Bharat Bandh: पूरे देश में Agriculture Bills/Farm Bills कृषि बिल का विरोध हो रहा है। इस बिल के खिलाफ देशभर में किसान सड़कों पर उतर आए हैं और उन्हें विपक्ष का पूरा समर्थन मिल रहा है। इसी बीच महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने इस बिल को लागू करने से मना कर दिया है। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने किसान बिल का विरोध करते हुए कहा, ‘हम संसद द्वारा पारित कृषि विधेयक का विरोध करते हैं। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी भी इसका विरोध कर रही है। हमने तय किया है कि इसे राज्य में लागू नहीं होने देंगे।’
बिहार में सीपीआई, सीपीएम व राजद कार्यकर्ताओं ने केंद्र की मोदी सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए बिल का विरोध जताते हुए उसे वापस लेने की मांग किया। वहीं पंजाब सरकार के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि संसद में तानाशाही तरीके से तीन कृषि विधेयक पारित कराने से केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा है कि कृषि बिल के खिलाफ 350 से ज्यादा किसान संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि जिले, गांव और हाईवे पर चक्काजाम किया जाएगा। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने बंद का समर्थन किया है। ‘भारत बंद’ का सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में देखने को मिल रहा है।
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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने हरियाणा और पंजाब में आज से धान/चावल खरीद शुरू करने के आदेश जारी किए।
अमृतसर से किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव ने बताया कि किसान रेलवे ट्रैक पर अपने कपड़े उतारकर प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि मोदी सरकार कृषि बिल को वापस लें। कल अकाली दल ने अपने प्रदर्शन में मोदी सरकार और कृषि बिल के खिलाफ कुछ नहीं बोला। वे अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहें,वे राजनीति कर रहें।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के विरोध का समर्थन करते हुए कहा कि मोदी सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे अत्याचार और शोषण के ख़िलाफ़, आइये साथ मिलकर आवाज़ उठाएं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव एस एस पंधेर ने कहा, "अकाली दल एक स्पष्ट रुख नहीं अपना रही है। वह गठबंधन का हिस्सा बने रहने की कोशिश कर रही है और राजनीति कर रही है।"
कृषि विधेयक के विरोध में शनिवार को किसान मजदूर संघर्ष समिति का पंजाब के अमृतसर में 'रेल रोको' आंदोलन जारी है। समिति ने बिल के विरोध में 24 से 26 सितंबर तक 'रेल रोको' आंदोलन चलाया है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आह्वान पर पूर्व से प्रायोजित कार्यक्रम के अनुसार शुक्रवार को बसंतपुर प्रखंड के राजद, कांग्रेस, जाप व अन्य पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने वीरपुर बलुआ एसएच 91 के बसंतपुर प्रखंड कार्यालय के समीप सड़क पर बैलगाड़ी लगाकर चक्का जाम किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार और पीएम मोदी के विरोध में नारे भी लगाए।
सरकार ने बिल में मंडियों को खत्म करने की बात कहीं पर भी नहीं लिखी है। लेकिन उसका इंपैक्ट मंडियों को तबाह कर सकता है। इसका अंदाजा लगाकर किसान डरा हुआ है। इसीलिए आढ़तियों को भी डर सता रहा है। इस मसले पर ही किसान और आढ़ती एक साथ हैं। उनका मानना है कि मंडियां बचेंगी तभी तो किसान उसमें एमएसपी पर अपनी उपज बेच पाएगा।
अकाली दल नेता सुखबीर बादल ने कहा कि संसद में अकाली दल ने जिस तरह से इस मुद्दे को उठाया उतना और किसी पार्टी ने नहीं उठाया। यहां तक कि कांग्रेस भी विरोध करने में हमसे पीछे रही. बादल ने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेता संसद से गायब थे। साथ ही सुखबीर बादल ने कहा कि हमें कैप्टन अमरिंदर से किसान समर्थक होने का कोई सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।
