CAA-NRC Protest Latest News: तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार के फैसले काफी हद तक भेदभावपूर्ण रहे हैं और नोटबंदी की ही तरह संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) भी गरीबों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा।
ब्रायन एक प्रमुख ‘‘लॉ स्कूल’’ में सीएए पर आयोजित परिचर्चा में भाग ले रहे थे। उन्होंने कहा कि नया नागरिकता कानून लागू करने के केंद्र के फैसले के कारण देश “गंभीर संकट” का सामना कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि 2016 में नोटबंदी से गरीबों का काफी नुकसान हुआ था। सीएए, एनआरसी से भी गृहिणियां, छात्र, बैंकर, किसान, संक्षेप में सभी कोई प्रभावित होंगे। सर्वाधिक गरीब इन से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
ब्रायन ने छात्रों से कानून के संबंध में संसद की संयुक्त प्रवर समिति की पूरी रिपोर्ट पढ़ने का आग्रह किया।राज्यसभा सदस्य ब्रायन ने कहा, ‘‘मैं 16 साल से सार्वजनिक जीवन में हूं। मैंने कभी ऐसा संकट नहीं देखा जो पिछले एक साल में हमारे सामने है।’’ उन्होंने सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर विरोध का नेतृत्व करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सराहना की।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर बहस के दौरान संसद में उपस्थित नहीं रहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए ब्रायन ने कहा, ‘‘वह भाजपा के प्रधानमंत्री नहीं हैं, वे मेरे प्रधानमंत्री हैं, आपके प्रधानमंत्री हैं।’’ सूत्रों के अनुसार छात्रों के एक समूह ने पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़ से इस कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध किया था लेकिन उनका रूख सीएए और एनआरसी के पक्ष में होने के कारण निमंत्रण वापस ले लिया।
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सेवानिवृत नौकरशाहों और नागरिक संस्थाओं के समूहों ने कोलकाता में शुक्रवार को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ जुलूस निकाला और गैर-भाजपा शासित राज्यों से इस विवादित कानून को लागू नहीं करने का आग्रह किया।फोरम फॉर डेमोक्रेसी एंड कम्यूनल एमिटी (एफडीसीए) के तत्वावधान में आयोजित जुलूस का नेतृत्व पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर ने किया।जुलूस एस्प्लेनेड इलाके में स्टेट्समेन हाउस से शुरू होकर मेयो रोड पर गांधी की प्रतिमा के निकट समाप्त हुआ। इससे पहले आईएएस, आईएफएस, आईपीएस तथा केन्द्रीय सेवाओं के अधिकारियों समेत लगभग 106 अधिकारियों ने बृहस्पतिवार के खुला पत्र लिखकर सीएए, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) की आलोचना की थी।मंदर ने कहा, गैर-भाजपा शासित राज्यों को नया नागरिकता कानून लागू नहीं करना चाहिये। ऐसा करने से केंद्र सरकार को इसे निरस्त करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद और देश के कुछ अन्य प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने शुक्रवार को कहा कि सरकार संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस ले तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अतिरिक्त प्रावधानों को हटाए।जमीयत की ओर से जारी बयान के मुताबिक जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन मुस्लिम संगठनों ने प्रस्ताव पारित कर जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) तथा कुछ अन्य शिक्षण संस्थानों में छात्रों पर हमले की भी निंदा की और कहा कि इन घटनाओं की न्यायिक जांच कराई जाए।प्रमुख मुस्लिम संगठनों की बैठक में जमीयत उलमा-ए- हिंद, दारुल उलूम देवबंद, जमात-ए-इस्लामी हिंद, मरकज़ी जमीयत अहले हदीस, मिल्ली कांउसिल और ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वालों को जेल भेजने एवं उनके खिलाफ गंभीर मामला दर्ज करने के खिलाफ ‘हम संघर्ष करते रहेंगे और देश की आवाज उठाते रहेंगे, क्योंकि सरकार जो कर रही है वह संविधान के खिलाफ है।