बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर देशभर में हंगामा मचा हुआ है। विपक्ष इस मामले को लेकर चुनाव आयोग को भी घेर रहा है। विपक्ष का कहना है कि इसके माध्यम से बीजेपी वोटरों के नाम कटवा रही है। हालांकि 1 अगस्त से अपने डेली बुलेटिन में चुनाव आयोग यह कहता रहा है कि बिहार में 1.6 लाख बूथ स्तरीय एजेंट (BLA) में से किसी ने भी SIR के तहत प्रकाशित मतदाता सूची के ड्राफ्ट में कोई दवा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।
BLA कौन होते हैं?
जमीनी स्तर पर BLA किसी भी पार्टी की सबसे अहम कड़ी होते हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सभी दलों के BLA आपत्ति दर्ज करा रहे हैं। विपक्षी दलों के BLA का कहना है कि कई जगहों पर मृत लोगों के नाम डाल दिए गए हैं तो कहीं डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम भी सूची में है। इंडियन एक्सप्रेस ने अलग-अलग राजनीतिक दलों के BLA से बात की।
औरंगाबाद के एक मतदान केंद्र पर बीएलए का कहना है कि वह घर-घर जाकर अपने मतदान केंद्र के उन 122 मतदाताओं को सचेत कर रहा है जिनके नाम चुनाव आयोग की सूची से हटा दिए गए हैं। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार ड्राफ्ट सूची पर आपत्तियां निर्धारित प्रारूप में (नाम जोड़ने के लिए फॉर्म 6, नाम हटाने के लिए फॉर्म 7) एक घोषणा के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए। लेकिन बीएलए का कहना है कि उन्होंने कथित अशुद्धियों के बारे में अधिकारियों को अवगत करा दिया है, लेकिन कार्रवाई चुनाव आयोग को ही करनी है।
वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन को लेकर बिहार के गांवों में परेशान हैं लोग
अधिकारियों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बीएलए आमतौर पर निर्धारित प्रारूप में दावे और आपत्तियां पेश नहीं करते क्योंकि उन्हें शपथ पर साक्ष्य प्रस्तुत करने होते हैं। यह वही नियम है जिसका हवाला मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी से कर्नाटक में मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों के लिए हलफनामा देने को कहते समय दिया था। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के तहत, झूठी घोषणा करना एक अपराध है जिसके लिए जेल/जुर्माना हो सकता है।
दरभंगा के बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र के एक बूथ पर भाजपा के बीएलए कृष्ण भगवान झा कहते हैं कि उन्होंने अभी तक 1 अगस्त को प्रकाशित मतदाता सूची का ड्राफ्ट नहीं देखा है, लेकिन वे वास्तविक मतदाताओं के नाम सूची से छूट जाने को लेकर चिंतित नहीं हैं। वे आत्मविश्वास से कहते हैं, “जो यहां के मूल निवासी हैं, उनके पास कोई तो सबूत होगा।”
बीजेपी ने भी जताई आपत्ति
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 1.60 लाख बीएलए में से सत्तारूढ़ गठबंधन (एनडीए) में शामिल भाजपा के पास सबसे अधिक संख्या (53,338) है। लेकिन यह संख्या भी राज्य के सभी 90,712 बूथों को कवर नहीं करती है। दरभंगा विधानसभा सीट के एक अन्य बूथ पर भाजपा के बीएलए लक्ष्मण कुमार का कहना है कि उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट कौशल कुमार को एक पत्र सौंपा है, जिसमें 665 मतदाताओं के नाम हैं, जिनके पास कथित तौर पर एक ही विधानसभा क्षेत्र में एक से अधिक मतदाता पहचान पत्र हैं। लक्ष्मण की सूची में लगभग सभी मतदाता अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।
लक्ष्मण ने कहा, “हमने पाया है कि इन 665 लोगों के पास कुछ मामलों में दो, तीन और यहां तक कि चार EPIC भी हैं। कुछ लोग एक ही बूथ पर कई बार रजिस्टर्ड हैं, तो कुछ विधानसभा के अलग-अलग बूथों पर हैं। जब मैंने शिकायत दर्ज कराई थी, तो हमसे एक हलफनामा भी संलग्न करने को कहा गया था। मैंने दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के बीएलए के तौर पर अपने लेटरहेड पर शिकायत दर्ज कराई थी। मुझे नहीं लगता कि हलफनामे की जरूरत है। हमने इन डुप्लिकेट की पहचान कर ली है। अब अधिकारियों को जांच करनी है और जो नाम मिलेंगे उन्हें हटाना है।” इस मामले पर डीएम ने द इंडियन एक्सप्रेस के टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया।
हालांकि अधिकारियों ने कहा कि शिकायत की जांच की जा रही है। हयाघाट विधानसभा क्षेत्र के भाजपा बीएलए राजेश चौधरी जोर देकर कहते हैं कि एसआईआर प्रक्रिया सुचारू रही है। उन्होंने कहा, “कुछ लोग ऐसे हैं जिनके नाम सूची में नहीं थे या उनके दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे। हम उनसे फ़ोन पर संपर्क कर रहे हैं और अगर वे यहां नहीं हैं तो उन्हें व्हाट्सएप पर दस्तावेज भेजने के लिए कह रहे हैं। फिर हम बीएलओ को फ़ॉर्म जमा करते हैं।”
दरभंगा में बीजेपी की BLA का क्या कहना?
