जातिगत जनगणना को लेकर सियासत गर्म है। बिहार और उत्तरप्रदेश की अधिकांश राजनीतिक पार्टियां जातिगत जनगणना की मांग कर रही है। जदयू, राजद, सपा के अलावा बसपा ने भी जातिगत जनगणना कराने की मांग की है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराती है तो वह संसद में मोदी सरकार का साथ देंगी।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने जातिगत जनगणना के समर्थन में शुक्रवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि देश में ओबीसी समाज की अलग से जनगणना कराने की मांग बीएसपी शुरू से ही लगातार करती रही है तथा अभी भी बीएसपी की यही मांग है और इस मामले में केंद्र की सरकार अगर कोई सकारात्मक कदम उठाती है तो फिर बीएसपी इसका संसद के अंदर व बाहर जरूर समर्थन करेगी।
दरअसल पिछले दिनों लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि फिलहाल केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा किसी और जाति की गिनती का कोई आदेश नहीं दिया है। पिछली बार की तरह ही इस बार भी एससी और एसटी को ही जनगणना में शामिल किया गया है। गृह राज्य मंत्री के इस बयान के बाद से ही जनगणना में ओबीसी में शामिल जातियों के गिनती की मांग तेज हो गई है।
देश में ओ.बी.सी. समाज की अलग से जनगणना कराने की माँग बी.एस.पी. शुरू से ही लगातार करती रही है तथा अभी भी बी.एस.पी. की यही माँग है और इस मामले में केन्द्र की सरकार अगर कोई सकारात्मक कदम उठाती है तो फिर बी.एस.पी. इसका संसद के अन्दर व बाहर भी जरूर समर्थन करेगी।
— Mayawati (@Mayawati) August 6, 2021
जातिगत जनगणना को लेकर बिहार सरकार में भाजपा और उसकी सहयोगी जदयू के बीच ठन गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय भी मांगा है। इसके अलावा जदयू ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार जातिगत जनगणना को तैयार होती है ठीक है, नहीं तो बिहार सरकार अपने स्तर से इस जनगणना को कराएगी। इतना ही नहीं जातिगत जनगणना के मुद्दे पर आपसी मतभेदों को भुलाकर जदयू और राजद एक पाले में खड़ी हो गई है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग की है।
देश में पहली बार जातिगत जनगणना 1931 में की गई थी। इसके बाद 2011 में भी यह हुआ था लेकिन इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई थी। सरकार ने इस रिपोर्ट में कई कमियों को बताते हुए सार्वजनिक करने से मना कर दिया था। हालांकि देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के पास भी जातिगत जनगणना कराने का प्रस्ताव आया था लेकिन उन्होंने भी इस तरह की जनगणना कराने से मना कर दिया था।

