PM Narendra Modi Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (27 सितंबर, 2020) को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि गांव, किसान और देश का कृषि क्षेत्र ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आधार हैं तथा ये जितने मजबूत होंगे, ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नींव भी उतनी ही मजबूत होगी। आकाशवाणी पर मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 69वीं कड़ी में अपने विचार व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के कठिन दौर में कृषि क्षेत्र और देश के किसानों ने फिर अपना दमखम दिखाया।
उन्होंने कहा कि हमारे यहां कहा जाता है कि जो जमीन से जितना जुड़ा होता है, वह बड़े से बड़े तूफानों में भी उतना ही अधिक रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण है। संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमखम दिखाया है। देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी।
मोदी ने हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ सफल किसानों तथा किसान समूहों का जिक्र करते हुए कहा कि बीते कुछ समय में कृषि क्षेत्र ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है और अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है। हरियाणा के सोनीपत जिले के किसान कंवर चौहान की कहानी बताते हुए मोदी ने कहा कि एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में बहुत दिक्कत आती थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में फल और सब्जियों को जब एपीएमसी कानून से बाहर कर दिया गया, तो इसका उन्हें और अन्य किसानों को फायदा हुआ।
मोदी ने कहा कि आज वह स्वीट कॉर्न और बेबी कार्न की खेती कर रहे हैं। इससे उनकी सालाना कमाई ढाई से तीन लाख रुपए प्रति एकड़ है। प्रधानमंत्री ने कुछ अन्य किसानों की कहानी सुनाते हुए कहा कि इन किसानों के पास अपने फल व सब्जियों को कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की ताकत है और यह ताकत ही उनकी इस प्रगति का आधार है।
उन्होंने कहा कि अब यही ताकत देश के दूसरे किसानों को भी मिली है। फल व सब्जियों के लिए ही नहीं, अपने खेत में वह जो पैदा कर रहे हैं, वह चाहे धान, गेहूं, सरसों, गन्ना जो उगा रहे हैं, उसको अपनी इच्छा के अनुसार जहां ज्यादा दाम मिलें, वहीं पर बेचने की अब उनको आजादी मिल गई है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद हाल में कृषि विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 को संसद से पारित कर दिया गया था। देशभर के कई हिस्सों खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान तथा किसान संगठन इन विधेयकों को किसान विराधी बताकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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PM मोदी ने कहा, 'मैं अपने जीवन में बहुत लंबे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गांव, नए लोग, नए परिवार। भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-कोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम की इस कड़ी में परिवारों को जोड़े रखने के कहानियों के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहानी सुनने-सुनाने को आगे बढ़ाने के काम में जुटे लोगों की सराहना की और देश के लोगों से अपनी इस समृद्ध परंपरा से जुड़े रहने का आग्रह किया। पीएम मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' में कहानी कहने की परंपरा को जारी रखने के लिए काम करने वाले कुछ लोगों से बात की और यह जानने का प्रयास किया कि उन्हें इस काम की प्रेरणा कैसे मिली और किस तरह से वे अपने काम को अंजाम दे रहे हैं।
पीएम ने भगत सिंह को याद करते हुए कहा "शहीद भगतसिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे और चिन्तक भी। अपने जीवन की चिंता किए भगतसिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान रहा।"
कार्यक्रम के दौरान पीएम ने कहा "संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमखम दिखाया है। देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव आत्मनिर्भर भारत का आधार है। अपने फसल को कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की ताकत ही, उनकी प्रगति का आधार है।"
पीएम ने कहा कि आज की तारीख में खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे, उतना ही वह आगे बढ़ेगी। उसमें नए-नए तौर-तरीके आएंगे, नए Innovations जुड़ेंगे। गुजरात और मणिपुर से हमारे किसान भाई-बहनों से जुड़ी ऐसी कहानियां देखने को मिली हैं, जो इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
पीएम ने मन की बात में कहा "गुजरात में बनासकांठा के रामपुरा गांव में इस्माइल भाई नाम के एक किसान है। उन्होंने ड्रिप से सिंचाई करके आलू की खेती शुरू की और आज उनके आलू एक पहचान बन गए हैं। वो ये आलू सीधे बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेचते हैं, बिचौलियों का नामों-निशान नहीं और परिणाम -अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।"
