बिहार की राजधानी पटना में विपक्ष की बैठक को अभी 10 दिन ही बीते थे लेकिन इसी बीच महाराष्ट्र में एक बड़ा खेला हो गया। एनसीपी नेता अजित पवार दो दर्जन से अधिक विधायकों के साथ शिवसेना-बीजेपी सरकार में शामिल हो गए। अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली, तो वहीं 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इस घटनाक्रम को लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी के लिए बड़े फायदे के रूप में देखा जा रहा है।
एक झटके में भाजपा ने 2019 वाला अपना बदला पूरा कर लिया। तब एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना को बीजेपी से अलग कर दिया था और कांग्रेस के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार बना ली थी। भाजपा ने अब महाराष्ट्र में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने लिए रास्ता भी साफ कर लिया है। यहां पर बीजेपी को एनसीपी से चुनौती भी मिल रही थी।
इस आश्चर्यजनक घटनाक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) की छाप नजर आ रही है। भाजपा के मुख्य चुनाव रणनीतिकार अमित शाह कर्नाटक चुनाव में हार के बाद से पार्टी की कमान संभाल रहे हैं और एनडीए के पूर्व सहयोगियों से भी बात कर रहे हैं और मौजूदा सहयोगियों को आश्वस्त कर रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के अनुसार अमित शाह के साथ अजित पवार की 29 जून की आधी रात को बैठक हुई थी और इस बैठक में एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। इसी बैठक में अजीत पवार को दूसरा मौका देने का निर्णय लिया गया। वहीं बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि यह 2024 की रणनीति का हिस्सा है।
बीजेपी नेताओं को लगता है कि अगर शिंदे और उनके साथी 16 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाता है, तो भाजपा सत्ता से बाहर ना हो और अजीत पवार और उनके समर्थक विधायकों की मदद से महाराष्ट्र में सरकार बनी रहे।
आंध्र प्रदेश में बीजेपी अपने पूर्व सहयोगी टीडीपी के साथ गठबंधन कर सकती है। पिछले महीने ही टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू के साथ बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि दोनों पार्टियों की स्थिति कैसी है और गठबंधन से उन्हें क्या फायदा हो सकता है।
बीजेपी और टीडीपी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए थे। हालांकि अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि टीडीपी को डर है कि औपचारिक गठबंधन से उसकी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है। टीडीपी को लगता है कि अगर समझदारी और एक दूसरे के समर्थन से आगे बढ़ते हैं, तो यह काफी बेहतर होगा।
हाल ही में अमित शाह ने विशाखापट्टनम का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि आंध्र भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है। उनके इस बयान के बाद ही यह प्रतीत हो रहा है कि राज्य में बीजेपी, टीडीपी के साथ आने वाले समय में गठबंधन कर सकती है।
हाल ही में दिल्ली पर आए अध्यादेश को लेकर बीजेपी को राज्यसभा में वाईएसआरसीपी के समर्थन की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन माना जा रहा है कि वाईएसआरसीपी इस बिल का समर्थन ना भी करें। भाजपा के लोकसभा में 303 सदस्य हैं और स्पष्ट बहुमत प्राप्त है, लेकिन राज्यसभा में उसे समर्थन की जरूरत पड़ेगी।
वाईएसआरसीपी ने यूसीसी की शर्तों को लेकर भी आपत्ति जताई है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जगन मोहन रेड्डी की बैठक है और इस दौरान पार्टी अपना रुख स्पष्ट कर सकती है।
वहीं राज्यसभा में बीजेपी नवीन पटनायक की बीजेडी से भी समर्थन की उम्मीद रख रही है। हालांकि कई अहम मुद्दों पर बीजेडी ने राज्यसभा में एनडीए का समर्थन किया है, लेकिन भाजपा ओडिशा में मुख्य विपक्षी पार्टी है, इसको भी कोई नकार कर सकता।
बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के निजी सचिव वीके पांडियन के खिलाफ सबसे अधिक हमला बोला है। नवीन पटनायक के निजी सचिव रैलियों में भी भाग लेते हैं। भाजपा को उम्मीद है कि उड़ीसा में नवीन पटनायक जल्द ही राजनीति से संन्यास ले लेंगे, जिसके बाद प्रदेश में एक जगह बनेगी।
मणिपुर में भी अशांति है, जो बीजेपी के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। मणिपुर की बीजेपी सरकार हिंसा पर काबू नहीं रख पाई और इससे पूरे नॉर्थ ईस्ट में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। इसको लेकर भी लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।