Shashi Tharoor: कांग्रेस के दिग्गज सांसद शशि थरूर ने केरल में शनिवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी न मनाए जाने को लेकर अपनी बात कही। उन्होंने रविवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि कल पूरे भारत में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई, केरल राज्य को छोड़कर। मलयालम कैलेंडर के अनुसार, इस साल जन्माष्टमी की तिथि 14 सितंबर 2025 (रविवार) है, कल नहीं।

शशि थरूर ने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या कोई मुझे बता सकता है कि ऐसा क्यों है? निश्चित रूप से भगवान भी 6 सप्ताह के अंतराल पर दो अलग-अलग दिनों में जन्म नहीं ले सकते! क्या धार्मिक त्योहारों की तिथियां को तर्कसंगत बनाने का कोई औचित्य है ताकि एक धर्म के सभी अनुयायी एक साथ, एक ही समय पर उत्सव मना सकें? थरूर ने आगे कहा कि आखिरकार के केरलवासी से अलग-अलग क्रिसमस तो नहीं मनाते!

कांग्रेस नेता ने इससे पहले तिरुवनंतपुरम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण के जरिए नेताओं को कूटनीति और राजनीति पर बात रखी। उन्होंने जिस तरह के कृष्ण के नेतृत्व की व्याख्या की उससे ऐसा लगा कि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी को इशारे में संकेत दे रहे हैं। अक्सर अंग्रेजी में बोलने वाले शशि थरूर ने हिंदी में अपनी बात कही।

शशि थरूर ने कहा कि भारतीय नेताओं को श्रीमद् भागवत, गीता, महाभारत और भागवत पुराण में वर्णित भगवान श्री कृष्ण के जीवन और शिक्षाओं से क्या सीखने मिल सकते हैं? श्रीकृष्ण नेतृत्व, शासन और मानवीय स्वभाव के पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं। धर्म सबसे ऊपर है. श्रीकृष्ण का जीवन धर्म को बनाए रखने का निरंतर संघर्ष है. वह बार बार ऐसे काम करते हैं जो अपरंपरागत और नैतिक रूप से अस्पष्ट लग सकते हैं, मगर उनका अंतिम लक्ष्य धर्म को बहाल करना और दुष्टों को दंडित करना है।

थरूर के साथ ही दिग्विजय सिंह ने थरूर को बधाई दी और उनके की तरफ से भगवद् गीता और महाभारत में श्रीकृष्ण की शिक्षाओं पर दिए गए विचारों की सराहना की, लेकिन साथ ही एक तंज भी कसा है। शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट में जन्माष्टमी की बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने महाभारत, भगवद् गीता और भागवत पुराण में वर्णित श्रीकृष्ण की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुए कुछ प्रमुख बिंदुओं पर जोर दिया। उन्होंने भगवान कृष्ण की 7 खूबियों का जिक्र करते हुए भारतीय नेताओं को उनसे सीख लेने की सलाह दी है।

धर्म सर्वोपरि

शशि थरूर ने लिखा कि शिक्षा भगवान कृष्ण के जीवन धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष का प्रतीक है। भगवान ने ऐसे कई काम किए जो आपको अस्पष्ट लग सकते हैं। इसके बाद भी उनका आखिरी लक्ष्य धर्म की पुनर्स्थापना और दुष्टों को दंड देना होता है। उन्होंने भारतीय नेताओं से अपील की कि वे अपने निजी हितों के बजाय देश की जनता के हितों के बारे में काम करें। ऐसे मजबूत निर्णय लिए जाने चाहिए जो समाज के हित में हो।

कूटनीतिक और राजनीतिक सोच की कला

शशि थरूर ने लिखा कि भगवान कृष्ण एक कुशल रणनीतिकार और कूटनीतिज्ञ थे। उन्होंने शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए से महाभारत के युद्ध को रोकने की कोशिश की थी। हालांकि उनकी ये कूटनीति विफल हो गई। इसके बाद उन्होंने शानदार सैन्य रणनीति के साथ पांडवों का मार्गदर्शन किया था। उन्होंने हर किसी को उनकी कमी के हिसाब से ही सीख दी थी। इसके कारण वे युद्ध जीतने में सफल रहे। उन्होंने नेताओं से कहा कि सत्ता में रहते हुए राजनीतिक सोच के महत्व को हर कोई समझ सकता है। इसमें अन्य दलों के साथ-साथ राष्ट्रों के साथ कुशल बातचीत के साथ-साथ देश के विकास के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनानी चाहिए। इसमें अपनी टीम और विपक्ष की ताकत और कमजोरियों को समझना भी शामिल है।

सशक्त नेतृत्व का महत्व

शशि थरूर ने भगवान कृष्ण के खुद युद्ध न लड़ने की बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वे युद्ध लड़ने के बजाय अर्जुन के सारथी बने थे। यही एक सही नेता की पहचान है, जो बिना किसी व्यक्तिगत गौरव की चाह के ज्ञान, दिशा और समर्थन प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि एक सच्चा नेता अपनी टीम के सदस्यों को सशक्त बनाता है और उन्हें सफलता की ओर ले जाता है. उन्हें हर समय सुर्खियों में रहने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय, उन्हें एक स्थिर हाथ होना चाहिए जो नाव को चलाए, मार्गदर्शन प्रदान करे और टीम की दिशा की ज़िम्मेदारी ले।

