केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रस्तावित केंद्रीय विस्टा प्रोजेक्ट से सरकार को एक हजार करोड़ रुपए के वार्षिक किराए की बचत होगी। प्रस्तावित प्रोजेक्ट में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक चार स्क्वायर किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित कई ऐतिहासिक इमारतों का पुनर्निर्माण और पुनर्विकास किया जाएगा।
इसमें पांच प्लॉटों के लिए लैंड यूज में संशोधन किया गया है जिसमें मौजूदा संसद के बगल में नया संसद भवन और प्रधानमंत्री के लिए नया आवास बनाने का प्रस्ताव शामिल है। प्रस्ताव में 10 भवनों में सभी 51 मंत्रालयों को रखने के लिए एक आम सचिवालय बनाने का भी प्रस्ताव है।
CPWD द्वारा दाखिल हलफनामे में बताया गया कि ऑफिस स्पेस में करीब 0.38 मिलियन स्क्वायर मीटर की कमी है जिसके चलते सरकार को हर साल किराए के रूप में एक हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। हलफनामे को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के साथ भी नत्थी किया गया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट राजीव सूरी और लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) अनुज श्रीवास्तव द्वारा सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के खिलाफ दायर दो जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था। इसमें सेंट्रल विस्टा कमेटी (CVC) द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र दिए जाने और नए संसद भवन के निर्माण के लिए पर्यावरणीय मंजूरी पर भी सवाल उठाए गए हैं।
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बता दें कि नए प्रोजेक्ट में एक आधुनिक संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव है जिसमें संयुक्त सत्र में लोकसभा और राज्यसभा के 1224 सदस्य तक बैठ सकते हैं। इसके अलावा सभी मंत्रालयों के लिए 10 प्रशासनिक भवन होंगे, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक को संग्रहालयों में बदलना और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का डवलपमेंट शामिल है जो राजपथ को इंडिया गेट से जोड़ता है।