दरभंगा विधानसभा क्षेत्र की भाजपा बीएलए सपना भारती कहती हैं, “कई लोगों के नाम सूची में नहीं हैं, लेकिन हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे सभी अगले दो-तीन दिनों में औपचारिकताएँ पूरी कर लें। हमने उनकी जाति या निवास प्रमाण पत्र बनवाने में मदद की है।”
सीपीआई (एमएल) के बीएलए भी एक्टिव
विपक्ष के एसआईआर के खिलाफ एकजुट होने के साथ आरजेडी, कांग्रेस और वामपंथी बीएलए कथित अनियमितताओं को उजागर करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। भोजपुर के जिला मुख्यालय आरा शहर में, सीपीआई (एमएल) के बीएलए और पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने ड्राफ्ट रोल में मतदाताओं को ‘गलत’ मृत घोषित किए जाने के 9 मामलों की पहचान की है। इनमें मिंटू पासवान भी शामिल है, जो ऐसे सात मामलों में से एक है, जिनका राहुल गांधी ने हाल ही में जिक्र किया था।
भोजपुर में सीपीआई (एमएल) की मजबूत उपस्थिति है, जहां पार्टी के सुदामा प्रसाद ने 2024 के चुनावों में आरा लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता आरके सिंह को हराया था। पार्टी ने बगल की काराकाट लोकसभा सीट भी जीती थी। आरा के धरहरा स्थित एक मतदान केंद्र पर सीपीआई (एमएल) के बीएलए रितेश सुनीलम कहते हैं कि उन्होंने तीन मतदाताओं की पहचान की है, जिनमें एक दिहाड़ी मजदूर मदन प्रसाद भी शामिल हैं, जिन्हें गलत तरीके से मृत घोषित कर दिया गया था और मतदाता सूची से हटा दिया गया था।
मैं अब पूरी तरह से बेकार हूं- मदन प्रसाद
अति पिछड़ा वर्ग के मदन प्रसाद (जो कुछ वर्षों से बेरोजगार हैं) कहते हैं, “मैं अब पूरी तरह से बेकार हूं। कम से कम अब तक तो वोट दे सकता था, अब मैं वह भी नहीं कर सकता।” सुनीलम उनसे आधार कार्ड और चुनाव आयोग द्वारा अनिवार्य 11 दस्तावेजों में से एक मांगते हैं और कहते हैं कि वह फॉर्म 6 के साथ नए मतदाता के रूप में आवेदन करने में उनकी मदद करेंगे। मदन प्रसाद बीएलए को नजरअंदाज करते हुए कहते हैं कि बाद में देंगे। सुनीलम कहते हैं कि उनके मतदान केंद्र के तीनों मतदाता, जिन्हें चुनाव आयोग की मतदाता सूची में मृत घोषित कर दिया गया है, उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदान किया था।
16 अगस्त को बिहार में आरजेडी के नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन के प्रमुख सहयोगियों में से एक वामपंथी दल सीपीआई (एमएल) ने अपने पदाधिकारियों की ज़िला-स्तरीय बैठक बुलाई ताकि एसआईआर में विसंगतियों को उजागर किया जा सके। पार्टी मामले को चुनाव आयोग के बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के ध्यान में लाने की कोशिश कर रही।
आरा में कई खामियां
आरा में सीपीआई (एमएल) के बीएलए ने कई ऐसी आपत्ति उठाई हैं। तरारी और नोखा विधानसभा क्षेत्रों के बूथों पर मतदाताओं की कथित डुप्लीकेशन, आरा विधानसभा क्षेत्र के खोपिरा में लगभग 50 लोगों को स्थायी रूप से ट्रांसफर के रूप में लिस्टेड किया गया है, जबकि वे केवल काम के लिए गए थे। वहीं जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र के देहरी टोला का एक मामला है, जहां चौधरी उपनाम (अति पिछड़ा वर्ग) वाले 76 लोगों को कथित तौर पर ड्राफ्ट सूची में चौबे (एक उच्च जाति का उपनाम) के रूप में लिस्ट किया गया था। सीपीआई (एमएल) के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इन अनियमितताओं को संबंधित बीएलओ के ध्यान में लाया है।
कांग्रेस को भी शिकायत
वहीं औरंगाबाद के वार्ड संख्या 13 में कांग्रेस के बीएलए सरविंद कुमार के पास 122 मतदाताओं की सूची है जिनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। सरविंद कुमार कहते हैं, “लोग मेरे घर यह जानने आ रहे हैं कि क्या उनके नाम काटे गए हैं। वहां भीड़ बढ़ रही थी, मैंने उन्हें घर वापस जाने के लिए कहा और अब मैं उनके घर जाकर उन्हें बता रहा हूं कि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है। यह पहला कदम है।” इस वार्ड में दलितों और मुसलमानों के अलावा ऊंची जातियों के मतदाताओं की भी अच्छी-खासी आबादी है।
45 वर्षीय धनंजरिया देवी और 50 वर्षीय रमेश राम एक दलित दंपत्ति हैं और दिहाड़ी मजदूर हैं। उनके घर पर मौजूद सरविंद कुमार घोषणा करते हैं, “आपका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। धनंजरिया देवी का नाम यह कहकर हटा दिया गया है कि वह मौजूद नहीं थीं, जबकि उनके पति का नाम मतदाता सूची में राज्य से स्थायी रूप से बाहर चले गए के रूप में दिखाया गया है।” सरविंद कुमार दंपत्ति से कहते हैं कि उन्हें अपना जाति प्रमाण पत्र बनवाना होगा और वह इस मामले पर कांग्रेस विधायक आनंद शंकर सिंह से बात करेंगे। वह कहते हैं कि चिंता मत करो। मैं तुम्हारे साथ जाति प्रमाण पत्र बनवाने चलूंगा।