जातिगत जनगणना के विषय पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला, बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हर बात को ध्यान सुनी। नीतीश कुमार के साथ राजद नेता तेजस्वी यादव भी प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले नेताओं में शामिल थे उन्होंने कहा कि जब पेड़-पौधों की गिनती होती है तो फिर इंसानों की क्यों नही होनी चाहिए?
तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल सिर्फ बिहार की जातीय जनगणना के लिए नहीं मिला। हम इसे राष्ट्रीय स्तर पर चाहते हैं। राजद नेता ने कहा कि बिहार विधानसभा में दो बार जातीय जनगणना का प्रस्ताव पारित हुआ और आख़िरी जातीय जनगणना 1931 में हुई। इससे पहले 10-10 साल में जातीय जनगणना होती रही। जनगणना से सही आंकड़े सामने आएंगे जिससे हम लोगों के लिए बजट में योजना बना सकते हैं।
बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भारतीय जनता पार्टी के स्टैंड में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि बीजेपी कभी भी जातिगत जनगणना का विरोधी नहीं रही है। इसीलिए हम इस मुद्दे पर विधान सभा और विधान परिषद में पारित प्रस्ताव का हिस्सा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले बिहार के प्रतिनिधिमण्डल में भी भाजपा शामिल है। उन्होंने ट्वीट किया कि वर्ष 2011 में भाजपा के गोपीनाथ मुंडे ने जातीय जनगणना के पक्ष में संसद में पार्टी का पक्ष रखा था।
लेकिन उस समय उस समय केंद्र सरकार के निर्देश पर ग्रामीण विकास और शहरी विकास मंत्रालयों ने जब सामाजिक, आर्थिक, जातीय सर्वेक्षण कराया, तब उसमें करोड़ों त्रुटियां पायी गईं। जातियों की संख्या लाखों में पहुंच गई थी। जातीय जनगणना कराने में अनेक तकनीकि और व्यवहारिक कठिनाइयां हैं, फिर भी भाजपा सैद्धांतिक रूप से इसके समर्थन में है।
बताते चलें कि पत्रकारों से बातचीत में नीतीश कुमार ने रविवार को कहा था कि हमलोग शुरू से ही जातीय जनगणना को लेकर अपनी बात कह रहे हैं। बिहार ही नहीं पूरे देश में लोग इसके बारे में सोचते हैं। इसी दृष्टिकोण को लेकर हमलोग अपनी बात रखेंगे।