महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बावजूद राज्य में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। इसी बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। तो वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि केंद्र सरकार नेताओं के बजाय रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वाले वालों के पीछे सीबीआई और ईडी लगाए।

महाराष्ट्र में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नोटिस लिया है। कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार और राज्य सरकार से यह जवाब मांगा है कि आखिर किस आधार पर यह दवाई अलग अलग जगहों पर बांटी जा रही है। कोर्ट ने रेमडेसिविर इंजेक्शन को जरुरत के हिसाब से मरीजों के बीच बांटने को कहा है। इसके अलावा कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि जिलों को मनमाने तरीके से रेमडेसिविर का बंटवारा किया जा रहा है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में देश के करीब 40% कोरोना मरीज हैं इसलिए यह दवाई भी उसी अनुपात में बांटी जानी चाहिए।

वहीं महाराष्ट्र में रेमडेसिविर इंजेक्शन की हो रही कालाबाजारी पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। अशोक चव्हाण ने कहा है कि केंद्र सरकार को राजनीतिक विरोधियों के बजाय सीबीआई, ईडी और एनआईए का इस्तेमाल दवाई की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ करना चाहिए। बता दें कि रेमडेसिविर की सप्लाई को लेकर शिवसेना और भाजपा एक दूसरे के आमने सामने हो गए हैं। शिवसेना का आरोप है कि भाजपा मेडिसिन सप्लाई करने वालों पर महाराष्ट्र में रेमडेसिविर उपलब्ध ना करवाने का दवाब बना रही है।

बीते 17 अप्रैल को रेमडेसिविर की सप्लाई करने वाले एक फार्मा कंपनी के संचालक राजेश डोकानिया को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस का आरोप था कि फार्मा कंपनी के पास रेमडेसिविर काफी बड़ी संख्या में मौजूद था। राजेश डोकानिया की गिरफ़्तारी की सूचना मिलते ही महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस पुलिस स्टेशन पहुंच गए थे और उसको तुरंत छोड़ने की मांग करने लगे थे। बाद में पुलिस ने राजेश डोकानिया को छोड़ दिया था। हालांकि पुलिस डोकानिया से इस मामले में दोबारा पूछताछ कर सकती है।   

उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों से रेमडेसिवर बड़ी चर्चा में है। अभी कुछ दिन पहले तब हल्ला मचा था जब गुजरात में भाजपा के सूरत और नवसारी कार्यालयों में यह बांटी गई थी। गुजरात से इस दवा को यूपी सप्लाइ करने के लिए भी वहां की रूपानी सरकार को पक्षपात का लांछन झेलना पड़ा था।आजकल अस्पताल से इस दवा की चोरी होने की घटनाएं भी खूब हो रही हैं।