निष्काम कर्म (निस्वार्थ कर्म) का दर्शन

शशि थरूर ने कहा कि भगवत गीता कर्म को प्रधान बताया गया है। अपने कर्तव्य को बिना फल की चिंता किए करना चाहिए। कृष्ण अर्जुन को सिखाते हैं कि ध्यान कर्म पर ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेताओं को सत्ता, प्रसिद्ध या धन की लालच के बगैर समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए। उनकी प्रेरणा कर्तव्य और सेवा की भावना होनी चाहिए। इससे जनहित में वस्तुनिष्ठ निर्णय लेने में मदद मिलती है। दुर्भाग्य से, बहुत से राजनेता व्यक्तिगत लाभ में लगे हुए हैं।

मानव स्वभाव की समझ

शशि थरूर ने कहा कि भगवान कृष्ण को मानव की अच्छाई, कामना और अज्ञान की गहरी समझ थी। उन्होंने इस ज्ञान का उपयोग धर्मात्मा युधिष्ठिर से लेकर अहंकारी दुर्योधन तक से बातचीत के लिए इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि एक अच्छे नेता को मानव स्वभाव का गहन पर्यवेक्षक होना चाहिए। इससे एक शानदार टीम बनाने में मदद मिलती है। साथ ही आप विरोधियों से भी आसानी से निपट सकते हैं। एक अच्छे नेता को एक अच्छा श्रोता भी होना चाहिए। आज के समय में बहुत कम ऐसे राजनेता हैं।

लोकसंग्रह (विश्व कल्याण) की अवधारणा

शशि थरूर ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने हर भूमिका में अपना काम शानदार किया है। चाहे वो वृंदावन में ग्वाले का काम हो या फिर द्वारका में एक राजा के रूप में, उन्होंने हमेशा ही समाज के कल्याण के लिए काम किया है.। भगवद् गीता में उनकी शिक्षाएं एक नेता के कर्तव्य पर ज़ोर देती हैं कि वह सामाजिक व्यवस्था बनाए रखें और लोगों का कल्याण का काम करे। उन्होंने कहा कि एक राजनेता का पहला काम समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम करना होना चाहिए, न कि केवल अपने मतदाताओं या समर्थकों के लिए काम करें। इसमें एक न्यायसंगत और समतामूलक समाज का निर्माण करना शामिल है। जहां सभी को फलने-फूलने का अवसर मिले. दूसरे शब्दों में, सामाजिक न्याय राजनीति का एक अनिवार्य लक्ष्य है।

अहंकार और अधर्म के खतरे

शशि थरूर ने भगवान कृष्ण के जीवन को लेकर कहा कि कृष्ण का जीवन चरित्र उन लोगों के पतन की चेतावनी देता है जो अहंकारी हैं। दुर्योधन और उसके सहयोगियों जैसे अधर्म का मार्ग चुनते हैं। उनका अहंकार और धर्म के प्रति अनादर अंततः उनके विनाश का कारण बना था। उन्होंने नेताओं को सलाह देते हुए कहा कि राजनेताओं को विनम्र और संयमित होना चाहिए। अहंकार, सत्ता का दुरुपयोग और कानून के शासन के प्रति अनादर अनिवार्य रूप से एक नेता के राजनीतिक और नैतिक दोनों रूप से पतन का कारण बनते हैं। यह सिखाता है कि सच्ची शक्ति बल प्रयोग में नहीं, बल्कि ज्ञान, धार्मिकता और लोगों की निस्वार्थ सेवा में निहित है।

भगवान नहीं बने उनका अनुकरण करना सीखे- थरूर

शशि थरूर ने लिखा कि इस जन्माष्टमी पर, आइए हम अपनी राजनीति में कृष्ण के ज्ञान को आत्मसात करें, अपने तुच्छ और स्वार्थी हितों पर विजय पाने का प्रयास करें, रणनीतिक रूप से सोचना सीखें, अपने सहयोगियों और पार्टी कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाएं, अपने कामों के लाभों पर कम और सही काम करने पर ज्यादा ध्यान दें। सुनना सीखें, सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दें, और सेवा को अपने अधिकारों से ऊपर रखें। हम सभी श्रीकृष्ण नहीं बन सकते, लेकिन हम उनका अनुसरण करना सीख सकते हैं।

दिग्विजय का थरूर पर तंज

दिग्विजय सिंह ने शशि थरूर के जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर की गई पोस्ट पर जवाब देते हुए थरूर को बधाई दी। इसके साथ ही भगवद् गीता और महाभारत में श्रीकृष्ण की शिक्षाओं पर दिए गए विचारों की सराहना की, लेकिन साथ ही एक तंज भी कसा है। दिग्विजय सिंह ने लिखा कि शशि थरूर जी आपको स्वतंत्रता दिवस व श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं। जय श्री कृष्ण, मैं आपको इस बात के लिए बधाई देता हूं कि आपने श्री कृष्ण श्री कृष्ण उपदेश जो उन्होंने भागवत गीता वह महाभारत में दिए हैं। दूसरे टेस्ट में सिंह ने लिखा कि क्या नरेंद्र मोदी और अमित शाह श्रीकृष्ण की इन शिक्षाओं का पालन करेंगे? दिग्विजय का ये कमेंट इसलिए भी तंज माना जा रहा है क्योंकि इन दिनों शशि थरूर को लेकर कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।