कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच तनातनी जारी है। जहां एक तरफ सरकार लगातार कानूनों को वापस न लेने की बात कह रही है, वहीं किसान भी बातचीत के लिए आने से पहले कानूनों को रद्द करवाने पर अड़े हैं। इस बीच किसानों के आंदोलन पर भाजपा के कई साथी भी उसके खिलाफ खड़े हो चुके हैं। इनमें अकाली दल से लेकर कई निर्दलीय नेता भी शामिल हैं। एक नाम राजस्थान में कभी भाजपा के साथी रहे हनुमान बेनीवाल का है। बेनीवाल, राजस्थान के रालोपा सुप्रीमो और नागौर से सांसद हैं। पहले कानूनों को समर्थन और बाद में उसके विरोध को लेकर भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक टीवी डिबेट के दौरान बेनीवाल पर निशाना साधा।
टीवी डिबेट में क्या बोले हनुमान बेनीवाल?: हनुमान बेनीवाल ने कहा कि किसी ने मीडिया में कहा था कि मैंने कानून का समर्थन किया। लेकिन मैं तो उस वक्त लोकसभा में था ही नहीं जब बिल पारित हुआ था। कोरोना की रिपोर्ट गलत बताकर मुझे बाहर कर दिया गया था। बेनीवाल ने कहा कि अगर किसानों के सामने सरकार झुक भी जाती है, तो कोई गलत मैसेज नहीं जाएगा, क्योंकि किसानों और उनके बेटों ने पीएम को सत्ता पर बिठाया है।
गौरव भाटिया ने किया पलटवार: इस पर भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने पलटवार करते हुए कहा कि किसान हमारा सम्मान है, इस देश की रीढ़ है। हम इस पूरी बात का हल निकालेंगे। बेनीवाल जी ने कहा कि इन कानूनों को लाने की जरूरत नहीं थी। बेनीवाल जी को कोविड हुआ होगा, जब इस कानून पर संसद में चर्चा हो रही थी। लेकिन जब अध्यादेश आया था, आपका बयान था कि मोदी कैबिनेट की ओर से लिए गए फैसलों से किसानों को फायदा होगा। आपके ट्विटर अकाउंट में कहा गया है कि ‘एपीएमसी के बंधन से किसान हुआ आजाद, माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में हुआ किसानों के लिए बड़ा फैसला। अब किसान कहीं भी, किसी भी राज्य में अपनी फसल बिना किसी बाधा के विक्रय कर सकेगा।’
भाटिया ने कहा कि यह बेनीवाल जी कोई और बेनीवाल हैं, आपके छोटे भाई हैं या कोई और व्यक्ति हैं, मुझे नहीं पता। ये सिर्फ बेनीवाल जी की दिक्कत नहीं है, अकाली दल भी अध्यादेश पास होते वक्त हमारे साथ थे। हरसिमरत कौर जी ने इस कानून को समझाया। अब वो भी पलटी मार गए। अरविंद केजरीवाल जी एक बार कानून लागू कर देते हैं- 23 नवंबर 2020 को। अब कहते हैं कि हम अब किसानों के साथ खड़े हैं। अरे ऐसा दोगला चरित्र लाते कहां से हैं?
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यूपी, एमपी और महाराष्ट्र के किसान विरोध नहीं कर रहे हैं। आज किसान संगठनों ने कानूनों का समर्थन भी किया है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम सभी किसानों का हित देखें और हम देखते रहेंगे, जो रुठे हैं उन्हें मनाएंगे, बातचीत करते रहेंगे।