केंद्र सरकार ने CAA के नियमों से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले आई इस खबर के बाद राजनीतिक बयानबाजी जारी है। जहां एक तरफ गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि यह कानून किसी नागरिकता छीनने के लिए नहीं है वहीं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी लगातार इसे संविधान विरोधी कानून कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीएए को एनआरसी और एनपीआर के साथ देखे जाने की जरूरत है।
क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी?
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा–आपको CAA को एनआरसी और एनपीआर के साथ जोड़कर देखने की जरूरत है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में मेरा नाम लिया था और कहा था कि एनआरसी और एनपीआर लागू किया जाएगा, यह रिकॉर्ड पर है। उनका (BJP) मुख्य उद्देश्य देश में एनपीआर और एनआरसी लागू करना है। असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि इसे असम में हुई एनआरसी से समझा जा सकता है जहां 19 लाख लोगों को नाम लिस्ट में नहीं आया, उन्हें कहा गया कि वह भारत के नागरिक नहीं हैं। इसमें हिन्दू भी थे और मुसलमान भी, अब सीएए के तहत हिंदुओं को तो नागरिकता मिल जाएगी लेकिन मुसलमानों को नहीं।
क्या कहता है CAA?
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) 11 दिसंबर, 2019 को संसद में पारित किया गया था। जिसका उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना है। इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है और यही विवाद की वजह भी है। विपक्ष का कहना रहा है कि यह कानून संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है—जो समानता की बात करता है।