नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी तरह की पहली तीन दिवसीय समन्वय बैठक में बुधवार को यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठनों, सरकार और भाजपा के वरिष्ठ लोगों ने विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में सुषमा स्वराज, अरुण जेटली समेत 12 केंद्रीय मंत्री शामिल थे। मोदी भी इस बैठक में आएंगे।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में जंतर मंतर पर वन रैंक, वन पेंशन की मांग को लेकर पूर्व सैनिकों के आंदोलन का मुद्दा भी उठा। संघ के पदाधिकारियों का मानना है कि पूर्व सैनिकों के आंदोलन के ज्यादा लंबा चलने से सरकार की छवि प्रभावित हो सकती है और उसे चाहिए जितना जल्द इसका समाधान किया जाना चाहिए।
भाजपा महासचिव राम माधव ने हालांकि कहा कि बैठक के दौरान कुछ समसामयिक विषय जरूर उठे, लेकिन यह विषय नहीं आया। उन्होंने कहा कि यह नीतिगत मुद्दा है जिस पर सरकार आगे बढ़ रही है। बैठक में अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह, मनोहर पर्रीकर, वेंकैया नायडू, अनंत कुमार और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बैठक के अंतिम दिन इसमें हिस्सा लेने की संभावना है।
संघ के प्रमुख मोहन भागवत की अध्यक्षता में हो रही इस समन्वय बैठक में सरकार के कामकाज के बारे में चर्चा होने की खबरों पर सूत्रों ने कहा कि यह सरकार के बहीखाते की बैठक नहीं है, बल्कि इसमें संघ से जुड़े विभिन्न संगठन मसलन सेवा भारती, विद्या भारती, वनवासी कल्याण, विश्व हिंदू परिषद, विद्यार्थी परिषद आदि ने साल भर में क्या किया और आगे क्या करेंगे, उस पर प्रस्तुति दी जाती है।
सूत्रों ने बताया कि इस बार बैठक ने थोड़ा अलग स्वरूप जरूर लिया है क्योंकि समाज में बहुत सारी घटनाएं घट रही है। देश भर में साल भर घूम-घूमकर जनता की सोच का जायजा लेने वाले संघ के अखिल भारतीय पदाधिकारियों से इनके बारे में व्यापक ब्योरे मिले हैं। ये पदाधिकारी समाज के अलग-अलग लोगों से मिलने, समाज में क्या चल रहा है, लोगों के मन में क्या है, इसके बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
संघ के सूत्रों ने कहा कि समाज में वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) पर पूर्व सैनिकों की मांग, गुजरात मेंं पाटीदार समुदाय का आरक्षण आंदोलन, जनगणना के आंकड़े, श्रम सुधार, संगठन विस्तार, शिक्षा नीति जैसे विषयों पर बैठक में विचारों के आदान-प्रदान हो रहे हैं।
उनके अनुसार संघ के प्रमुख प्रचारक देश के विभिन्न क्षेत्रों के ताजा भ्रमण के दौरान जो देखते हैं, उससे जो आकलन निकालते हैं, बैठक में उस बारे में नोट्स साझा किए जाते हैं। संघ की समन्वय बैठक में 93 मुख्य पदाधिकारी और 15 आनुषंगी संगठन ‘विचारों और टिप्पणियों’ का आदान-प्रदान कर रहे हैं जो अर्थव्यवस्था, कृषि और शिक्षा समेत विविध विषयों से जुड़े हैं। बैठक के दौरान तीन दिनों में शीर्ष केंद्रीय मंत्री और भाजपा के प्रमुख नेता हिस्सा ले रहे हैं।
संघ का कहना है कि यह बैठक सरकार के कामकाज की समीक्षा करने के उद्देश्य ने नहीं बुलाई गई है, बल्कि उसके कैलेंडर कार्यक्रम का हिस्सा है। ऐसी बैठक हर साल सितंबर और जनवरी में होती है। बैठक के दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी, सहसरकार्यवाह कृष्ण गोपाल समेत संघ के विभिन्न संगठनों से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारी देश और विदेश में अपने अपने भ्रमणों के दौरान हुए अनुभव साझा कर रहे हैं।
संघ की समन्वय बैठक ऐसे समय में हो रही है जब विवादित भूमि विधेयक पर विपक्ष और अपने कुछ सहयोगी दलों के दबाव में सरकार पीछे हटने को मजबूर हुई है और बिहार में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि तीन दिन की समन्वय बैठक में चार क्षेत्रों-सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और शिक्षा से संबंधित विषयों पर चर्चा होगी। अलग-अलग सत्रों के दौरान केंद्रीय मंत्री बैठक में मौजूद रहेंगे। इस बार बैठक में शामिल होने वालों की संख्या लगभग दोगुनी है।
इस बीच आम आदमी पार्टी ने भाजपा-संघ बैठक पर सवाल उठाया और उसे संविधान का ‘उपहास’ उड़ाने के बराबर बताया। पार्टी ने मुसलमानों के लिए अलग से ‘सकारात्मक कार्रवाई’ की वकालत करने के लिए राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर एक धड़े द्वारा निशाना साधे जाने की आलोचना की।
आप नेता आशुतोष ने कहा कि शीर्ष केंद्रीय मंत्रियों, भाजपा नेताओं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठनोंं की यह सम्मिलित बैठक राजनीतिक प्रक्रिया में भगवा संगठन के ‘हस्तक्षेपों’ की ओर संकेत करती है। आशुतोष ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, नरेंद्र मोदी और आरएसएस के बीच बैठक बेहद संदेहास्पद है। सरकार सिर्फ जनता के प्रति जिम्मेदार और जवाबदेह है। ऐसी बैठक संवैधानिक व्यवस्था और संसदीय लोकतंत्र का उपहास है। उन्होंने कहा, मुख्यधारा की राजनीति में यह संघ का ‘स्पष्ट हस्तक्षेप’ है, जबकि संगठन ने अतीत में इससे अलग रहने का वादा किया था।
आप नेता ने मोदी से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि अंसारी को भाजपा, आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों से किसी प्रकार की ‘आलोचना’ का सामना ना करना पड़े। उन्होंंने कहा कि अतीत में भी उन पर ऐसे हमले हुए हैं, वे उपराष्ट्रपति पर भाजपा नेता राम माधव के ट्वीट की बात कर रहे थे। आशुतोष ने कहा, प्रधानमंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे किसी घटनाक्रम की पुनरावृत्ति ना हो क्योंकि उपराष्ट्रपति अंसारी देश के दूसरे सर्वोच्च पद पर आसीन हैं। मोदी को उन लोगों पर लगाम लगानी चाहिए।