मोदी सरकार के खिलाफ लगातार आलोचक जैसा रवैया रखने वाले भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बार फिर मोर्चा खोला है और सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाया है। कहा कि “अगर भारत हिंद महासागर के लिए लंबे समय के लिए सहयोगी चाहता है तो उसको श्रीलंका की राजपक्षे सरकार को अभी 10 अरब डॉलर का लोन देना चाहिए। अन्यथा चीन को एक और कनिष्ठ साझेदार मिलने का सामना करना पड़ेगा। मोदी सरकार कई विदेश नीति के मुद्दों में विफल रही है। श्रीलंका को दूसरा न बनने दें।”

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं करने से श्रीलंका भी हमारे साथ छोड़कर चीन के साथ मिल जाएगा। यह हमारी पड़ोसी विदेश नीति के लिए अच्छा नहीं होगा। उनका कहना है कि भारत सरकार की विदेश और आर्थिक नीतियां सही नहीं हैं। इसकी वजह से कई बार हमें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने हाल ही संसद के शीत सत्र में यह कहकर सरकार की आलोचना की थी कि “चीन के भारतीय सीमा में घुसपैठ पर सवाल पूछा तो राज्यसभा सचिवालय ने उन्हें संवेदनशील सवाल पर जवाब देने से मना कर दिया।”

इसके पहले उन्होंने चीन को लेकर कई बार सोशल मीडिया और अन्य सार्वजनिक प्लेटफॉर्मों पर सरकार की खिंचाई की। इससे अक्सर सरकार के सामने खुद के सांसद की ओर से हास्यास्पद स्थिति पैदा हो जाती है। वे सत्ताधारी पार्टी में रहते हुए भी विपक्ष की तरह व्यवहार करते हैं।

कुछ दिन पहले मथुरा में एक कार्यक्रम में पहुंचे सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि “प्रधानमंत्री के साथ-साथ वित्तमंत्री को भी अर्थशास्त्र का ज्ञान नहीं है। पीएम और वित्त मंत्री दोनों ही घमंड में हैं। ये सोचते हैं कि सब जानते हैं, लेकिन हकीकत में ये कुछ नहीं जानते, जबकि महंगाई दर लगातार बढ़ रही है।” स्वामी ने कहा कि विकास वृद्धि दर लगातार 2016 से गिरती जा रही है। कोविड ने गिरावट में और तेजी लाई है। 

इससे पहले नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी साल 2019 के स्तर से नीचे है। बनर्जी ने अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की थी और कहा कि लोग अभी आर्थिक तौर पर बेहद मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री की टिप्पणी के बाद भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बार फिर इसी बहाने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इनके विश्लेषण को तो पीएम मोदी खारिज नहीं कर सकते हैं न।