किसानों ने कहा कि हम केंद्र के कानून का इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि ये सरासर किसान के खिलाफ हैं। किसानों को डर है कि नए कानून से खेती से जुड़े सारे सरकारी इदारे खत्म हो जाएंगे। किसानों ने कहा कि ये काला कानून है क्योंकि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने का रास्ता खुल गया है।
पंजाब सरकार के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि संसद में तानाशाही तरीके से तीन कृषि विधेयक पारित कराने से केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है।
महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेस और राकांपा ने शुक्रवार को कहा कि वे यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि राज्य में कृषि क्षेत्र में सुधार से संबंधित विधेयक लागू नहीं हों। उपमुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजित पवार ने पुणे में कहा कि किसानों के साथ-साथ राकांपा और अन्य दल भी नए विधेयकों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, ‘किसानों को लगता है कि कानून उनके लिए लाभकारी नहीं हैं। उन्हें (उन्हें पारित करने की) कोई जल्दी नहीं थी।’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें महाराष्ट्र में लागू किया जाएगा, पवार ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि वे लागू नहीं हों। लेकिन साथ ही हमें यह भी देखना होगा कि कौन से नए मुद्दे सामने आते हैं।’
संसद में हाल में पारित किए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के किसानों ने प्रदर्शन किया। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक के मंडल सदस्य और कृषि वैज्ञानिक संकेत ठाकुर ने शुक्रवार को बताया कि देश के 100 से अधिक किसान संगठनों के साथ आज छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ सहित राज्य के 25 संगठनों ने लगभग 100 से अधिक गांवों और कस्बों में कृषि विधेयकों के विरोध में प्रदर्शन किया। ठाकुर ने बताया कि छत्तीसगढ़ के ज्यादातर जिलों में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन होने की वजह से जिला और ब्लाक मुख्यालयों में प्रदर्शन ना होकर गांव के किसानों ने अपने खेत, खलिहान, चौपाल तथा अपने घर के बाहर प्रदर्शन किया।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में शहीद स्मारक पर विरोध प्रदर्शन हुआ। केंद्र की भाजपा सरकार की किसान-मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के तहत आयोजित कार्यक्रम में कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भाकपा, भाकपा (माले) व समाजवादी पार्टी के साथ-साथ सीटू, एटक, एनएफआईडब्ल्यू, जनवादी महिला समिति व जनवादी नौजवान सभा जैसे संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
किसानों ने केंद्र सरकार के विवादित कृषि विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार को राज्य के अनेक इलाकों में प्रदर्शन किया। किसान संगठन संसद द्वारा पारित इन विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए वापस लेने की मांग कर रहे हैं। राज्य के बीकानेर, गंगानगर व हनुमानगढ़ सहित लगभग सभी जिलों में अनेक जगहों पर किसानों ने प्रदर्शन किया और जुलूस निकाले।
किसान और खेती को लेकर केंद्र सरकार के नए विधेयकों से देशभर में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान अपनी तमाम आशंकाओं को लेकर केंद्र सरकार से नाराज हैं। हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि विधेयक किसानों की जिंदगी सुखद बदलाव लाएंगे।
केंद्र सरकार पर किसान के विरोध में बिल पारित करने का आरोप लगाकर जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपने तय कार्यक्रम के अनुसार बेगूसराय में एनएच 31 को जाम कर दिया और सरकार के विरोध में नारेबाजी की। आरजेडी और वामपंथी पार्टियों के भारत बंद का जहानाबाद में भी असर दिखा। समस्तीपुर में केंद्र सरकार पर किसान विरोधी कानून पारित करने का आरोप लगाकर जगह-जगह विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