पीएम ने कहा "11 अक्टूबर का दिन हम भारत रत्न लोक नायक जय प्रकाश जी को उनकी जयंती पर स्मरण करते हैं। और हम भारत रत्न नानाजी देशमुख को भी याद करते हैं। इस 12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की भी जयंती है, उन्होंने अपना पूरा जीवन, लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया।"
पीएम मोदी ने कहा "कोरोना के इस कालखंड में, मैं फिर एक बार आपको याद कराऊंगा, mask अवश्य रखें, face cover के बिना बाहर ना जाएं। दो गज की दूरी का नियम, आपको भी बचा सकता है, आपके परिवार को भी बचा सकता है। ये कुछ नियम कोरोना की ख़िलाफ लड़ाई के हथियार हैं, हर नागरिक के जीवन को बचाने के मजबूत साधन हैं।"
मोदी ने स्टोरी टेलर अपर्णा अत्रेया से बात की। अपर्णा ने कहा कि मैं बैंगलोर स्टोरी टेलिंग सोसाइटी की ओर से आपको बधाई देना चाहती हूं। मेरे पति एयरफोर्स में हैं, मैं पैशनेट स्टोरी टेलर हूं। मुझे बच्चों को कहानी के जरिए शिक्षा देने का मौका मिला। दादी से कहानियां सुनने के दौरान ही मुझे लगा कि बच्चों के साथ ऐसा करना कितना दिलचस्प होगा। अपर्णा के साथ उनकी टीम की कई महिलाओं ने मोदी से स्टोरी टेलिंग को लेकर बात की। अपर्णा ने मोदी को विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय और उनके मंत्री तेनालीराम की कहानी सुनाई।
आज की तारीख में खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे, उतना ही वह आगे बढ़ेगी। उसमें नए-नए तौर-तरीके आएंगे, नए Innovations जुड़ेंगे। गुजरात और मणिपुर से हमारे किसान भाई-बहनों से जुड़ी ऐसी कहानियां देखने को मिली हैं, जो इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं: मोदी
कल, 28 सितम्बर को हम शहीद वीर भगतसिंह की जयंती मनाएंगे। मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूं। शहीद भगतसिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे और चिन्तक भी। अपने जीवन की चिंता किए भगतसिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान रहा।
आज गांव के किसान स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती से ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं। इसी गांव के 60 से अधिक किसान नेट हाउस बनाकर, टमाटर,खीरा,शिमला मिर्च, इसकी अलग-अलग वैराइटी का उत्पादन करके हर साल प्रति एकड़ 10 से 12 लाख रुपए तक की कमाई कर रहें: PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घरों व परिवारों से लुप्त होती जा रही कहानी सुनने और सुनाने की परंपरा पर अपनी चिंता प्रकट करते हुए रविवार को देशवासयों से इसके प्रचार-प्रसार के प्रयास की अपील की। आकाशवाणी पर मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 69वीं कड़ी में अपने विचार व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के कठिन दौर में जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है तो इसी संकट काल ने परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में कहानी कहने की या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी हैं जहां हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है। जहां, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि, विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है।’’
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि हम कथा-शास्त्र को और अधिक कैसे प्रचारित करें, popular करें और हर घर में अच्छी कथा कहना अच्छी कथा बच्चों को सुनाना, ये जन-जीवन की बहुत बड़ी credit हो। ये वातावरण कैसे बनाएं, उस दिशा में हम सबने मिल करके काम करना चाहिए। पीएम ने कहा कि मैं जरूर आपसे आग्रह करूंगा परिवार में हर सप्ताह आप कहानियों के लिए कुछ समय निकालिए। पीएम ने आगे कहा कि आप देखिए कि परिवार में कितना बड़ा खजाना हो जाएगा, Research का कितना बढ़िया काम हो जाएगा, हर किसी को कितना आनन्द आएगा और परिवार में एक नई प्राण, नई उर्जा आएगी। विशेषकर, 1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब, हमारी नई पीढ़ी को, कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं। उसी प्रकार से हम एक काम और भी कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं कथा सुनाने वाले सबसे आग्रह करूँगा कि हम आजादी के 75 वर्ष मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको, कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं! मुझे विश्वास है कि आप लोग ज़रूर इस काम को करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि कुछ साल पहले कुछ राज्यों में फलों और सब्जियों को एपीएमसी अधिनियम के दायरे से बाहर किए जाने से अनेक किसानों को फायदा हुआ। उन्होंने कहा कि हमारे कृषि क्षेत्र ने कोविड-19 महामारी के दौरान अपने कौशल का प्रदर्शन किया है। आत्म-निर्भर भारत के निर्माण में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं किसान। खेती में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ने से कृषि क्षेत्र को जबरदस्त फायदा होगा। यदि हमने महात्मा गांधी के आर्थिक दर्शन का अनुसरण किया होता तो आज ''आत्म-निर्भर भारत'' अभियान की आवश्यकता न पड़ती।
