बीजेपी के वरिष्ठ नेता मोहन चरण माझी ओडिशा के नए मुख्यमंत्री बने हैं। बीजेपी की ओडिशा में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है। हालांकि आने वाले समय में मोहन चरण माझी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। मोहन चरण माझी के पास मंत्री पद संभालने का कोई अनुभव नहीं है, ऐसे में पार्टी के सभी गुटों को एकजुट रखना और पहली बार विपक्ष में बीजू जनता दल (बीजेडी) का सामना करना भी बड़ी चुनौतियों में से एक होगा।

जगन्नाथ मंदिर को लेकर लिया बड़ा फैसला

बुधवार को शपथ लेने के बाद मोहन माझी ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की, जहां सरकार ने गुरुवार को पुरी में जगन्नाथ मंदिर के सभी चार प्रवेश द्वार खोलने के अपने फैसले की घोषणा की। ये पार्टी के चुनावी वादों में से एक था और जनता में एक भावनात्मक मुद्दा था। कोविड-19 महामारी के बाद से भक्तों के लिए प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में सभी चार द्वार खोलने का वादा किया था और अभियान के दौरान इस मुद्दे को उठाने वाले भाजपा नेताओं में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल थे। कैबिनेट ने मंदिर की सुरक्षा और सौंदर्यीकरण के लिए 500 करोड़ रुपये के कोष को भी मंजूरी दी।

मंदिर के ‘रत्न भंडार (खजाना)’ की गुम चाबियों के मुद्दे पर पार्टी ने इस मामले में एक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने का वादा किया है। इसके अलावा इसमें कीमती रत्नों की नई सूची के लिए रत्न भंडार खोलने का भी वादा किया गया था। हालांकि कैबिनेट बैठक में कोई निर्णय नहीं किया गया।

100 दिन का रोडमैप

राज्य मंत्रिमंडल ने 100 दिनों के भीतर अपने दो प्रमुख चुनावी वादों के कार्यान्वयन को भी मंजूरी दे दी। इसमें धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाकर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल और सुभद्रा योजना शामिल है, जिसके तहत 50,000 रुपये का वाउचर प्रदान करने का वादा किया गया है। ये वाउचर हर एक महिला को मिलेगा, जिसे दो वर्षों में रीडीम कराया जा सकता है। प्रचार अभियान के दौरान इन दोनों वादों से भाजपा को जीत हासिल करने में मदद मिली। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि दोनों वादे राज्य के खजाने पर काफी वित्तीय बोझ डालेंगे।

धान खरीद में कथित विसंगतियों ने पार्टी को बीजू जनता दल (बीजेडी) के खिलाफ किसानों के बढ़ते असंतोष को भुनाने में मदद की। पार्टी को खासकर पश्चिमी ओडिशा में इससे बहुत फायदा हुआ। राज्य की 80% से अधिक आबादी किसानों की है।

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “हम अपने घोषणापत्र में किए गए सभी वादों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक बजट वाला राज्य होने के नाते, हमें नहीं लगता कि फंडिंग कोई समस्या होगी। नई मंत्रिपरिषद भारी वित्तीय बोझ वाले पिछली बीजेडी सरकार द्वारा शुरू किए गए कई कार्यक्रमों पर पुनर्विचार करेगी और अपने वादों के कार्यान्वयन को प्राथमिकता देते हुए अपनी योजना तैयार करेगी।”

इसके अलावा भी सरकार के लिए कई चुनौतियां हैं। अगले महीने में सरकार के लिए पहला बड़ा काम अपना बजट तैयार करना होगा, जिसे जुलाई में विधानसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है। राज्य के वित्त विभाग के सूत्रों ने कहा कि एक टीम ने बजट पर काम शुरू कर दिया है, जिसे नई सरकार के निर्देश से अंतिम रूप दिया जाएगा।

चुनाव में रोजगार था बड़ा मुद्दा

पटनायक सरकार के खिलाफ भाजपा के प्रमुख आरोपों में से एक राज्य सरकार के विभागों में बड़े पैमाने पर रिक्तियां थीं। भाजपा ने पहले दो वर्षों में 65,000 पदों सहित 1.5 लाख सरकारी रिक्तियों को भरने का वादा किया। एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा, “हालांकि विभिन्न विभागों में भारी रिक्तियां हैं, लेकिन निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से भर्ती अभियान चलाना एक बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा इन रिक्तियों को भरने के लिए भारी बजट की भी आवश्यकता है।”

नई बीजेपी सरकार को पटनायक सरकार की कई लोकलुभावन योजनाओं पर भी विचार करना होगा जिसने इसे ग्रामीण गरीबों और अन्य समूहों के बीच लोकप्रिय बना दिया है। पटनायक सरकार की बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना (BSKY) एक लोकप्रिय स्वास्थ्य बीमा योजना थी जो लाभार्थियों को चिकित्सा लागत में 5 लाख रुपये (महिलाओं के लिए 10 लाख रुपये) तक के कवरेज का अधिकार देती थी। भाजपा ने अपनी सरकार के पहले 100 दिनों में केंद्र की आयुष्मान भारत योजना को लागू करने का वादा किया है।

2027 तक 25 लाख लखपति दीदी बनाने के अपने वादे के साथ भाजपा गांवों में महिलाओं और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) का वोट हासिल करने में कामयाब रही। हालांकि उनके समर्थन को बरकरार रखना नई सरकार के लिए एक चुनौती होगी। ओडिशा सरकार की मिशन शक्ति पहल के तहत संगठित एसएचजी में लगभग 70 लाख महिलाओं को इस चुनाव तक बीजेडी का बेस वोट माना जाता था।

एक नौकरशाह ने कहा, “प्रत्येक 500 स्वयं सहायता समूहों के लिए औद्योगिक क्लस्टर बनाकर 25 लाख लखपति दीदी बनाने का भाजपा के वादे ने स्वयं सहायता समूहों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है। उनके समर्थन को बरकरार रखने के लिए सरकार को इस पर काम शुरू करना चाहिए।”