बिहार में विधानसभा से पार्टी छोड़ने और पकड़ने का खेल शुरू हो गया है। बिहार में लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को मंगलवार को बड़ा झटका लगा है। सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी के आठ में से पांच विधान पार्षदों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली JD(U) का हाथ थाम लिया है। जद (यू) अधिकारी ने बताया कि ये पांचों पार्टी में शामिल हो गए हैं। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी में फूट को लेकर राजद के नेता तजस्वी यादव ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

तेजस्वी का कहना है कि चुनाव के दौरान लोग आते जाते रहते हैं।ऐसा कोई चुनाव बताइए जब किसी पार्टी का नेता इधर से उधर नहीं हुआ हो। यह चुनाव का मौसम है और सरकार अपनी कुर्सी बचाने में जुटी हुई है। कुछ दिन पहले एक जेडीयू एमएलसी हमारे पास आए थे तो यह सब चीजें होती रहती हैं। मुझे कुछ नहीं कहना है जो लोग गए हैं उनको शुभकामनाएं। नीतीश जी ने रचनात्मक काम किया है।लेकिन, इस रचनात्मक कार्य से उन्हें ही फायदा हो सकता है। बीते दिन की घटना उन्हें निजी लाभ पहुंचा सकती है, लेकिन बिहार के लोगों को कुछ नहीं।

इससे पहले तेजस्वी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा था कि साल 2015 में बिहार की जनता ने बीजेपी को हराने के लिए जनमत दिया था लेकिन नीतीश जी ने बिहार की जनता के साथ धोखा किया। वह केवल अपने स्वार्थ और अपनी कुर्सी बचाने के लिए राजनीति करते हैं। उनका ना कोई सिद्धांत है ना कोई विचारधारा है।

बता दें कि राजद के पांच विधान पार्षदों- एस एम क़मर आलम, संजय प्रसाद, राधा चरण सेठ, रणविजय कुमार सिंह और दिलीप राय ने बिहार विधान परिषद के कार्यवाहक सभापति अवधेश नारायण सिंह से मंगलवार को उनके कक्ष में मुलाकात कर राजद से इस्तीफा देने की सूचना उन्हें दी। फिर उन्हें अलग समूह के रूप में मान्यता देने और उस समूह का जदयू में विलय किए जाने की अनुमति उन्होंने मांगी, जो उन्हें मिल गई।