CAA और NRC पर देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध के स्वर बुलंद हो रहे हैं। छात्रों के शुरू किए आंदोलन ने कहीं उग्र प्रदर्शन का रूप लिया तो किसी जगह इसी की आड़ में हिंसा पनपी। पत्थरबाजी, तोड़फोड़ और आगजनी तक की गई। वहीं, एक धड़ा ऐसा भी है, जो केंद्र द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन कर रहा है। उसका कहना है कि ये देश विरोधी नहीं है।
इसी बीच, शनिवार को CAA के समर्थन में लगभग 1100 शिक्षाविद और बुद्धिजीवी आ गए हैं। और, इन सभी ने इस बाबत साझा बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। बयान में हस्ताक्षर करने वालों में राज्यसभा के सदस्य स्वपन दासगुप्ता, आईआईएम शिलांग के प्रमुख शिशिर बजोरिया, नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति सुनैना सिंह, जेएनयू के डीन (एसएलएल और सीएस) ऐनुल हसन, इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एंड कन्फ्लिक्ट स्टडीज में सीनियर फेलो अजिभीत अय्यर मित्रा और पत्रकार कंचन गुप्ता शामिल हैं।
साझा बयान में इन शिक्षाविदों ने समाज के प्रत्येक वर्ग से, ‘‘संयम बरतने और दुष्प्रचार, सांप्रदायिकता एवं अराजकता के जाल में नहीं फंसने’’ की अपील की है। बयान में कहा गया, ‘‘हम बेहद गुस्से के साथ इस बात की ओर भी ध्यान दिलाना चाहते हैं कि जानबूझ कर तनाव एवं भय की अफवाह फैला कर देश में डर एवं उन्माद का माहौल बनाया जा रहा है, जिससे देश के कई हिस्सों में हिंसा हो रही है।’’
संयुक्त बयान में इन सभी ने संसद को ‘भुला दिए गए अल्पसंख्यकों के पक्ष में खड़े होने, भारत के सभ्यतागत लोकाचार को कायम रखने और भारत को पूर्व में छोड़ चुके लोगों को जन्नत मुहैया कराने’ के लिए बधाई दी है।
Citizenship Amendment Act, 2019 पर केंद्र के समर्थन वाला इन लोगों का यह साझा बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब देश इस विधेयक पर भ्रम और अफवाहों के गर्म बाजार के बीच उपद्रव और हिंसा की आग में धधक रहा है। जानकारी के मुताबिक, देश भर के विभिन्न जोन्स में रेलवे की लगभग 88 करोड़ की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा चुका है।