मुंबई। बीते कई दिनों में पहली बार एक साथ मीडिया का सामना कर रहे शिवसेना और भाजपा के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि दोनों पार्टियां गठबंधन को जारी रखने को लेकर ‘दृढ़’ हैं। इससे पहले, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सीटों की साझीदारी पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों दलों ने वार्ता को बहाल किया। राज्य में चुनाव अगले माह होने वाले हैं। इस बीच शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया है कि गठजोड़ टूटने का अंदेशा सही नहीं है।

मंगलवार को राजग के दो सबसे पुराने सहयोगी दलों के राज्य के शीर्ष नेता तनावपूर्ण गतिरोध को समाप्त करने के लिए वार्ता के लिए बैठे। एक दिन पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को फोन किया था, ताकि 25 साल पुराने गठबंधन को टूटने से बचाया जा सके।
भाजपा ने सोमवार को शिवसेना के समक्ष नया प्रस्ताव पेश किया था जिसमें राज्य की 288 सीटों में से अपने लिए 130 सीटों की मांग की थी। पहले उसने अपने लिए 135 सीटों की मांग की थी। लेकिन इसे शिवसेना ने सिरे से खारिज कर दिया था। अपने पिछले प्रस्ताव में भाजपा ने सुझाव दिया था कि ‘महायुति’ (छह पार्टियों का महागठबंधन) की दोनों पार्टियां 135-135 सीटों पर चुनाव लड़ें जबकि शेष सीटें गठबंधन के छोटे सहयोगी दलों के लिए छोड़ दी जाएं। इसे भी शिवसेना ने खारिज कर दिया था।

शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत, विधानसभा में पार्टी के नेता सुभाष देसाई और राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई समेत पार्टी के वरिष्ठ नेता बैठक के लिए दादर स्थित भाजपा कार्यालय पहुंचे। यह कदम रविवार को उद्धव द्वारा भाजपा को 119 सीटों की ‘आखिरी पेशकश’ करने के बाद पार्टी के रुख में वस्तुत: नरमी लाते हुए उठाया गया।

महाराष्ट्र चुनाव के लिए भाजपा के प्रभारी ओपी माथुर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस, विधानसभा में विपक्ष के नेता एकनाथ खड़से और विधानपरिषद में विपक्ष के नेता विनोद तावड़े उन लोगों में थे जो भाजपा की तरफ से वार्ता में शामिल हुए।

बैठक के बाद राउत ने संवाददाताओं से कहा, दोनों पार्टियों ने आज सहमति जताई कि गठबंधन बना रहना चाहिए। दोनों पार्टियां इस बात को लेकर दृढ़ हैं कि पुराना गठबंधन जारी रहना चाहिए। तावड़े ने कहा कि दोनों में से कोई भी पार्टी नहीं चाहती थी कि गठबंधन टूटे। उन्होंने कहा, यह शिवसेना और भाजपा की इच्छा है कि गठबंधन जारी रहे। दोनों में से किसी भी पार्टी का कोई भी नेता नहीं चाहता कि 25 साल पुराना गठबंधन टूटे।

तावड़े ने कहा कि सीटों की साझीदारी से संबंधित एक नए फार्मूले पर चर्चा की गई लेकिन उन्होंने उसके विवरण का खुलासा नहीं किया। हालांकि दोनों में से किसी भी पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। लेकिन ऐसी चर्चा है कि शिवसेना भाजपा के 130 सीटों के प्रस्ताव पर सहमत है। लेकिन वह नहीं चाहती है कि उद्धव द्वारा प्रस्तावित 151 सीटों के उसके कोटे में कोई कटौती की जाए।

अगर अंतिम रूप से सहमति बन जाती है तो ‘महायुति’ के छोटे सहयोगी दलों के लिए चुनाव लड़ने के लिए सिर्फ सात सीटें बचेंगी और दोनों बड़े भागीदारों को छोटे दलों को इसे स्वीकार करने की बात समझाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी।

महायुति के अन्य सहयोगी दल हैं आरपीआई (अठावले), राष्ट्रीय समाज पक्ष, स्वाभिमानी शेतकारी पक्ष और शिव संग्राम। भाजपा के महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी राजीव प्रताप रूड़ी ने बीते दिन कहा था, हम इच्छुक हैं कि गठबंधन बना रहे लेकिन शिवसेना के साथ गठबंधन तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो हम सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।

इस बीच महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर भारी गतिरोध के बाद अब भगवा गठबंधन में बर्फ पिघलने के पहले संकेत में शिवसेना ने कहा कि राज्य में स्थिति अच्छी है और शिवसेना और भाजपा के घोड़े बहुत तेजी से दौड़ रहे हैं और वे कांग्रेस-राकांपा के खच्चरों से रुक नहीं सकते।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में मीडिया के एक वर्ग पर गठबंधन टूट जाने की उम्मीद पालने का भी आरोप लगाया। उसने कहा, महाराष्ट्र में स्थिति अच्छी है। शिवसेना और भाजपा के घोड़े बहुत तेज दौड़ रहे हैं और रुक नहीं सकते। कांग्रेस राकांपा के खच्चरों का कोई महत्त्व नहीं है।

सामना के संपादकीय में कहा गया है, यदि गठबंधन बचा रहता है तो फिर खबर क्या है? लेकिन यह टूट जाता तो निश्चित ही खबर बनती। इसलिए मीडिया में कुछ लोग इस गठबंधन के टूटने का इंतजार कर रहे थे। शिवसेना ने अपने मुखपत्र में कहा कि कहा जाता है कि महायुति बना रहेगा या टूट जाएगा, इस बात के लिए 100-500 करोड़ रुपए की सट्टेबाजी हो रही है। मीडिया अब सट्टेबाजी का अंग बन गया है। उसका एक वर्ग उसके टूटने का इंतजार कर रहा था ताकि यह सनसनीखेज खबर बने।