प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार (31 जुलाई, 2019) को जम्मू-कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है। इस बिल से राज्य के सरकारी शैक्षणिक संस्थानों और दफ्तरों में गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। आर्थिक तौर पर कमजोर तबका यानी कि ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण का यह कोटा जम्मू-कश्मीर की मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में विस्तार होगा।
केंद्र सरकार ने इससे पहले इसी साल जनवरी में सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा से जुड़े संस्थानों में ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण के लिए संवैधानिक संशोधन को हरी झंडी दी थी। बता दें कि यह कोटा 50 फीसदी आरक्षण की सीमा से ऊपर और आगे होगा। केंद्र के मुताबिक, जिन लोगों की वार्षिक आय आठ लाख रुपए से कम होगी उन्हें आर्थिक तौर पर कमजोर यानी कि ईडब्ल्यूएस की श्रेणी में गिना जाएगा।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पहले केंद्र के ईडब्ल्यूएस को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले को नामंजूर कर दिया था। बाद में केंद्र की याचिकाओं पर कोर्ट कानून की वैधानिकता का परीक्षण करने पर राजी हुआ था और उसने इस बाबत सरकार को जवाब में चिट्ठी भी भेजी थी।
लोकसभा और राज्यसभा में यह बिल क्रमशः आठ और नौ जनवरी को पास हुआ था, जबकि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी इस पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। यह कोटा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले कुल 50 फीसदी आरक्षण के कैप से इतर होगा।

