देश में पहली बार चलती ट्रेन में मालिश की सेवा शुरू होने से पहले ही बंद हो गई। इस सेवा को पश्चिमी रेलवे के रतलाम डिविजन ने इंदौर से चलने वाली 39 ट्रेनों में शुरू करने का फैसला लिया था। रेलवे को इस फैसले से 20 लाख रुपये सालाना राजस्व प्राप्ति की उम्मीद थी।
इन सब के बीच भोपाल के इंदौर से सांसद शंकर लालवानी ने रेलवे की इस पहल का पुरजोर विरोध किया। लालवानी ने इस मामले में रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिख कड़ा विरोध दर्ज कराया। भाजपा सांसद ने कहा कि रेल में महिलाओं के सामने इस तरह खुलेआम मालिश भारतीय संस्कृति के खिलाफ है।
ऐसे में रेलवे को अपने निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए। शंकर लालवानी के बाद लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी रेलवे की इस पहल के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने भी रेल मंत्री को इस संबंध में पत्र लिखकर अपनी चिंताओं को सामने रखा।
रेल में मालिश का विरोध करने के कारण के बारे में शंकर लालवानी ने कहा, ‘महिला यात्रियों के सामने मालिश कैसे की जा सकती है? इस वजह से ही मैंने विरोध करने का फैसला किया था।’ रेडिफ्फ.कॉम से बातचीत में शंकर लालवानी ने कहा कि मालिश के स्थान पर रेलवे को ट्रेनों में लोगों की जरूरत के अनुसार मेडिकल सुविधाओं पर जोर देना चाहिए।
रेलवे की तरफ से सिर्फ सिर और पैरों की मालिश से जुड़े सवाल पर भाजपा सांसद ने कहा हमारी ट्रेनों में बहुत भीड़ होती है और ऐसे में आप मसाज सर्विस देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट पर मसाज सेंटर होने में कोई आपत्ति नहीं है। यह अमीरों के लिए है।
सामान्य, गांव के लोग ट्रेनों में सफर करते हैं। ऐसे में उन्हें मालिश का विचार अच्छा नहीं लगेगा। लालवानी ने कहा कि टूरिस्ट ट्रेन में मसाज सर्विस से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने कहा कि रेलवे को ट्रेनों में यात्रियों को डॉक्टर की जरूरत को देखते हुए अतिरिक्त मेडिकल सर्विस उपलब्ध करानी चाहिए।