असम के श्रीभूमि जिले में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में ‘आमार सोनार बांग्ला’ गाए जाने का वीडियो सामने आने के बाद सियासत गरमा गई है। रविंद्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित यह गीत बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी है। भाजपा ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ की राह आसान करना है।

असम भाजपा ने एक्स पर लिखा, “कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश ने ऐसा नक्शा जारी किया जिसमें पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्से शामिल हैं, और अब कांग्रेस उसी देश का राष्ट्रगान असम में गा रही है। अगर कोई इस एजेंडे को नहीं समझता, तो या तो वह अंधा है या मिलीभगत में शामिल।”

असम के मंत्री अशोक सिंघल ने भी कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पार्टी लंबे समय से “अवैध मिया घुसपैठियों” को संरक्षण देती रही है ताकि वोट बैंक की राजनीति के जरिए राज्य की जनसांख्यिकी बदली जा सके। उन्होंने कहा, “अब साफ है कि कांग्रेस का मकसद ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ की राह आसान करना है।”

श्रीभूमि, जिसे पहले करीमगंज कहा जाता था, बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है और बराक घाटी का हिस्सा है जहाँ बांग्ला भाषी बहुसंख्यक हैं। अब तक कांग्रेस ने इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

‘आमार सोनार बांग्ला’ गीत रवींद्रनाथ टैगोर ने 1905 में लिखा था, जब अंग्रेजों ने बंगाल का पहला विभाजन किया था। यह गीत उस समय बंगाल की एकता और औपनिवेशिक नीति के विरोध का प्रतीक बना था। 1911 में जब विभाजन रद्द हुआ, तो इस गीत ने लोगों के भीतर साझा पहचान की भावना को और मजबूत किया।

भारत विभाजन के बाद बंगाल का मुस्लिम बहुल हिस्सा पाकिस्तान में चला गया जिसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। पूर्वी पाकिस्तान की ज्यादातर आबादी बांग्ला भाषी थी। पश्चिमी पाकिस्तान में पंजाबी बोलने वालों को वर्चस्व था जिसके खिलाफ पूर्वी बांग्लादेश में विरोध था। वर्ष 1971 में पूर्वी पाकिस्तान ने खुद को पाकिस्तान से आजाद घोषित करके अलग राष्ट्र ‘बांग्लादेश’ के निर्माण की घोषणा की थी। बांग्लादेश ने बांग्ला अस्मिता और संस्कृति के प्रतीक इस गीत को अपना राष्ट्रगान चुना था।

श्रीभूमि, जिसे पहले करीमगंज कहा जाता था, बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है और बराक घाटी का हिस्सा है जहाँ बांग्ला भाषी बहुसंख्यक हैं। अब तक कांग्रेस ने इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंसक संघर्ष के दौरान लाखों बांग्लादेशी नागरिक भारत में आकर बस गये। भारत के असम की सीमा बांग्लादेश से लगती है इसलिए असम में बांग्लादेशी शरणार्थियों के गैर-कानूनी प्रवेश का मुद्दा सुर्खियों में रहा है। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा कई बार दावा कर चुके हैं कि असम की डेमोग्राफी (हिन्दू-मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात बदल चुकी है।

यह विवाद उस समय उठा है जब भारत-बांग्लादेश संबंध तनावपूर्ण दौर में हैं। ढाका में सत्ता परिवर्तन के बाद से दोनों देशों के बीच दूरी बढ़ी है। हाल में बांग्लादेश के नोबेल विजेता और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्हें जो पुस्तक ‘आर्ट ऑफ ट्रायम्फ: बांग्लादेशेस न्यू डॉन’ भेंट की गई, उसके कवर पर ऐसा नक्शा था जिसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के हिस्से शामिल थे। यही पृष्ठभूमि असम के मौजूदा विवाद को और राजनीतिक रंग दे रही है।