पंजाब सरकार के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने शुक्रवार को कहा कि संसद में तानाशाही तरीके से तीन कृषि विधेयक पारित कराने से केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता संबित पात्रा ने कृषि विधेयक के मुद्दे पर किसानों को कथित रूप से भ्रमित करने के लिए विपक्षी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस पर शुक्रवार को निशाना साधा और कहा कि यह सुधार आजादी के बाद पहली बार कृषि क्षेत्र के उदारीकरण को सुनिश्चित करेगा।
पंजाब: राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के कार्यकर्ता हाल ही में पारित कृषि बिलों के विरोध में अमृतसर में एक मार्च निकाल रहे हैं।
संसद द्वारा हाल ही में पारित तीन कृषि बिलों के विरोध में किसानों ने देश के कई हिस्सों में नारेबाजी की और सड़कों पर जाम लगाया। सबसे व्यापक विरोध पंजाब और हरियाणा में थे, लेकिन कई किसान यूनियनों द्वारा दिए गए भारत बंद के आह्वान के तहत उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक से भी प्रदर्शन किए गए।
शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए पंजाब के अपने "चक्का जाम" कार्यक्रम के तहत विरोध प्रदर्शन किया, यहां तक कि उसने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से कृषि बिलों पर तत्काल कैबिनेट बैठक बुलाने के लिए कहा। इसने पूरे राज्य को एक "मंडी" (प्रमुख बाजार यार्ड) घोषित करने के लिए अध्यादेश लाने का आह्वान किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राज्य में नए केंद्रीय कृषि बिल लागू नहीं हो सकें।
किसानों का कहा कि हम केंद्र के कानून का इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि ये सरासर किसान के खिलाफ हैं। किसानों को डर है कि नए कानून से खेती से जुड़े सारे सरकारी इदारे खत्म हो जाएंगे। किसानों ने कहा कि ये काला कानून है क्योंकि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने का रास्ता खुल गया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रदर्शन के दौरान किसानों से कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने और कोरोना वायरस से जुड़े सभी नियमों का पालन करने की अपील की। एक बयान में सिंह ने कहा कि राज्य सरकार विधेयकों के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह किसानों के साथ है और धारा 144 के उल्लंघन के लिए प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है।
टीएमसी के किसान विंग ने हाल ही में पारित कृषि कानूनों के खिलाफ आज कोलकाता में विरोध प्रदर्शन किया। टीएमसी नेता कहते हैं, "यह एक सरकारी कानून है, जो बिना किसी प्रक्रिया के मोदी सरकार द्वारा बलपूर्वक पारित किया जाता है। मोदी सरकार आम लोगों के लिए नहीं है,"।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर, संसद में उनके नुमाईंदो की आवाज को दबाया जा रहा है और सड़कों पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है। जैसा अशोक गहलौत ने कहा था - संसद में संविधान का गला घोंटा जा रहा है और खेत खलिहान में किसानों-मजदूरों की आजीविका का।
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर एस बादल ने मुक्तसर में लाम्बी गांव में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री को तत्काल कैबिनेट की बैठक बुलानी चाहिए और राज्य को एक 'मंडी' घोषित करने के लिए एक अध्यादेश पारित करना चाहिए ताकि पंजाब में हाल ही में पारित कृषि बिलों को लागू न किया जा सके।
पंजाब: किसान मजदूर संघर्ष समिति ने फार्म बिल के विरोध में अमृतसर में अपना 'रेल रोको' आंदोलन जारी रखा। समिति बिल के खिलाफ 24 से 26 सितंबर तक 'रेल रोको' आंदोलन कर रही है।
पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भाजपा के बीच अधिक कड़वाहट के संकेत में, SAD के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी "हरसिमरन बादल के इस्तीफे से हिल गए थे"। बादल ने यह भी कहा कि 1 अक्टूबर को पंजाब में उनके द्वारा आयोजित किया जा रहा एक विरोध मार्च दिल्ली के सिंहासन को हिला देगा।