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कोरोना वायरस महामारी पर लोगों से खास अपील की। उन्होंने कहा कि कोरोना के इस कालखंड में मैं फिर एक बार आपको याद कराऊंगा, मास्क अवश्य रखें, फेस कवर के बिना बाहर ना जाएं। दो गज की दूरी का नियम आपको भी बचा सकता है, आपके परिवार को भी बचा सकता है। ये कुछ नियम हैं, इस कोरोना की खिलाफ, लड़ाई के हथियार हैं, हर नागरिक के जीवन को बचाने के मजबूत साधन हैं। पीएम ने कहा, 'और हम ना भूलें, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढ़िलाई नहीं।'
"माँ का प्यार क्या होता है, वात्सल्य क्या होता है, उस घटना को मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ... आगे पढ़िए
02 अक्टूबर हम सबके लिए पवित्र और प्रेरक दिवस होता है। यह दिन माँ भारती के दो सपूतों, महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करने का दिन है। पूज्य बापू का जीवन हमें याद दिलाता है कि हम ये सुनिश्चित करें कि हमारा हर कार्य ऐसा हो, जिससे, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति का भला हो। गाँधी जी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी, भारत की खुशबू थी ।
मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूँ। क्या आप कल्पना कर सकते हैं, एक हुकूमत, जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, इसके बारे में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। इतनी ताकतवर हुकूमत, एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गयी थी। देखिये! हम भगत सिंह बन पायें या ना बन पायें, लेकिन, भगत सिंह जैसा देश प्रेम, देश के लिये कुछ कर-गुजरने का ज़ज्बा, जरुर, हम सबके दिलों में हो। शहीद भगत सिंह को यही हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
मुझे, कई ऐसे किसानों की चिट्ठियाँ मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है। लेकिन, 2014 में फल और सब्जियों को APMC Act से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ। उन्होंने बताया है कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियाँ बेचने में बहुत दिक्कत आती थी। अगर वो मंडी से बाहर, अपने फल और सब्जियाँ बेचते थे, तो, कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियाँ तक जब्त हो जाती थी।
पीएम मोदी ने 'मन की बात' की बात कार्यक्रम की शुरुआत कहानियों से की। उन्होंने कहा कि हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियां सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं। उन्होंने कहा कि हमें जरुर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थीं वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है। उन्होंने कहा कि ऐसी ही एक विधा जैसा मैंने कहा कि कहानी सुनाने की कला 'story telling' कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता। पीएम ने कहा कि मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक (A wandering ascetic) के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गाँव, नए लोग, नए परिवार।
"हम कथा-शास्त्र को और अधिक कैसे प्रचारित करें, popular करें, और, हर घर में अच्छी कथा कहना, अच्छी कथा बच्चों को सुनाना, ये जन-जीवन की बहुत बड़ी credit हो। ये वातावरण कैसे बनाएं, उस दिशा में हम सबने मिल करके काम करना चाहिए।"
मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार। कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरुरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम को संबोधित कर रहे हैं। यह 'मन की बात-2.0' का 16वां भाग है। पीएम का यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को उनके संबोधित करने के ठीक अगले दिन हो रहा है। मोदी ने वहां हुंकार भरते हुए इस सर्वोच्च वैश्विक संस्था की प्रतिक्रियाओं, व्यवस्थाओं और स्वरूप में सुधार को ‘‘समय की मांग’’ बताया। साथ ही सवाल दागा कि 130 करोड़ की आबादी वाले दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इसके निर्णय प्रक्रिया ढांचे से आखिर कब तक अलग रखा जाएगा और उसे कब तक इंतजार करना पड़ेगा?
पिछली बार का मन का बात कार्यक्रम 30 अगस्त को किया को किया गया था। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने ने कृषि उत्सव, पोषण, देसी कुत्तों की गुणवत्ता जैसे कई मुद्दों पर अपने विचार रखे लेकिन यह मुख्यत: खिलौने, मोबाइल गेम्स, एप आदि पर केंद्रित था।