COVID-19 (Novel Coronavirus) से देश की लड़ाई और लॉकडाउन में अपनी ही पार्टी को नाकाम करार दिया है। उन्होंने साथ ही पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया और आरोप लगाया है कि केंद्र शासित क्षेत्र का प्रशासन देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे लद्दाख के लोगों को राष्ट्रव्यापी बंदी के दौरान घर-गांव लाने में असफल साबित हुआ है।

बीजेपी चीफ जेपी नड्डा को लिखे खत में दोरजे ने लिखा है, “देश भर में इधर-उधर फंसे लद्दाख के लोगों को लेकर हमारे यहां के प्रशासन की स्थिति संवेदनहीन है। भारत में लद्दाख के लगभग 20 हजार लोग हैं, जो लॉकडाउन के दौरान विभिन्न जगहों पर फंसे हैं। और, इनमें मरीज, श्रद्धालु व छात्र भी हैं।”

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हमारे सहयोगी अखबार ‘The Indian Express’ को उन्होंने इस बाबत बताया- मैंने पूरे मसले को शीर्ष अधिकारियों के सामने भी रखा, जिसमें उप-राज्यपाल और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और लद्दाख में पार्टी मामलों के प्रभारी अविनाश राय खन्ना भी शामिल हैं, पर हालात जस के तस हैं।

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इसी बीच, उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में भगवा पार्टी के विधायक मनीष असीजा ने कोरोना क्वारंटीन सेंटर पर अव्यवस्था के आलम को लेकर अपनी नाराजगी जताते हुए डीएम को शिकायती पत्र लिखा है। उनका दावा है, “क्वारंटीन सेंटर पर खाना वक्त पर नहीं पहुंचता है। ऐसे में बच्चों को दिक्कत होती है। जांच में पता चला कि साढ़े 300 रुपए एक खुराक की रकम पड़ती है, जबकि वहां रहने वालों को ढाई लीटर पानी दिया जाता है। कृपया, इन चीजों को लेकर लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई करें।”

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उधर, इस पत्र को सपा ने मुद्दा बना लिया है और योगी सरकार को घेरा है। सपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर इसी मामले में कई पोस्ट किए और कटाक्ष में कहा कि ये लेटर उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के लिए आइने जैसा है।

बता दें कि बीजेपी को ये झटके तब लगे हैं, जब मोदी सरकार और उनकी पार्टी की कोरोना और लॉकडाउन संबंधी रणनीतियों को लेकर बड़े स्तर पर कई धड़ों द्वारा आलोचना हो रही है। आलोचकों का कहना है कि लॉकडाउन महज पॉज (ठहराव) है, यह स्थाई हल नहीं है। देश को कोरोना की टेस्टिंग बढ़ाने के साथ मजदूरों और उद्योगों को ध्यान में रखते हुए और आर्थिक पैकेज का ऐलान करना चाहिए।