UP Bihar Politics: राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश (UP) और बिहार (Bihar) में  2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के वोटों में गिरावट के डर से भाजपा (BJP) ने अब अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों, गैर-जाटव दलित को साथ लेकर एक नया समर्थन आधार बनाने की रणनीति तैयार की है।

पिछड़े मुस्लिम वोट बैंक पर नजर

बीजेपी पहले से ही यूपी और बिहार में पिछड़े मुसलमानों को लुभाने के प्रयास कर रही है। बीजेपी की नजर  नए सामाजिक गठबंधन को मजबूत करने पर है। पार्टी का मानना है कि नया गठबंधन आने वाले आम चुनाव में इन महत्वपूर्ण राज्यों में उनकी लड़ाई को आसान बना देगा। पार्टी के नेताओं का कहना है कि यूपी में कुल मुस्लिम आबादी में पिछड़े मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी है। 

बीजेपी पहले ही यूपी के रामपुर, लखनऊ और बरेली में पसमांदा मुसलमानों के लिए सभा आयोजित कर चुकी है।  भाजपा ने 26 नवंबर को संविधान दिवस पर पटना में एक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है।  जिसके लिए ईबीसी, दलितों, आदिवासियों और पसमांदा मुसलमानों के प्रतिभागियों को अपने हक की लड़ाई के लिए एक समूह के रूप में काम करने के लिए इकट्ठा किया जाएगा। 

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यूपी में भाजपा ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी को अपनी प्रस्तावित नई सोशल इंजीनियरिंग का जिम्मा सौंपा है।  अंसारी को पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने की जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार विधान परिषद के सदस्य संजय पासवान पटना में पार्टी की दावेदारी का नेतृत्व कर रहे हैं।

छिटके हुए ओबीसी वोट को फिरसे लाने का प्रयास

इस साल की शुरुआत में यूपी विधानसभा चुनावों से पहले कई गैर-यादव ओबीसी नेता भाजपा से समाजवादी पार्टी में चले गए थे। जिसके रहते भाजपा के ओबीसी वोट के आधार को नुकसान पहुंचा था। पार्टी सूत्रों ने कहा कि इनमें से कुछ नेताओं को वापस अपने पाले में लाने के प्रयास करते हुए भाजपा को उम्मीद है कि एक और सामाजिक गठबंधन बनाने के समानांतर प्रयास से छिटके हुए समर्थन को वापस हासिल किया जा सकता है।

भाजपा का यह नया सामाजिक गठबंधन इसलिए भी अमल में लाया जा रहा है क्योंकि कुछ महीनों पहले  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद में अपने राष्ट्रीय कार्यकारिणी सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी से हिंदुओं के अलावा अन्य समुदायों में “वंचित और दलित” वर्गों तक पहुंचने का आग्रह किया था।