ योजना के मुताबिक हो रहा है।’’ बता दें कि विक्रम’ शुक्रवार देर रात डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा। ‘विक्रम’ के अंदर रोवर ‘प्रज्ञान’ होगा जो शनिवार सुबह साढ़े पांच से साढ़े छह बजे के बीच लैंडर के भीतर से बाहर निकलेगा।
चंद्रमा से जुड़े इसरो के चंद्रयान-2 मिशन को लेकर देश खासा उत्साहित है। शनिवार तड़के इसका लैंडर विक्रम की सफल सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इससे पहले, शुक्रवार को देश के कई हिस्सों में इस मिशन के सफल होने के लिए लोगों ने पूजा-अर्चना और हवन-यज्ञ तक किए।
इसके अलावा जगह-जगह विभिन्न तरीकों से इस मिशन की महत्ता दिखाने के लिए प्रयास हुए। मसलन तेलंगाना के हैदराबाद में गणेश पंडाल को चंद्रयान-2 थीम पर सजाया गया। वहां पांच फुट की गणेश भगवान की प्रतिमा के साथ 23.5 फुट की लंबाई वाला चंद्रयान-2 का मॉडल रखा गया है। (फोटोः ANI)
अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्विज प्रतियोगिता के जरिए देशभर से चुने गए लगभग 60-70 हाईस्कूल छात्र-छात्राओं के साथ इस ऐतिहासिक लम्हे का सीधा नजारा देखने के लिए इसरो के बेंगलुरु केंद्र में मौजूद रहेंगे।
चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चीफ ममता बनर्जी ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को घेरा है। सीएम ने कहा है कि इस मिशन का महिमामंडन अर्थव्यवस्था की पस्त हालत छिपाने के लिए किया जा रहा है।
6 पहियों वाला यह रोबोटिक वाहन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से लैस है। यह लैंडिंग वाली जगह से 500 मीटर तक की दूरी तय कर सकता है और यह सोलर एनर्जी के जरिए अपना परिचालन करेगा। रोवर चांद की जानकारी लैंडर को भेजेगा और लैंडर बेंगलुरू के स्थित इसरो सेंटर को जानकारी मुहैया कारएगा।
15 मिनट की जटिल प्रक्रिया पार करने के बाद लैंडर 'विक्रम' चांद की सतह पर उतरेगा। इसके बाद इसके भीतर से रोवर 'प्रज्ञान' बाहर आएगा। प्रज्ञान चांद की सतह पर 14 दिनों तक वैज्ञानिक कार्यों को पूरा करेगा। यह रोवर 27 किलोग्राम वजनी 6 पहिया रोबोटिक वाहन है जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से लैस है। प्रज्ञान नाम देने काम तात्पर्य बुद्धिमता से है।
प्रधानमंत्री मोदी ने होने वाली सॉफ्ट लैंडिंग को एक ऐतिहासिक घटना करार दिया है। उन्होंने कहा है कि लोग इस ऐतिहासिक घटनाक्रम को जरूर देखें और तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करें। पीएम ने कहा कि वह भी कुछ लोगों की तस्वीरों को रीट्वीट करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर अपनी एक्साइटमेंट का इजहार किया है। पीएम ने कहा कि उनके साथ देश के युवा और भूटान के भी युवा मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया भारतीय वैज्ञानिकों का आज कौशल देखेगी।
सफलता से सॉफ्ट लैंडिंग करने की चुनौती इसरो के सामने हैं। हालांकि, इसरो को अपनी सफलता का पूरा यकीन है। क्योंकि, चंद्रयान 2 के रोवर के अंदर रीसर्च से जुड़े सभी जरूरी उपकरण मौजूद हैं। वैसे अगर इतिहास पर नज़र डालें तो सॉफ्ट लैंडिंग के सिर्फ 37 फीसदी कोशिशें ही सफल हो पाई हैं।
चांद की सतह पर लैंडर विक्रम के सॉफ्ट लैंडिंग के लिए देश भर में प्रार्थनाओं का दौर चल रहा है। जैसा कि बताया गया है कि इस लैंडिंग के दौरान 15 मिनट का वक्त काफी जटिल रहने वाला है, ऐसे में सफल लैंडिंग के लिए देश में जनता अलग-अलग जगहों पर पार्थनाएं कर रही है।