बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि इस समय सरकार या तो मेरे बताए फॉर्मूले के मुताबिक समझौता करे नहीं तो कृषि कानून को रद्द कर दे। सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया, “इस समय जब आर्थिक मंदी चल रही है। चीन हमारी जमीन कब्जा करने पर लगा हुआ है, सरकार भी जंग के लिए तैयार नहीं है, और उसे राज्यों में चुनाव भी लड़ने हैं, मैं ये सलाह देता हूं कि सरकार या तो मेरे बताए तीन बिंदुओं के मुताबिक किसानों से समझौता कर ले या फिर कृषि कानूनों को रद्द कर दे।”
इससे पहले किसानों और सरकार के बीच गतिरोध के समाधान के लिए स्वामी ने एक सुझाव दिया था। सांसद ने कहा कि अगर सरकार इस फॉर्मूले को मानती है तो किसानों और सरकार के बीच चल रही समस्या का समाधान हो सकता है। स्वामी की सलाह है कि कृषि कानूनों को लागू करने के लिए केंद्र को गेंद राज्यों के पाले में फेंक देनी चाहिए। जिससे उसके ऊपर से दबाव हट जाए। स्वामी का कहना है कि जो राज्य कृषि कानूनों को लागू करना चाहते हैं उनको केंद्र ऐसा करने दे और जो नहीं चाहते हैं उन पर दबाव न डाले। जो राज्य सरकार कानून की मांग करे उसको ही ये कानून लागू करने दिया जाए।
स्वामी के फॉर्मूले के मुताबिक कृषि कारोबार के अलावा दूसरे कारोबार करने वाली कंपनियों को फसलों को खरीदने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। स्वामी ने कहा कि किसानों को एमएसपी निश्चित तौर पर मिलनी चाहिए।
At the present. with the declining economy, China grabbing our land and Government mentally not ready for a war, and also elections to fight in the states, I suggest that the Government either adopt my compromise three point solution to the farmers agitation, or scrap the Act.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 4, 2021
मालूम हो कि बीजेपी सांसद केंद्र को हमेशा जरूरी मुद्दों पर आगाह करते रहते हैं। कृषि कानूनों को लेकर स्वामी लगातार सलाह देते रहे हैं। इससे पहले स्वामी ने कहा था कि किसानों के इस आंदोलन से मोदी-शाह की छवि को नुकसान पहुंचा है। स्वामी ने सरकार से कहा था कि किसानों के आंदोलन में घुस आए असामाजिक तत्वों से सरकार को सख्ती से निपटना चाहिए। स्वामी ने कहा था कि सरकार को तय करना चाहिए कि इन कानूनों से बड़े कॉरपोरेट किसानों का शोषण न करें।
बता दें कि पिछले साल सितंबर में केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को संसद से पारित कराया था। उस समय से कानूनों को लेकर हंगामा शांत नहीं हुआ है। नवंबर से तो किसान दिल्ली की सीमा पर आ डटे और फिलहाल हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है।
बता दें कि जहां सरकार कानूनों को डेढ़ साल के लिए स्थगित करने को राजी है तो वहीं किसान चाहते हैं कि कानून पूरी तरह से रद्द किए जाएं।