आरजेडी जिला कार्यकर्ता का कहना है, "हम किसान विरोधी कानूनों का विरोध कर रहे हैं, जिसे केंद्रीय सरकार द्वारा निरस्त किया जाना चाहिए। इससे केवल निगमों को फायदा होगा और सभी मंडियों को बंद करने में मदद मिलेगी।"
तमिलनाडु में राष्ट्रीय दक्षिण भारतीय नदी इंटरलिंकिंग किसान संघ ने कृषि बिल के खिलाफ अलग अंदाज में प्रदर्शन किया। यहां किसानों ने त्रिची में कलेक्टर कार्यालय के बाहर मानव खोपड़ियों, जंजीरों और नर कंकाल के साथ अपना विरोध दर्ज कराया।
भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी किसानों ने प्रदर्शन किया। लखनऊ से सटे बाराबंकी, सीतापुर और रायबरेली के अलावा पश्चिमी यूपी में किसान सड़क पर उतरे नजर आए। प्रदर्शन के दौरान किसानों ने कई जगहों पर पराली जलाई।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कृषि बिल के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों का समर्थन किया है। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा है। राहुल गांधी ने कहा कि त्रुटिपूर्ण जीएसटी ने एमएसएमई को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। नए कृषि कानून हमारे किसानों को गुलाम बनाएंगे।
नोएडा में भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों ने किसान बिल के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस भी मौके पर तैनात रही. नोएडा के एडिशनल डीसीपी ने कहा कि हमने ट्रैफिक को डायवर्ट किया है ताकि लोगों को किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ें। अनिश्चितता का सामना न करना पड़े।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि किसानों से एमएसपी छीन ली जाएगी। उन्हें कांट्रेक्ट फार्मिंग के जरिए खरबपतियों का गुलाम बनने पर मजबूर किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि ना दाम मिलेगा ना सम्मान। किसान अपने ही खेत पर मजदूर बन जाएगा। भाजपा कृषि बिल ईस्ट इंडिया कंपनी राज की याद दिलाता है। हम ये अन्याय नहीं होने देंगे।
कृषि बिलों के विरोध में राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने पटना में ट्रैक्टर चलाकर बिलों के खिलाफ अपना विरोध जताया। तेजस्वी यादव ने कहा "सरकार ने अपने फंडदाताओं के जरिए अन्नदाताओं को कठपुतली बनाने का काम किया है, ये पूरी तरह किसान विरोधी बिल हैं। इस सरकार ने ऐसा कोई भी सेक्टर छोड़ने का काम नहीं किया जिसका इन्होंने निजीकरण न किया हो। MSP का कहीं भी विधेयक में जिक्र नहीं है।"
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव ने सरकार पर हमला बोलते हुए आंदोलन के लंबे चलने की बात कही है। उन्होंने कहा कि सरकार के हमसे बातचीत न करने, इस आंदोलन को महत्व न देने से लगता है कि आंदोलन लंबा चलेगा।
पंजाब सरकार ने यह हिदायत भी दी है कि पंजाब बंद के दौरान किसानों के प्रति नरम रवैया अपनाया जाए और उन पर कोई सख्त जबरदस्ती न की जाए। इसके साथ ही एंबुलेंस सेवा, सिविल सर्जनों, डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को भी तैयार रखने को कहा गया है ताकि प्रदर्शन के दौरान किसी भी अप्रिय घटना में घायलों को तुरंत चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा सके।
किसान बिल के खिलाफ आज दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन होगा। उम्मीद है कि इस प्रदर्शन को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का भी समर्थन मिलेगा। दोपहर 12 बजे , जंतर मंतर पर किसान बिलों के खिलाफ कांग्रेस का लगातार प्रदर्शन भी होगा। यूथ कांग्रेस ने गुरुवार शाम को दिल्ली में मशाल जुलूस निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया।
केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों के खिलाफ आंदोलन पर उतरी किसान जत्थेबंदियों ने आज पंजाब बंद का एलान किया है। किसान जत्थेबंदियों के इस एलान को लेकर राज्य सरकार की तरफ से बुधवार को सभी जिला उपायुक्तों और पुलिस प्रमुखों को निर्देश जारी किए गए हैं। गृह विभाग की ओर से जिला उपायुक्तों को जारी निर्देश के तहत, 24 से 26 सितंबर तक 48 घंटे के बंद और रेल रोको आंदोलन के दौरान अलर्ट रहने को कहा है।